कहां कमी रह गई जो सब लोग मुझे इस तरह से घूर रहे हैं। पिता की मृत्यु के समय मैं आ नहीं पाया घर में सब लोग समझते क्यों नहीं ? अपनी तरफ से मैंने पूरी कोशिश की थी आने की लेकिन काम को यूं ही छोड़कर नहीं आ सकता था। वहां से आने के लिए भी सौ इंतजाम करने होते हैं? नीता ने मुझे देखकर मुंह फेर लिया। रानी और मुन्नी ताना देते हुए कह रही थी कि अपने बेटे के होते हुए पापा का संस्कार चाचा जी के बेटे को करना पड़ा, ऐसा भी क्या कमाना? मां ने रूंधे हुए गले से सिर्फ यही पूछा कि अकेला आया है बहू और बच्चों को नहीं लाया अब किट्टी (क्रिस्टीना)जो कनाडा में भी ही पली बढ़ी है वह यहां के संस्कारों के बारे में क्या जाने और बच्चे तो इंडिया आना ही नहीं चाहते। सब मुझे उपेक्षित नजरों से देख रहे हैं मानो मैं कोई बहुत बड़ा अपराधी हूं। ताया जी ने तो समझाना भी शुरू कर दिया कि बेटा मां-बाप के प्रति तुम्हारी कुछ जिम्मेदारी भी होती है मां-बाप के कुछ सपने भी होते हैं जो कि उनके बेटे ही पूरे करते हैं और तुम??
हैरान-परेशान सा मैं अपनी गलती ढूंढने में खुद को असमर्थ पाता हूं, समझ नहीं आता कि आखिर माता-पिता के सपनों को पूरा करने में मुझसे कमी कहां रह गई? कॉलेज के बाद पम्मी मेरी सहपाठी, मेरी जिंदगी थी, हम दोनों ने साथ रहने की बहुत से सपने देखे थे लेकिन पापा जी को लगता था कि खेती बाड़ी में कोई कमाई धमाई नहीं है और कॉलेज से पढ़ने के बाद भी कोई लाखों की नौकरी तो लगनी नहीं। पम्मी के पिता ने दहेज में एक पैसा भी देना नहीं घर में तीनों बहनों की शादी भी करनी है। उनके ख्याल से यह सब जिम्मेदारी मुझे ही पूरी करनी चाहिए थी। उसके लिए उन्होंने मेरे कनाडा में जाकर काम करने का इंतजाम करवा दिया था। चाचा जी की बेटी के ससुर कनाडा में भिजवा कर नौकरी का इंतजाम करवाते थे बस उन्होंने भी यही सपना देखा था कि मैं कनाडा में जाकर बड़ा आदमी बन जाऊं और बहनों के हाथ पीले करने में उनकी मदद कर सकूं। किसी तरह से उन्होंने मां के गहने गिरवी रखकर और कुछ जोड़-तोड़ कर मुझे कनाडा भेजने का इंतजाम किया।
जब मैं कनाडा गया था तो पम्मी कितना रोई थी। उसके बाद वही मैंने पम्मी की शादी की भी खबर सुनी थी उसके बाद मेरा इंडिया आने का तो मन ही नहीं हुआ। शुरुआत में एक स्टोर में कंप्यूटर से बिलिंग का काम शुरू करा, जो भी काम मुझे मिला जिससे कि मुझे कुछ पैसे मिल पाते मैंने वह बिना रात दिन देखें सब काम करा और अब धीरे-धीरे मेरा खुद का ही स्टोर हो गया था। क्रिस्टीना (किट्टी) कैनेडियन थी उसके पापा के स्टोर में काम करने के बाद जब से उसके पापा बीमार हुए तो क्रिस्टीना और मैंने ही मिल कर उस स्टोर को संभाला और अब हम दोनों की मेहनत से ही वह स्टोर छोटे से रेस्टोरेंट में भी बदल चुका था। हम दोनों ने वही शादी भी कर ली थी। हमारे दो बच्चे भी हो चुके थे।
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शुरू में तो जब मैं घर पर पैसे भेजता था तो माता-पिता और सारी बहनें बेहद खुशी ही रहती थी। नीता और रानी की शादी में तो मैं नहीं आ पाया था लेकिन मां और पिताजी ने चिट्ठी से मुझे बताया था कि दोनों बहनों की शादी सिर्फ मेरे भेजे गए पैसो के कारण ही बहुत अच्छी तरह से हो गई है और अब उन्होंने घर को भी बहुत अच्छी तरह से बना दिया था। छोटी बहन मुन्नी की शादी में जब मैं ढेरों सामान लेकर आया था तो सब बहुत खुश थे। सबकी नजर में मैं उनका लाडला सपूत था। नीता, रानी और उसके परिवार वाले सब मुझसे ऐसे मिल रहे थे मानो यह कोई बहुत ही वीआईपी हूं। पिताजी सबको मेरी सफलता की कहानियां सुना रहे थे। मुझे देखकर पिताजी का भी मन बढ़ रहा था। सब मेरे लाए हुए उपहारों को देख देख कर खुश हो रहे थे और नई नई ख्वाहिशें भी कर रहे थे। मुन्नी तो बहुत ही खुश थी। क्रिस्टीना और बच्चों को तो मैं नहीं ला सका था क्योंकि वहां हमारा स्टोर कौन देखता?
पापा जी ने और भी खेती की जमीन खरीद ली थी और मैं घर का, घर का ही क्यों गांव का सबसे लायक और सफल लड़का बन चुका था। अब जब सब की जरूरतें पूरी हो गई सब के सब काम निबट गए तो आज मैं नालायक लड़के में बदल चुका हूं। क्या मैंने अपने माता-पिता के सपने पूरे नहीं किए? इसी सोच में ही मैं डूबा था कि मातमपुर्सी करने के लिए पम्मी भी आ गई। वह भी अब दो बच्चों की मां बन चुकी थी। मुन्नी अपने पति और बच्चों के साथ माता पिता के साथ ही रहती थी। नीता और रानी ने भी यहीं साथ में घर लेकर खेती लायक जमीन भी खरीद ली थी। मैं पूरी ईमानदारी से कनाडा में मेहनत करके अपने लगभग सारे पैसे अपने माता पिता के पास इंडिया में ही भेज देता था ताकि उन्हें कोई कमी ना हो और आज घर में संपन्नता दिख भी रही थी। बहनों के परिवारों से घर भरा पड़ा था ।
चाचा जी जो एक समय हमसे कन्नी काटते थे कि कहीं हम उनसे कुछ मांग ना ले आज उनके बच्चे मुझसे भी ज्यादा उनके सगे होने का ढोंग कर रहे थे। मैंने इस घर के लिए सब कुछ करा लेकिन फिर भी सबकी नजर में मैं उनके सपने पूरे नहीं कर पाया।
पम्मी को देखने के बाद इससे पहले कि मैं मन में कुछ भी सोचता कनाडा से किट्टी (क्रिस्टीना) का फोन आया कि उसके पापा इस दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि अब मैं करूं क्या? वहां बच्चे घर और स्टोर सब कुछ क्रिस्टीना अकेला नहीं संभाल पा रही होगी और मैं यहां——? क्या वास्तव में मैं नालायक हूं और अपने माता-पिता के सपने पूरे ना कर सका। मां को फूट-फूट कर रोता हुआ देख रहा हूं और समझ नहीं आ रहा कि मैं उन्हें अपने वापिस जाने की खबर कैसे दूं?
पाठक गण आप ही बताइए मैंने कहां कमी करी कि अपने माता-पिता के सपने पूरे ना कर सका? क्या मैंने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं करी? क्या मैं वास्तव में तानों का हकदार हूं?
मधु वशिष्ट