अरे रितु!! तू अचानक से यहाँ कैसे….तेरे ससुराल में सब ठीक तो है ना..औऱ तेरे चेहरे पर ये निशान कैसे…? कुछ हुआ है क्या….? रमा ने बेटी रितु से कहा।।।
माँ मुझे …वहाँ नही रहना… वो लोग इंसान नही दरिंदे हैं..मुझे बचा लो माँ… मैं तलाक चाहती हूं।।
तलाक शब्द रितु के मुँह से सुनते ही-अम्माजी(रितु की दादी) बोल पड़ी…अरे छोरी… तू यह सब क्या कह रही है..!! तुझे ऐसे यहाँ नही आना चाहिए था… ससुराल में चाहे कितने ही दुःख मिले रहना तो वही पड़ता है… औऱ लड़की का फर्ज होता हैं कि जैसा उसके सास,ससुर औऱ पति कहे वैसा ही उसको करना पड़ता है….!! यह शादी कोई गुड्डा गुड़ियों का खेल नही जो तुझे तलाक चाहिए…।।
अरे!!तलाक हो गया तो सारी दुनियाभर में बदनाम हो जाएगी… तलाकशुदा औऱ पति ने छोड़ी हुई का तमगा लग जायेगा… हम समाज औऱ रिश्तदारों में मुँह दिखाने लायक भी नही रहेंगे…. अम्माजी बेलगाम घोड़े की तरह बोले जा रही थी…!!
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बस कीजिये माँ जी…एक औरत होकर आपको दूसरी औरत की पीड़ा नजर नही आ रही…बेटी से वजह पूछने की बजाय आप उसे कटु शब्दो से ठेस पहुँचा रही हो….!! बल्कि बेटी के आँसू पूछने की बजाय उसे वापिस उस नरक में जाने की कह रही हो…आप चुप ही रहो अम्माजी…क्योंकि अपनो के दिये जख्मो के घाव तो भर जाते हैं लेकिन शब्दो के घाव कभी नही भरते हैं…. रमा ने अम्माजी को दो टूक जवाब देते हुए कहा।।
हाँ हाँ मुझे क्या मतलब तू जाने तेरी बेटी हैं तो…मैं तो चुपचाप बैठकर तमाशा देख लूंगी…. अम्माजी भी मुँह बनाते हुए दूसरे कमरे में चली गई…!!
आखिर क्या हुआ रितु… तेरी यह हालत कैसे हुई…!! मुझे भी बता उन लोगो ने तेरे साथ क्या किया…रमा ने रितु को हिम्मत देते हुए कहा।।
माँ अंकुर के घर वाले… औऱ अंकुर का व्यवहार मेरे प्रति ठीक नही है… अंकुर के व्यवहार से ऐसा लगता हैं जैसे उन्होंने यह शादी अपनी मर्जी से नही की…वो हर वक्त मुझसे कुछ खींचे खींचे से रहते हैं… मैं जितना भी उनके पास जाने की कोशिश करती हूं.. वो उतना ही मुझसे दूर भागते हैं…शादी के बाद पहली रात भी वो मेरे साथ नही थे…मैं सेज पर उनका इंतजार करती रही लेकिन वो मेरे पास ही नही आये…।। कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा…मैने जब एकदिन पूछा कि तुम रोज रात को कहाँ जाते हो तो..मेरे सवाल का जवाब देने की बजाय वो मेरे ऊपर गुस्से से बोलने लगे…की तुम्हे क्या मतलब मैं कहाँ जाता हूँ कहाँ नही…तुम मेरी बीवी बनने के कोशिश मत करो…यह शादी सिर्फ मेरे लिए दिखावा है… मुझे तुम मेँ कोई इंटरेस्ट नही है… समझी ना अब जा औऱ घर का काम संभाल वरना पड़ेंगे दो गाल पर पड़ेंगे अक्ल ठिकाने लग जायेगी…
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जब मैंने यह बाते अपनी सास से कही तो सास ने तो यह कहकर मुझे ताने दिए कि…तेरा सांवला रंग देखकर उसे इच्छा नही होती होगी तेरे पास आने की…। औऱ तू क्या करना है जानकर की रात को तेरा पति कहा जाता है कहाँ नही तू बस अपने घर के काम से मतलब .जा अब जाकर अपना काम संभाल …औऱ हाँ सब्जी में नमक कर डालना रोज रोज सब्जी में नमक ज्यादा कर देती है… बेस्वाद सब्जी बनती है… सास ने मुख्य बात से पल्ला झाड़ते हुए कहा।।
रितु रसोई में काम करते वक्त यह सोचने लगी कि-यह सारी बाते अपनी माँ को बताऊँ… लेकिन वह रुक गई यह सोचकर कि-शादी तय होने से और विदाई तक -माँ ने यही सीख दी कि-बेटी ससुराल में कभी भी पलट कर जवाब मत देना…बस सुनती ही रहना…क्योंकि एक लडक़ी को हमेशा झुककर ही चलना चाहिए ताकि ससुराल में प्यार मिलता रहे…ससुराल वालों का सदा मान सम्मान करना… औऱ जिसने एडजस्ट करना सीख लिया समझो उसने जीवन जीना सीख लिया… एक बात औऱ बेटी चाहे सुख हो दुख कभी भी ससुराल की बात मायके में और मायके की बात ससुराल में मत कहना… क्योंकि लड़की का ससुराल ही सबकुछ होता हैं, पति परमेश्वर होता हैं, उसके चरणों मे ही स्वर्ग होता हैं… विदा के वक्त यही सब तो माँ ने कहा था…
ग़र माँ को मैं यह बाते बताऊंगी तो-वो मेरी ही गलती निकालेगी… सुनेगी कुछ नही बस वही प्रवचन शुरू हो जाएंगे कि कितनी बार समझाया था कि एडजस्ट करो…जरूर तुमने ही कुछ कह होगा…रितु यही सब सोचकर माँ को कॉल करने से रुक गई…औऱ अपने काम मे लग गई…!!
एकदिन रितु ने अपने पति को किसी लड़की से बात करते हुए सुना कि-जानू तुम तो जानती हो तुम्हारे बिन मेरा मन नही लगता… दिन तो निकल जाता है ऑफिस में लेकिन रात को सुकून तुम्हारी बाहों में मिलता हैं… कुछ प्रेम भरी बातें उस लड़की से कर रहा था… यह सब बाते सुनकर रितु को गुस्सा आया औऱ उसने अंकुर के सामने जाकर पूछा आखिर कौन हैं वो लड़की…औऱ तुम शादीशुदा हो तुम्हे शर्म नहीं आती अपनी पत्नी के होते हुए किसी औऱ लड़की के सम्पर्क में रहने पर…!!ग़र तुम उस लड़की से प्यार करते हो तो मुझसे शादी क्यो की…क्यो मेरी लाइफ बर्बाद की….रितु ने कहा।।
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हा मैं उस लडक़ी से प्यार करता हूं… तुमसे शादी करने का फ़ैसला मेरा नही था…मेरे माता पिता का था क्योंकि तुम्हारे पिता दहेज अच्छा दे रहे थे…हमे तो बस दहेज चाहिए था औऱ घर मे काम करने के लिए एक काम वाली बाई ..।। बाकी तो जैसा चल रहा वैसा ही चलना था…।। अंकुर ने कहा
मतलब मेरे साथ इतना बड़ा धोखा…ऋतु को समझ नही आ रहा था आखिर करे भी तो क्या…!!दोनो के बीच कहासुनी हुई औऱ अंकुर ने ऋतु को जोर से धक्का दिया उसका सिर टेबल से जा टकराया… औऱ सिर में चोट लग गई…अंकुर ने बड़ी हियादत देते हुए कहा-ग़र यह सब अपने घर वालो को बताया तो जिंदा जला दूंगा… अभी तुमने मेरे गुस्सा नही देखा है… चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर अंकुर के माता पिता भी आ गए…उन्होंने पूछा क्या हुआ औऱ इसको चोट कैसे लगी…अंकुर ने कहा इसको सच पता चल गया था…तो इसका मुँह बन्द करना जरूरी था…माता पिता ने अंकुर का साथ देते हुए कहा तुमने बिल्कुल ठीक कहा…काफी दिन से हर बात में सवाल कर रही थी…तुमने अच्छा सबक सिखाया….!!
ऋतु के साथ सच मे धोखा ही हुआ…अब रितु ने निश्चय कर लिया कि वह ऐसे पति के साथ बिलकुल भी नही रहेंगी.. जो किसी दूसरी लड़की के सम्पर्क में है… क्योंकि एक लड़की सबकुछ बर्दाश्त कर सकती है लेकिन यह बर्दाश्त नही कर सकती कि…उसका पति किसी दूसरी औरत से सम्बंध बनाये। अब रितु ने ठान लिया ये अन्याय नही सहेगी बल्कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएगी।।
कैसे न कैसे ऋतु अपने ससुराल से भागकर मायके आ गई…
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अपनी बेटी की आप बीती सुनकर रमा की आँखों से आँसू बहने लगे…!!
गलती मेरी ही बेटी-जो मैने तुझे हर वक्त यही कहती रही कि एडजस्ट करना सीखो, चुप रहना सीखो, सिर्फ सुनना सीखो बल्कि मुझे यह सिखाना चाहिए था कि अपने साथ अन्याय होने पर आवाज़ उठाना सीखो, जवाब देना,सीखो… क्योंकि एडजस्ट शब्द सुनने औऱ कहने में ही अच्छा लगता है इसकी कीमत बड़ी भारी चुकानी पड़ती है…!! लेकिन अब मैं मेरी बेटी को एडजस्ट करना नही लड़ना सिखाऊंगी खुद के लिए … रिश्तेदार औऱ समाज की परवाह किये बिन मेरी बेटी को तलाक जरूर दिलाऊंगी।। रमा ने कहा
उस कमीने की यह मजाल जो उसने मेरी बेटी पर हाथ उठाया… मैं उस कमीने को ज़िंदा नही छोडूंगा… सोहनलाल जी ने गुस्से से कहाँ।।
अरे आप कब आये… देखो न उस दरिंदे ने मेरी बच्ची का क्या हाल कर दिया है…. रमा ने रोते हुए पति से कहा।।
मैने सब सुन लिया है…हाँ उस दरिंदे के पास अब मेरी बेटी बिल्कुल नही रहेंगी।। ग़र मुझे पहले पता होता कि वो लोग ऐसे निकलेंगे मैं मेरी बेटी का हाथ उस कमीने के हाथ मे कभी नही देता।।।सोहनलाल जी ने कहा।।
सोहनलाल जी अगले दिन ही अपने मित्र जो कि वकील थे…उनकी सहयता से कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी…वकील दोस्त की मदद से 6 महीने में ही रितु को तलाक मिल गया था…ऋतु आजाद थी उन लोगो के चुंगल से …। औऱ मम्मी पापा भी खुश थे कि रितु सही वक्त पर यहाँ आ गई…उधर दादी रोज यही कहती थी कि- बेटी का तलाक तो करवा दिया। औऱ इस ओर तलाकशुदा का तमगा भी लग गया है… अब कौन इससे ब्याह करेगा…क्या उम्र भर मायके मे ही बैठी रहेगी क्या…!!
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लेकिन रितु के मम्मी पापा ने कहा दादी की बातो पर ध्यान मत दो…तुम अपनी आगे की ज़िंदगी के बारे में सोचो तुम क्या करना चाहती हो..उसे हिम्मत देते हुए कहा।।
रितु ने अपने मम्मी पापा की हिम्मत से एक स्कूल में नोकरी करना शुरू कर दिया…अब बच्चो के साथ कब उसका वक्त निकल जाता पता ही नही चलता था…ऋतु के माँ बाप भी खुश थे अपनी बेटी के चेहरे पर मुस्कान देखकर।।
दोस्तो-यह बात बिल्कुल सत्य हैं कि हम बेटियों को सिर्फ औऱ सिर्फ हर वक्त यही कहते है कि..तुझे पराए घर जाना है.. एडजस्ट करना सीख,पति परमेश्वर होता है, सास ससुर की सेवा किया कर..मायके से मोह कम औऱ ससुराल वालो से ज्यादा मोह रखा कर…कोई गलती हो तो स्वीकार कर लिया कर…बस हमेशा उसे स्वीकार करना ही सिखाते है चाहे गलती किसी भी हो चाहे उसके साथ कितना भी अन्याय हो..औऱ जब वो अपने ऊपर हुए अन्याय औऱ अत्याचार की बात हमसे कहती हैं तो हमारा जवाब होता हैं कि-तेरी ही गलती होगी..तूने ही कुछ बोला होगा… थोड़ा सा सुन लेती सहन कर लेती तो कोनसा तेरा कुछ बिगड़ जाता,।।।क्या हमने तुझे यही संस्कार दिए हैं…यह सब बाते बोलकर हम उसका मुँह बन्द कर देते हैं..लेकिन मैं सभी से यही कहना चाहूंगी कि बेटियों की बात भी हमे सुननी चाहिए… उनको सिर्फ एडजस्ट नही बल्कि जवाब देना सिखाना चाहिए…!!
ताकि वो अपने ऊपर हुए अन्याय से खुद लड़ सके…।।
अगर आप लोग मेरे विचार औऱ मेरी कहानी से सहमत हैं तो प्लीज लाइक जरूर करे औऱ प्रतिक्रिया भी जरूर दे…!!
#अन्याय
©️ममता गुप्ता