अंतिम कॉल – सरोज प्रजापति

मीरा जी काफी देर से बिस्तर पर लेटी सोने की कोशिश कर रही थी। नींद ना आने की वजह से वह लगातार करवटें बदल रही थी लेकिन नींद अभी भी उनकी आंखों से कोसों दूर थी।

उनकी बेचैनी उनके साथ लेटे उनके पति भी महसूस कर रहे थे लेकिन चाहकर भी वह कुछ नहीं कर सकते थे।

तभी अचानक मीरा जी के फोन की घंटी बजी।

इतनी रात गए फोन की घंटी सुन उनका मन एक बार फिर उन्हीं अनहोनी आशंकाओं से घिर गया।

इतनी रात गए किसने फोन किया होगा!! जरूर कोई जरूरी बात ही होगी!!

सोचते हुए मीरा जी ने कांपते हाथों से फोन उठाया तो उस पर पड़ोस में रहने वाली रीवा का नाम था। रीवा इतनी रात गए क्यों कॉल कर रही है!!

इसी उधेड़बुन में उन्होंने कॉल रिसीव की

वह अभी कुछ बोलती उससे पहले ही उन्हें रीवा की घबराई हुई सी आवाज सुनाई दी।

“आंटी जी, आंटी जी प्लीज, मुझे बचा लो। यह लोग मुझे मार डालेंगे ।जानवर है यह। आंटी जी प्लीज!! मम्मी पापा दूर रहते हैं। आंटी जी आप समझ रही हो ना!!” कहते हुए रीवा रोने लगी ।

“हां बेटा, तुम डरो नहीं। मैं हूं ना!! मैं कुछ करती हूं। घबराओ नहीं। तुम अकेली नहीं हो। यह लोग तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। तुम रुको, मैं आती हूं!!” मीरा उसे ढांढस बांधते हुए बोली।



“आंटी जल्दी आओ कहीं!!!” बात पूरी करे बगैर रीवा का फोन कट गया।

किसी अनहोनी आशंका से मीरा जी का मल दहल गया।

“कहीं फिर से!! वही सब नहीं नहीं!!”

सोच वह जल्दी से उठ बैठी। पास लेटे उसके पति सब सुन रहे थे ।

“क्या हुआ मीरा!! कहां जा रही हो इतनी रात गए।।”

सुन मीरा जी ने उन्हें सब कुछ बता दिया।

“पागल हो गई हो क्या!! यह उनका घरेलू मामला है!! झगड़े हर घर में होते हैं । फिर हम तो बाहर वाले हैं!! क्यों बैठे-बिठाए मुसीबत मोल ले रही हो!!”

“मारपीट को घरेलू झगड़ों का नाम देना कहां तक उचित है!! चलो यह तो बाहर वाली है लेकिन अदिति!! वह तो हमारी सगी बेटी थी। उसके लिए आपने क्या किया!! तब भी आपने यही कहा था ना कि मियां बीवी का झगड़ा आम बात होती है।। हमें उनकी छोटी-छोटी बातों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । अभी बचपना है संभल जाएंगे!!

आज भी याद है मुझे वो रात!! उस रात मेरी बच्ची ने ऐसे ही फोन कर हमसे मदद की गुहार लगाई थी लेकिन आपने!! आपने उसकी बातों को अनसुना कर दिया।। कितनी तकलीफ में थी वह।

और आप उसे ही चुप रहने के लिए कह रहे थी। मेरी बच्ची ऐसी चुप हुई कि फिर कभी नहीं बोली!!

क्या करती जब उसके जन्मदाता ने ही उसे शादी कर पराया समझ लिया!! किसके पास जाती और कब तक सहती।।

आपकी सुनकर पहले ही एक गलती कर चुकी हो लेकिन दूसरी नहीं !! हमारी चुप्पी के कारण अदिति की वह अंतिम कॉल बन गई!!

लेकिन मैं, इसे रीवा की अंतिम कॉल नहीं बनने दूंगी!!”

कहते हुए मीरा जी ने पुलिस को कॉल की और फिर

निकल पड़ी रीवा को उसके पति रूपी भेड़िए से बचाने।

सरोज प्रजापति 

स्वरचित

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