हमारी कोई मांग नहीं है… – संगीता त्रिपाठी

बड़े दिनों बाद कीर्ति बुआ जी से कल मुलाक़ात हुई, कीर्ति बुआ हमारे पापा की चचेरी बहन है हालचाल लेने के बाद मैंने बुआ जी से पूछा, “बुआ जी नितिन की शादी कब कर रही हो आप…??

   “जब ढंग की लड़की मिल जाये “दार्शनिक अंदाज में बुआ जी ने जवाब दिया।

     “ढंग की…. क्या मतलब “मैंने बुआ जी से समझना चाहा, आखिर वो किस तरह की लड़की चाहती है। मै कुछ मदद करने की नीयत से पूछ बैठा।नितिन की उम्र बढ़ रही और बुआ को कोई लड़की पसंद ही नहीं आ रही।मेरा प्रश्न सुन कर वे बोली,

“देखो विनय, मुझे कुछ चाहिये नहीं, भगवान ने घर में किसी चीज की कमी नहीं रखी, हमारी तो कोई मांग भी नहीं… बस लड़की सभ्य और सुशील हो, अच्छे घर की हो,स्वस्थ होनी चाहिये पर मोटी नहीं,हाँ बहुत सुन्दर न हो पर गुड लुकिंग होनी चाहिये, लड़की ज्यादा पढ़ी -लिखी न हो तो चलेगा, पर कान्वेंट की पढ़ी -लिखी होनी चाहिये अंग्रेजी बोलनी आनी चाहिये नहीं तो हमारा स्टेटस कैसे मेन्टेन होगा,रंग पर तो मै नहीं जाती कि सफेद ही हो,पर रंग साफ होना चाहिये, नितिन का रंग तो उजला है साथ में चले तो अच्छी लगे,बहुत लम्बी तो नहीं चाहिये पर हाँ छोटा कद भी नहीं चाहिये…,हाँ लड़की के घने बाल होने चाहिये,लड़की वाले पैसे वाले होने चाहिये, नहीं तो इतना पैसा देख लड़की का दिमाग चढ़ जायेगा..”।

     बुआ अनवरत बोलती जा रही,उनकी चाहत की लम्बी लिस्ट सुन,मेरा तो दिमाग ही घूम गया, अब नितिन के कुंवारे रहने का राज समझ में आ गया…।सब कुछ चाहिये पर दिखावा ये कि कुछ नहीं चाहिये।गुड लुकिंग की बात सुन मुझे हँसी छूट गई, अपने बेटे का लुक नहीं देखी, रंग साँवले से थोड़ा ज्यादा गहरा, और सामने होठों के पास चोट का निशान,सर से जुदा होते बालों को फैला कर न्यू स्टाइल देता था,खुद नितिन तो हिंदी मीडियम से पढ़ा है, अंग्रेजी की तो ऐसी टांग तोड़ता है हँसी रोकना मुश्किल होता है, दिल किया बुआ जी से पूछ लूँ “बुआ जी आपकी कोई मांग न होकर भी बहुत सारी मांग हो गई है, “पर, होनी चाहिये “को छोड़ दीजिये तभी कुछ बात बनेगी…।

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     अब बुआ जी को कौन समझाये, सो मै पैर छू कर आगे बढ़ने में भलाई समझी तभी बुआ जी की पुकार सुनाई दी “विनय… ध्यान रखना कोई लड़की हो तुम्हारी परिचित तो बता देना… “हमारी कोई मांग नहीं है, सीधे -सादे लोग है हम”

     “जी बुआ “कह मै आगे बढ़ लिया.. सीधे -सादे…तभी तो बुआ का मोहल्ले में सबसे झगड़ा होता रहता, यही नहीं अपने भाई -बहनों को भी नहीं छोड़ती…।खैर नितिन के लिये दुआ करते मै आगे बढ़ लिया।

   इस बात को साल भर बीत चुका पर सीधी -सादी बुआ जी को अपने अनुरूप लड़की नहीं मिली नितिन आज भी कुंवारा है,। देखते है बुआ जी की गुड लुकिंग और कान्वेंट पढ़ी -लिखी लड़की की चाहत कब पूरी होती है।

        आखिर दो साल और सरक गये बुआ जी को लड़की नहीं मिली ।एक दिन फोन पर बुआजी से बात हो रही थी तो बुआ बोल पड़ी “देखो विनय हमारी तो कोई मांग नहीं है, फिर भी न जाने क्यों लड़की वाले दूर भागते है, लोग ऐसे ही लड़के वालों को बदनाम करते है, दुनिया में कुछ हमारे जैसे लोग भी है जो बिना किसी मांग के शादी की चाहत रखते है तो लड़की वालों को पचता नहीं,…..।

      अब बुआ जी को मै क्या कहता, सो फोन पर “राम -राम “बोल कर रख दिया…।

                       ——-संगीता त्रिपाठी

#चाहत

 

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