“ हद करती हैं मम्मी जी भी… क्या हुआ जो जरा सा आदि को गोद में लेकर गले लगा लिया….पता नहीं उनके मन में क्या चलता रहता है समझ ही नहीं आता …..सच कह रही हूँ मम्मी जी की ये आदत अच्छी नहीं है … जो मुझे सुना देती है…..निकुंज आप कुछ क्यों नहीं कहते…. सब कुछ देख सुनकर भी चुप रहते हैं…।” उदास सी राशि अपने बिखरे कमरे को समेटते हुए बड़बड़ा रही थी और वही मेज पर बैठ कर निकुंज लैपटॉप में नज़रें गड़ाए हुए था.
राशि कमरा समेट कर रसोई के काम निपटाने चली गई….
तभी सुमिता जी रसोई में आई और बोली,“ क्या ज़रूरत पड़ जाती तुम्हें आदि से मिलने की… हज़ार दफ़ा समझाया है उससे दूर रहा करो… पर तुम कुछ सुनने को तैयार ही नहीं होती हो… अब लाओ ये सब्ज़ी काट दूँ तब तक तुम जरा चाय बना दो…… पापा जी बोल रहे हैं ।”
राशि सासु माँ का चेहरा देखी और चाय बनाने में लग गई…
उसे समझ ही नहीं आता था सासु माँ ऐसे उसके साथ क्यों करती है… जब भी वो आदि से मिलकर आती सासु माँ के हज़ार ताने सुनने को मिलते…
“माँ आपकी चाय भी पापा जी के पास ही ले चलती हूँ चलिए उधर ही पी लीजिएगा…. मैं सब कर लूँगी…।“ राशि सासु माँ के व्यवहार से आहत हो रखी थी ये सुमिता जी को भी दिख रहा था पर वो उसे नज़रअंदाज़ कर साथ चल दी.
राशि कमरे में चाय देकर दरवाज़े से बाहर ज्यों ही आई उसे ससुर जी की आवाज़ सुनाई दी,“ आज फिर बहू का चेहरा उतरा हुआ हूँ… पक्का तुमने ही कुछ कहा होगा..।”
इस कहानी को भी पढ़ें:
“ हाँ जी… मैंने ही कहा है… क्या करूँ ये मेरी बात सुनती ही नहीं है…. जानते हैं आज फिर आदि से मिल कर आ रही है….सुबह जब पार्क में गई तब आदि भी उधर ही था.. वो भी ना जाने क्यों इसे देखते चला आता…. बस उसे गोद में उठा गले लगा ली…. मैं घर की बालकनी से सब देख रही थी जी…वो सरला फिर इन दोनों को साथ देख कर अपने साथ की औरतों से कुछ बातें करने लगी… और आदि को जल्दी से वहाँ से ले गई…
आदि सरला से कह रहा था.. दादी दो मिनट राशि आंटी से बात करने दो ना… पर सरला उसे खींच कर घर ले गई ये कहकर कि मम्मी बुला रही है…अब आप ही बताइए इसे क्या कहूँ कि लोग नहीं चाहते ये बच्चों के साथ घुले मिले…. पाँच साल होने को आए हैं… इसके साथ के जितने भी जोड़े थे सब के घर में बच्चे खेल रहे पर हमारे घर में नहीं…. हमारा मोहल्ला ही ऐसा है लोग सौ तरह की बातें बनाने से नहीं चुकते…
मैं कभी बहू को किसी बात के लिए रोकती टोकती नहीं पर मेरी बहू को लोग कुछ उल्टा सीधा बोले ये बर्दाश्त भी तो नहीं करूँगी….और आप ही बताइए… किसका किसका क्या बोल कर मुँह बंद करूँगी इसलिए बहू को ही मना करती हूँ… इतने बच्चे खेलने आते पर आदि भी ना राशि को देख दौड़ पड़ता….भगवान जाने दोनों का क्या नाता है….वो तो भला हो इसका स्वभाव ऐसा कि लोग मुँह पर इसे कुछ बोल ना पाते पर पीठ पीछे….अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ…. इसको ही डाँटूँगी ना..।” सुमिता जी ने कह सुनाया
बाहर दरवाज़े की ओट से सब सुनती राशि के पैर काँपने लगे थे…. लोग तरह तरह की बाते बनाते उसके लिए इसलिए सासु माँ राशि को आदि से मिलने से मना करती… वो बाँझ नहीं है… क्या करें जो मासिक अनियमित होता…… सब कुछ तो कर के देख लिया…. भगवान मेरी गोद ही सुनी रखना चाहते तो मैं क्या कर सकती हूँ… इसमें मेरी गलती कहाँ है भगवान… राशि का दिल किया वही बैठ कर ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर दे।
थके कदमों से वो रसोई में गई… काम करते करते अविरल आंसुओं की धार बह रहे थे…. जल्दी जल्दी काम निपटा कर वो अपने कमरे में जाकर लेट गई
अचानक राशि को ऐसे लेटते देख निकुंज पास आया तो धक रह गया…आँसुओं से पूरा चेहरा भीगा हुआ था….. लाल आँखें बता रही थी वो बहुत रोई है…
इस कहानी को भी पढ़ें:
“ क्या हुआ राशि … माँ ने कुछ ज़्यादा कह दिया क्या…… ?” निकुंज ने ज्यों ही पूछा राशि खुद को सँभाल ना पाई…. सिसकियाँ अब तेज हो गई थी… कंठ अवरुद्ध हो रहा था
“ राशि कुछ बोलो तो सही आख़िर बात क्या हुआ है..?” निकुंज परेशान हो पूछा
राशि कुछ ना बोली निकुंज के गले लग गई और बोली,“ निकुंज माँ ने तो मुझे कभी कुछ कहा ही नहीं…. वो तो लोगों के कहने से मुझे बचा रही थी और मैं….।”
राशि के रोने की आवाज़ सुन कर सास ससुर दोनों आ गए थे…
सुमिता जी राशि को रोता देख पास आई और गले लगाते हुए बोली,“ पगली …. कोई इतना रोता है … तुने मेरी बात सुन ली है ना….चल अब एकदम चुप हो जा… अब कान खोलकर सुन ले…… मुझे मेरी बहू हंसती हुई अच्छी लगती हैं…. बेटा दुनिया का क्या है वो कुछ भी बोलते पर मेरा भरोसा कर एक दिन हमारे घर में भी किलकारी गूँजेंगी,… ये मेरा विश्वास है…. जो तुम इस समय ना सुनकर भी सुन रही मुझे तो दस साल तक सुनाया सामने से पर मेरी आस्था ने देख मुझे निकुंज दिया… बस यही विश्वास है तू भी माँ बनेंगी फिर लोगों के मुँह अपने आप बंद हो जाएँगे ।”
राशि सासु माँ की बात सुन एक उम्मीद करने लगी एक दिन ज़रूर मेरी भी गोद भरेगी….और चमत्कार ही कहेंगे कि साल भर के अंदर राशि ने ये ख़ुशख़बरी सुना दी…
नौ महीने बाद घर में एक प्यारी सी गुड़िया का जन्म हुआ…. और राशि पर ताने कसने वाले अब चुप हो गए थे…
दोस्तों आज भी कई जगहों पर सामने और पीठ पीछे माँ ना बन पाने पर जाने कितने सवाल खड़े कर देते हैं…… ये सच है कि कोई लाख चाहे तो भी उसे ये सुख नसीब नहीं होता और किसी किसी को इतना देते कि वो ठीक से पालन भी नहीं कर पाते…. काश ऐसा हो सबको मिल पाए मातृत्व सुख ।
मेरी रचना पसंद आये तो कृपया उसे लाइक करे कमेंट्स करे और मेरी अन्य रचनाएँ पढ़ने के लिए मुझे फ़ॉलो करें ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
GKK(S)