“मम्मा मेरा बर्थ-डे आ रहा है सब लोग आयेंगे मैं केक काटुंगी ,मुझे गिफ्ट मिलेंगे
सब क्लिपिंग करेंगे येएएएएए”
5 साल की प्राक्षी ने रात को सोते हुए अनामिका से कहा
“हाँ हाँ बेटा चल अब नीनी करलो कल आपका बर्थ-डे है ना जल्दी उठने है मंदिर जाना है फिर अच्छी अच्छी डिश बनेंगी।”
अनामिका ने बहलाते हुए कहा।
“औके मम्मी गुड नाइट “
सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद सब लोग मंदिर गये तो रास्ते में खाली मैदान में तंबू लगाकर मजदूरों की बस्ती थी जिनके छोटे छोटे बच्चे अधनंगे से ठंड में बाहर घूम रहे थे ।
उन्हें देखकर प्राक्षी बोली
“मम्मा देखो छोटे बच्चों को ठंड लगेगी ,इनको ले चलो घर “
और वहीं रूक गयी जैसे तैसे अनामिका ने उसको मनाया और मंदिर ले गयी।
शाम को घर सज चुका था बच्चे आने शुरू हो गये थे गाने बज रहे थे प्राक्षी के गोलमटोल पापा भी मटक रहे थे उधर अनामिका किचन संभाले हुए थी ,सारा होम मेड आइटम जो खिलाने थे साउथ इंडियन डिशेज का थीम जो था।
अचानक सब बच्चे बोले
“आंटी प्राक्षी कहां गयी “
अनामिका भागकर किचन से आयी उधर उसके पापा भी बाथरूम से भागे
इधर उधर देखा आस पड़ोस में तो नही मिली थोड़ा आगे जाकर जहां तंबू लगे थे वहां खड़ी थी अपना ट्यूशन बैग लटकाकर पड़ोस की बच्ची के साथ जो 7 साल की थी और वहां बोल रही थी
“बच्चों आओ मेरा बर्थ डे है “
और बैग से रिटर्न गिफ्ट के पैक निकाल कर बांट रही थी जो उसकी मम्मा ने केक काटने के बाद बांटने के लिए रखे थे ,और अपनी जैकेट उतार कर उस बच्चे की दी जो सुबह कम कपड़े के दिखा था उसे यह सब देखकर अनामिका और उसके पति के आंखो में आंसू आ गये और प्राक्षी को गले से लगा लिया ।
फिर उसके पापा मम्मी ने सब बस्ती बाले बच्चों के साथ केक काटा और गर्म कपड़े कंबल बांटे। अब यह लोग हर बर्थ डे बस्ती बालों के साथ मनाते है
अनामिका ने भगवान को मन ही मन कहा आपके तोहफे का कोई मोल नही।
-अनुज सारस्वत की कलम से
(स्वरचित )