यही तो मेरी सब कुछ है, मम्मी जब पवन को छोटी रुही को चॉकलेट खिलाते देख ,मम्मी डाटती तो पवन गंभीर चेहरा लेकर बोलता ।उसका ऐसा चेहरा देखकर मम्मी की दिल में हूक सी उठती और वह बात बदलते हुए कहती ,अच्छा चल रसोई में आकर मुझे अपनी जैसी बघारी हुई चटनी बनाना सिखा।
सबको बहुत पसंद आती छौक लगी हुई उसके हाथ की चटनी।
पवन का उस घर में बचपन से ही आना जाना था रुही के बड़े भाई के साथ उसकी कक्षा में पढ़ता था । पवन अपने चाचा चाची के साथ उनकी शर्तों पर अपना जीवन जीता आया था।
अकेलापन उसके बचपन की चपलता को निगल कर उसे समझदार बना गया और वह बहुत कम उम्र में बड़ी समझदारी की बातें करने लगा।
रुही के साथ अपने आप को सबसे खुश पाता और अपनी जान से बढ़कर उसे प्यार करता रुही का सगा भाई कौन है यह पहचाना कई बार मुश्किल हो जाता और वो एक बड़ी वजह थी जो बार-बार वह इस घर में आता था।
रुही के साथ शायद वो अपने बचपन को जीने की दोबारा कोशिश करता था ।अपने व्यवहार से कब वो मम्मी पापा का दूसरा बेटा बन बैठा किसी को पता नहीं चला। दोपहर के खाने पर जब तक उसका साथ ना होता मां का रोटी बनाने में मन नहीं लगता था।
रुही उसकी मुस्कुराहट थी खूब लाड लड़ाता था उसके साथ, पलकों पर बिठा कर रखता ।रुही भी राखी के दिन सबसे पहले उसे ही खोजती। दसवीं की पढ़ाई के साथ चाचा चाची का उसको पालने का एहसान उतारने के लिए पार्ट टाइम नौकरी करके जो बचता था खूब चाव से रूही पर खर्च करता था
पर इधर कुछ दिनों से पवन का चेहरा काफी उतरा हुआ रहता। बस घंटो रूही को गोद में चिपका कर बैठा रहता ,ना हंसना ना कोई मस्ती। शायद चाचा चाची का अत्याचार ज्यादा ही बढ़ चला था, बातों से महसूस होता था।
मम्मी पापा कई बार कहते कि हमारे पास आकर रहने लगों वह हर बार ना में से हिला देता, डरता था शायद अपनी किस्मत से कि साथ रहने पर यह प्यार कम ना हो जाए।
उस दिन मम्मी पापा उदास थे पापा का ट्रांसफर दूसरी जगह हो गया था। मम्मी परेशान थी, नई जगह नई दुनिया बसाने से नहीं ,बल्कि पवन जो रोज प्यार की बयार बन मां के कंधों से झूलता ,उसका झूला उससे छिन जाने का डर मम्मी को परेशान किए जा रहा था।
मम्मी पापा ने बहुत कहा साथ चलने के लिए ,पापा तैयार थे उसके चाचा चाची से बात करने के लिए । पर पवन ने हीं शायद दूसरा रास्ता चुन लिया था इस अकेलेपन से उबरने का ।पापा उसे लेने के लिए उसके घर गए तो वह पूरी तैयारी कर चुका था अपने आप को खत्म करने की ।पापा ने खूब समझाया, खूब डांटा।
पापा ने बहुत समझाया पर साथ चलने को तैयार ना हुआ बस इतना वादा किया कि अब अपने आप को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। पर मम्मी पापा ने भी हार नहीं मानी उसके सामने उसकी सबसे बड़ी कमजोरी नन्हा सा रुही का हाथ उसकी तरफ बढवा दिया जो कह रही थी चलो ना भैया मेरे साथ मैं कैसे रहूंगी आपके बिना। उसे इंकार ना कर सका वह ।
अब मम्मी पापा के दो बेटे हैं और रुहीं के दो बड़े भाई जो अपनी पूरी जान उस पर लुटाने को तैयार रहते हैं।
~तृप्ति शर्मा