नेहा कभी-कभी उदास हो जाती थी। राहुल उसे कई बार समझाता था कि यूं उदास रहने से तुम अपने शरीर में ही अनेक बीमारियां लगा लोगी। यहाँ किसी चीज की कमी नहीं है तुम्हे। हमारे पास भगवान का दिया सब कुछ है धन दौलत, बच्चे और देखो ना इतना खूबसूरत पति जो हर वक्त तुम्हारे आगे-पीछे घूमता रहता है। यह सुनते ही नेहा को हंसी आ जाती थी क्योंकि सही तो कह रहा था राहुल किसी चीज की कमी नहीं थी नेहा को। बस कमी थी तो सास-ससुर के प्यार की।
असल में नेहा और राहुल घर के अकेले बेटे-बहू हैं। उसकी तीन बहनें जिनकी शादी नेहा की शादी से पहले हो चुकी थी। नेहा की शादी को बारह साल हो गए थे। वह ससुराल की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही थी जिसके कारण है वह अक्सर अपने मायके के प्रोग्रामों को भी कैंसल कर दिया करती थी। राहुल उसे कई बार समझाता कि ऐसा मत किया करो रिश्ते दोनों तरफ के जरूरी होते हैं लेकिन फिर भी उसके संस्कार ऐसे थे कि वह अपने मायके से पहले ससुराल को ही तावज्जो देती थी लेकिन फिर भी वह सास ससुर से एक अच्छी बहू होने का तमगा नहीं पहन सकी थी। वह कितना भी अच्छा खाना बना ले,कितने भी अच्छी तरीके से घर को सजा ले लेकिन उसे कभी सास के मुँह से तरीफ के दो बोल सुनने को नहीं मिलते थे। सास को उसके कामों से कभी तसल्ली नही होती और कमियां ही निकलती रहती थी।
राहुल उसे समझा रहा था कि मम्मी से इस चीज की उम्मीद मत करो क्योंकि हमने बचपन से यही देखा है कि वह किसी बात में भी अपने आगे किसी को नहीं आने देती है चाहें वह सही हो या गलत।
देखो नेहा मैं उनका अकेला बेटा हूं इसलिए उन्हें छोड़कर भी कही नहीं जा सकता और तुमसे भी बहुत प्यार करता हूं इसलिए तुम्हें भी दुखी नहीं देख सकता। तुम्हे ही इस बात को समझना पड़ेगा कि जब हमारे पास भगवान का दिया सब कुछ है किसी चीज की कोई कमी नहीं है तो यह फालतू की बातो को ना सोचो। एक कान से सुनो और दूसरे से निकाल दो। जब हमे सारी जिंदगी उनके साथ ही रहना है तो हम उन्हें नहीं अपने को ही जल्द से जल्द बदल ले इसी में हमारी समझदारी है।
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राहुल यह बात नहीं है तुम समझते नहीं हो मेरे मन को बस एक बात दुखी करती है जब मां-बाप मुझसे खुश हैं, भाई बहन मुझसे खुश है,तुम मुझसे खुश है,बच्चे मुझसे खुश है तो क्या मैं मां-बाप समान सास-ससुर को खुश नही रख सकती हूं……? क्यों मेरी वजह से उनका मन दुखी होता है….? मैं सब काम उनके हिसाब से करती हूं फिर भी वह उनमें कमियां निकाल देती है ऐसा क्यों होता है मेरे साथ राहुल…… ? क्या मैं कभी एक अच्छी बहू नहीं बन सकती…..?
नेहा तुम कभी-कभी बेकार की बात पकड़ कर बैठ जाती हो। दुनिया में कोई भी व्यक्ति हर किसी को खुश नही रख सकता। मैं मानता हूं कि तुम उनकी सेवा में कोई कमी नहीं करती लेकिन फिर भी वह तुम्हें वो मान-सम्मान नहीं देते जो उन्हें देना चाहिए लेकिन तुम बताओ आज तक कोई क्या किस्मत और वक्त से लड़ सका है। इन सब चीजों को वक्त पर छोड़ दो,अपना कर्म करते रहो,फल की इच्छा मत रखो,वह हमारे मां-बाप है उनकी सेवा करना हमारा धर्म है वह क्या सोचते हैं उनसे बदले में हमे क्या मिलता है उसकी परवाह मत करो। तुमने यह मुहावरा तो सुना होंगा कि ….”नेकी कर कुँए में डाल”।
हाँ… लेकिन राहुल …….।
लेकिन वेकिन कुछ नहीं बस आज से तुम नियम ले रही हो कि इन फालतू की बातों को मन से नहीं लगाओगी।
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क्या राहुल ने नेहा को सही समझाया ?
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नीरू जैन
दिल्ली