शगुन जल्दी जल्दी अपना काम निपटा रही थी, क्योंकि उमस जोरों पर थी, लगता था आज बारिश जरूर आएगी।
शगुन का पति शरद भी आजकल घर से ही काम कर रहा था, तभी बारिश शुरू हो गई, शगुन भागकर आंगन में पड़े कपड़े समेटती है, तभी शरद ने आवाज लगाई, शगुन जरा एक कप मसाला चाय तो पिलाना। तभी छत पर खेलते हुए बच्चों ने भी कहा मम्मी हम बारिश में नहा रहे हैं, हमारे लिए भी भुट्टे भून दो ना, बारिश में भुट्टे खाने का मजा ही कुछ और है।
शरद जरा कम बोलने वाला अंतर्मुखी स्वभाव का व्यक्ति है वो अपने एहसास शगुन से शब्दों में कम ही जाहिर कर पाता है, जबकि शगुन अपने लिए उसके एहसास शब्दों में सुनना चाहती हैं।
शगुन को हर बार बारिश में अपने मायके की याद आने लगती है जहां वो भी बारिश का आनंद उठाती थी, पर यहां तो काम के अलावा उसकी जिंदगी में कुछ है ही नहीं। वो मन ही मन बुड़बुडाने लगती है।
तभी शरद को ना जाने क्या होता है वह आकर जल्दी-जल्दी उसका हाथ बंटाता है, भुट्टे भूनता है और शगुन का हाथ पकड़ कर बारिश में ले जाने लगता है।
बारिश में जाकर बच्चों से कहता है कि आज हम सब पहले बारिश का आनंद उठाते हैं ,फिर बाद में तुम सब मेरे हाथ की बनी मसाला चाय पीना।
शगुन शरद का चेहरा देख रही है जैसे वो अपनी चाहत को इस तरह बयां कर रहा हो…
जरूरी नहीं कि हर एहसास को शब्दों में बयां किया जाए,
कुछ अल्फाज तो इन आंखों को भी कहने दो।
#चाहत
ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश