“अरे शांताबाई आज फिर तुम लेट आई हो मैं तुमसे पूरी तरह से तंग आ चुकी हूं…. तुम्हारे यह रोज के बहाने….भाभी आज डॉक्टर के पास गई थी, आज बच्चे की तबीयत खराब हो गई, स्कूल में मीटिंग थी, आज मेरी तबीयत खराब हो गई वगैरा-वगैरा…..
वैसे आज क्या बहाना है तुम्हारा? ??”
“भाभी आप यकीन नहीं मानोगी मैं आज सच में रास्ते में गिर गई थी विश्वास नहीं होता तो देख लो मुझे चोट भी आई है घुटने पर।”
“चलो मान लिया कि आज तुम सच बोल रही हो । तुम्हारी चोट भी दिख गयी….लेकिन तुम रोज दोपहर 1:00 बजे क्यों आती हो?? बताओ! रात और सुबह के बर्तन 1:00 बजे तक पड़े रहते हैं। घर 1 बजे तक गंदा पडा़ रहता है….कोई मेहमान अगर आ जाए तो मेरी तो उनके सामने इज्जत ही खराब हो जाए….फिर तुम आती हो और हिलते हिलते करते करते एक घंटा बर्तन मांजने में लगाती हो…. तब तक 2:00 बज जाते है…. और दोपहर के खाने का टाइम हो जाता है….. उस समय खाना बताऊं या वर्तन पोंछ कर बास्केट में रखूं….तुम ही बताओ? ?”
“तुम्हें तो पता है कि मेरी रसोई कितनी छोटी है….कि जब तक मैं बर्तन पोंछकर बास्केट में ना रख दूं तब तक मैं खाना बना ही नहीं सकती.। फिर बर्तन पोछनें में 15 मिनट लग जाते है…. तब तक 2:15 हो जाता हैं और फिर खाना बनाने में कम से कम 45 मिनट से 1 घण्टा लग जाता है…. अब दाल, चावल, दो सब्जी, चटनी, सलाद और पापड इतना सब बनाने में समय तो लगता ही है….इसी चक्कर में रोज खाने का टाइम निकल जाता है…. और घर में सबको गैस हो जाती है…. लेकिन तुम्हें इन सबसे क्या❓❓ तुमने तो कुछ ना सुनने की ठान रखी है…. मैंने तुमसे कितनी बार कहा है… कि 11 से लेट मत किया करो…. लेकिन तुम ठहरी चिकना घड़ा…. सारे घरों में काम करने के बाद आखिर में तुम मेरे घर में आती हो।”
तब शांता बाई ने कहा….
“मैं जहाँ शर्मा जी, और गुप्ता जी के घर में काम करती हूँ… उन लोगों ने साफ साफ कह दिया है कि अगर तुम लेट आई तो हम तुम्हें काम से निकाल देंगे…..> बस इसी वजह से मैं पहले उन्हीं के घरों में काम करने जाती हूँ। आप तो जानती हैं कि मेरे दो छोटे छोटे बच्चे हैं.. और ऊपर से मेरा मर्द काम नहीं करता। मद पीकर बेबडा़ पडा़ रहता है। अगर काम छूट गया तो मेरे बच्चे भूखे मर जाएगें। अब आप ही बताओ भाभी कि मैं क्या करू???”
“तुम तो ऐसी बात कर रही हो जैसे कि शर्मा जी और गुप्ता जी ने तुम्हें अगर काम से निकाल दिया तुम्हारे पैसे कैसे आएंगे और मैं तुम्हें काम से निकाल दूं….तो भी तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता …. मैं तो जैसे तुमसे फ्री में काम करवाती हूं…. तुम्हें मेरा डर ही नहीं लगता…. 3 साल से तू मेरे इधर काम कर रही है मैंने कभी भी तुम्हें कामवाली नहीं समझा हमेशा अपने घर की सदस्य ही समझा……. तुझे याद है या नहीं लेकिन 3 साल पहले जब तेरे पास कुछ भी काम नहीं था ….और तुम रोते-रोते मेरे पास आई थी….कोई भी तुम्हें अपने घर काम पर रखने को तैयार नहीं था….यह सोच कर कि तुम कहीं चोट चकार हुई तो ऐसे में मैंने तुम्हें अपने घर काम पर रखा अपने रिस्क पर….. क्योंकि मैंने तुम्हारी आंखों में सच्चाई देखी थी….. फिर ठीक 2 महीने बाद ही मैं तुम्हारी गारंटर बनी तभी तुम्हें शर्मा जी और गुप्ता जी ने भी अपने घर काम पर रखा….. बस वो 2 महीने ही तू मेरे घर 11:00 बजे आई उसके बाद तो 1:00 ही आती है…. जब भी तू मेरे घर आती है तभी 2 निवाले तेरे पेट में जाते हैं…कोई तुझे नाश्ता तो दूर एक कप चाय तक नहीं पिलाता और तू आकर बड़ी-बड़ी डींगे हांकती है…भाभी सब मुझे बहुत आग्रह करते हैं पर मैं उन लोगों के यहां खाती नही….क्योंकि वो भाभी अपने किचन में बहुत गंदगी रखती है….. जबकि जंहा तक मैं जानती हूँ…. मिसेज शर्मा और मिसेज गुप्ता दोनों से मेरी बहुत घनिष्ठता है….. वो तो बहुत साफ – सफाई रखती है…. लेकिन दोनों ही इतनी कंजूस है…. कि चमड़ी चली जाए पर दमड़ी नही जानी चाहिए….”
“खैर छोड़ मैनें तो तुझे हमेशा अपना माना पर तूने कभी मुझे कभी अपना नही समझा। तू तो इतनी एहसान फरामोश निकली की जिसने तुम्हें दो घरों में काम दिलाया तू उसी के साथ दगा कर रही है। मैंने तेरे लिए क्या नही किया…. जब भी तुझे पैसों की जरूरत हुई… बिना किसी सबाल के निकाल कर दिए…. और कभी तेरी पगार में से नही कांटे…. इतना ही नही तू महीने में दस छुट्टी भी करती है… तब भी मैं तेरा पैसा नही काटती…. जबकि नियम के अनुसार लोग 3 छुट्टी के बाद जितनी भी एक्सट्रा छुट्टी होती है…. उसके पैसे काटकर पकडा़ते है… लेकिन लोग सही कहते हैं अच्छा करने वाले के साथ हमेशा बुरा ही होता है….”
“एक काम करो अब पानी सर से ऊपर हो गया है इस महीने में 10 दिन बाकी हैं। मैं तुम्हें 10 दिन का वक्त देती हूं तब तक तू कोई नया काम ढूंढ ले। मैं भी कोई दूसरी कामवाली रख लूंगी अब मुझे तुम्हारी ये टाइम नहीं पोशाएगी…..”
“नहीं भाभी ऐसा मत कीजिए मुझसे गलती हो गई मैं कल से 11:00 बजे जाऊंगी मुझे माफ कर दीजिए अगर ना आई तो मुझे निकाल देना…”
“ठीक है…. एक अतिंम मौका तुम्हें देती हूँ। चल अब फटाफट काम कर…।”
दोस्तों इस बार कुछ नये टांपिक पर लिखने की कोशिश की है…. आशा करती हूँ… कि यह हास्यप्रद कहानी आपको अच्छी लगेगी…..अगर अच्छी लगे तो प्लीज इसे लाइक ,कमेंट और शेयर करना मत भूलिए…
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आपकी ब्लॉगर दोस्त
@ मनीषा भरतीया