कहीं मेरी “बहू” भी तो..!! – पूनम गुप्ता

  अर्चना जब अपनी बीमार “सास” की सेवा बिना कुछ सोचे -समझे दिन-रात करती यह सोच कर कि यदि मम्मी जी की जगह मेरी अपनी “मां” होती तो क्या मैं उन्हें बीमार हालत में छोड़ देती..?”

अर्चना की यही सोच उसे उसके ससुराल वालों से बांधे रखती है, धीरे-धीरे आज पूरे घरवाले उसे ढेर सारा प्यार और इज्जत देने लगते, वहीं उनकी सास मां “कौशल्या जी” मन -ही -मन सोचा करतीं अर्चना वास्तव में हमारी बहु नहीं बेटी है, साक्षात हमारे घर की लक्ष्मी इससे ही हमारे घर की खुशियां सुख और शांति है..!!

दरअसल कौशल्या जी बहुत बड़े व्यापारी मोहन जी की पत्नी हैं..मोहन जी मुंबई शहर के बहुत बड़े जाने-माने बिजनेसमैन हैं..जिनके नाम और रुतबा का कोई कमी नहीं..!

दोनों पति-पत्नी का जिंदगी बड़े आराम से कट रहा था.. एक बेटा और एक बेटी इन दोनों की भी कोई चिंता नहीं”” दोनों का भविष्य सुरक्षित था !!क्योंकि पैसे की कोई कमी नहीं बेटी प्रियंका जब पढ़ लिखकर बड़ी होती..तब खुद से भी ज्यादा सुखी संपन्न परिवार में लड़का देखकर शादी कर देती.. जहां जाकर प्रियंका बहुत खुश है..!!

बेटे के लिए लड़की ढूंढने का सिलसिला भी जारी हो गया, बहुत जल्द अर्चना से अभिनव की शादी तय हो जाती..

बड़े धूमधाम से अपने बेटे की शादी करवातीं, आज कोशल्या जी और उनके पति बहुत खुश थे, क्योंकि आज उनके इकलौते बेटे की शादी हुई थी,आज बेटे के साथ बहू अर्चना का गृह प्रवेश था..!!

अपने बेटे बहू के आने का इंतजार खुशी-खुशी कर रही थीं, तभी अचानक ना जाने उसके मन में क्या विचार उठने लगता..? उसमें ही डूबने लगती हैं..!

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 “”कहीं मेरी बहू भी तो”..मिसेज खुराना की बहू जैसी तो नहीं होगी”जो घर आते ही घर को दो हिस्से में बंटवा देती है..,या फिर” मेरी सहेली अनुराधा की बहू जैसी तो नहीं..जो घर आते ही अपनी सासू मां से दिन-रात झिक-जिक करती रहती, या फिर मेरी पड़ोस वाली सरला जी की बहू जैसी तो नहीं उनकी बहू को आए..अभी ज्यादा दिन हुए भी नहीं कि अपनी सास मां को दिन-रात सताती रहती है..या फिर कृतिका की बहू जैसी तो नहीं होगी..जो घर आते ही उनके बेटे को उससे दूर कर दिया..क्या होगा .?”यदि अर्चना भी कुछ ऐसा ही मेरे घर का हाल कर देगी तो..?

“मैं तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी..मैं अपनी जिद के कारण एक “अनाथ बच्ची” को अपने घर की बहू बनाकर लाने जा रही हूं..कहीं मैं गलत  साबित तो नहीं हो जाऊंगी..यदि ऐसा हुआ तो मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी!!

     इन सब ख्यालों में डूबी हुई थीं कि उनकी बहू दरवाजे पर आकर खड़ी हो जाती है..गृह प्रवेश की रस्म होने के बाद ..अर्चना घर के अंदर आती सबसे पहले अपनी मम्मी जी के पैर छूकर गले लग लगती वहीं पास खड़े अपने पति “”अभिनव”” से कहती अभिनव जी आज से “”मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं बल्कि किसी की बेटी भी बन गई हूं”” और मेरी मां आज मुझे मिल गईं..आज दुनिया की बहुत बड़ी खुशी मुझे मम्मी जी ने दे दिया..बचपन से मैं अपनी मां का चेहरा देखने के लिए तरस गई थी, आज मेरी मां मेरे सामने खड़ी है..मम्मी जी मुझ जैसी “अनाथ लड़की” को अपने घर की बहू बना कर लाई हैं..जो हर किसी के बस की बात नहीं””” सच कहते लोग भगवान बहुत दयालु होते” जब हमें कभी दु:ख देते तो उससे भी कहीं ज्यादा खुशी हमारी झोली में डाल देते”” अनाथ बच्ची को “मां” का सहारा मिल गया..इससे बड़ी बात क्या हो सकती है ..?

मैं .आज कितनी खुश किस्मत हूं..बता नही सकती आज मैं एक वादा करती हूं..*मम्मी जी का ख्याल खुद से भी ज्यादा रखूंगी..इतना सुनते ही कौशल्या जी आगे बढ़कर अपनी बहू को गले लगा लेती..दिल को तसल्ली मिल जाती” आंखों में हल्की नमी जो खुशी के थे, झलक उठता है!!

  अब तो कौशल्या जी अपनी बहू का स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ती” पूरे उत्साह से अपनी बहू का स्वागत करती,,उस समय जो वादा अर्चना घर आते ही की थी, आज वह उसे बखूबी निभा रही है, पूरे घर को अपने प्यार और विश्वास से जोड़े रखती, कौशल्या जी आज खुद को बहुत लकी समझती सचमुच अर्चना के रूप में मुझे बहू नहीं बेटी मिल गई है..!!

✍🏻 पूनम गुप्ता***** स्वरचित कहानी”*

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