माँ चोट के निशान छिपा लो ना…! – रश्मि प्रकाश 

“ मनु क्या कर रही है बेटा…. ये सारा मेकअप का सामान लेकर क्यों आ गई….जानती है ना तेरी मम्मा को मेकअप ज़्यादा नहीं पसंद येसब तो तेरे डाँस प्रोग्राम के लिए लाकर रखे हैं तू बेकार सब बर्बाद मत कर फिर ….इतनी जल्दी लाना मुश्किल होगा…..  पता है ना।” अर्पिता अपनी नौ साल की बेटी से बोली जो अपना मेकअप किट लाकर अर्पिता के चेहरे पर पाउडर लगाने की कोशिश कर रही थी औरअर्पिता उसे मना कर रही थी 

अर्पिता के एक हाथ में आइस बैग था जिससे वो अपने शरीर पर लगे चोटों की सिकाई कर रही थी ।

तभी अर्पिता की आह निकल गई और वो बोली,“ मनु मना कर रही हूँ ना बेटा देखो ब्रश से चोट पर लग गया और मुझे दर्द होने लगा ।” कराहते हुए अर्पिता ने कहा 

“ सॉरी मम्मा “कह मनु वहाँ से अपना मेकअप का सारा सामान समेट कर अपने कमरे में चली गई 

अर्पिता अपने चोट को देख कर सोच रही थी …. अगर ये निशान कोई देख ले तो क्या सोचेगा…. छोटी सी बेटी को तो झूठ बोल कर मनालेती हूँ पर कोई बड़ा आ गया तो क्या कहूँगी?

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए और एक दिन फिर मनु अर्पिता के कमरे में अपना मेकअप का सामान लेकर आ गई और अर्पिता के चेहरे परब्रश लगाने लगी।

“ मनु मना किया है ना बेटा मुझे मेकअप नहीं करना फिर आप क्यों ये लगाने आ जाती हो….. मेरे उपर लीप पोत कर सब ख़त्म कर दोगीतो तुम्हारे लिए नया कहाँ से लेकर आऊँगी…. जानती हो ना पापा को ये सब पसंद नहीं आता बस मैं जानती हूँ तुम्हें पसंद है इसलिए येचुपके से लेकर आ गई थी ।” अर्पिता मनु का हाथ पकड़ रोकने लगी




“ मम्मा आज फिर आप को चोट लग गई…. कहाँ गिर गए थे रसोई में या बाथरूम में….. सँभलकर क्यों नहीं चलते आप…. क्या फिरआज पापा ने…..।” अर्पिता से चिपकते हुए मनु ने अपनी बात अधूरी ही छोड़ दी

” नहीं बेटा आज रसोई के दरवाज़े से टकरा गई थी…।” कह अर्पिता मनु को कलेजे से लगा ली

“ मम्मा मैं छोटी हूँ पर घर में क्या हो रहा पता चलता है…. पापा का ग़ुस्सा भी और आपके चोट भी…. जानती हो मम्मा ये मेकअप केसामान की  मुझसे ज़्यादा आपको ज़रूरत है… अपने चोट छिपाने के लिए!” मनु ये बात कहकर अर्पिता के  सूट का कोना पकड़ अपनेहाथों में लपेटते हुए बोली 

“ मनु…!” एक आह के साथ अर्पिता के आँसू निकल आए

“ बेटा ये सब पति पत्नी में होता रहता …. मेरी गलती होती तो डाँट खाऊँगी ही ना…. कभी ज़्यादा गलती होती तो पापा का हाथ उठजाता बेटा…. ये सब बातें किसी से कभी मत कहना।” अपनी बच्ची को खुद में समेटकर अर्पिता उस भय से मनु को मुक्त करना चाहतीथी 

“ पर मम्मा पापा आपको क्यों मारते है आप कोई छोटी बच्ची हो क्या…. मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता जब पापा आप पर ग़ुस्साकरते…. ।” मनु माँ के चोट को सहलाते हुए बोली 

” मम्मा ये मेकअप से ना सुन्दर तो होते ही है जो निशान होते वो भी छिप जाते…. इसलिए मैं आपके दाग छिपाने के लिए ये मेकअप कासामान लेकर आई ।” कह मनु माँ का हाथ पकड़ गोद में बैठ गई 




“ अच्छा ये किसने बताया?” अर्पिता ने दुलारते हुए पूछा 

” डाँस के लिए जो मेकअप आर्टिस्ट आते वो बोल बोल कर लगाते यहाँ निशान है इसको छिपाना पड़ेगा…..मम्मा ये निशान तो फिर भीछिप जाएगा पर दर्द का क्या….. आप पापा को मना क्यों नहीं करती…. हमें सिखाया जाता गलत का साथ देना भी एक गलती है….

उसका विरोध करना चाहिए पर आप चुपचाप क्यों सहती हो… मुझे पापा से बहुत डर लगता है ।” मनु रूऑंसी हो बोली 

अर्पिता ने भी महसूस किया आजकल मनु पवन से दूर दूर रहते लगी है….. उसके घर में आते अपने कमरे में दुबक जाती हैं…. मतलब मनुअब मेरी चोट का सही मर्म समझने लगी है वो झूठ पकड़ चुकी है….. मेरी बेटी के मन मस्तिष्क पर हमारे रिश्ते की वजह से

कोई बुराप्रभाव पड़े ये तो मैं होने नहीं दूँगी…. पहले भी जब पवन को रोकने की कोशिश की तो उसका ग़ुस्सा और तीव्र हो जाता था ऐसे में मनुक्या सोचेंगी सोच कर चुप्पी साध लेती थी पर अब तो मेरी बेटी सब जान रही है उसका बुरा असर उसपर पड़ रहा है ये अब नहीं होगा…..

पवन की बातों को अब तक एक पत्नी बेटी की ख़ातिर बर्दाश्त कर रही थी पर एक माँ बर्दाश्त नहीं करेगी….. मेरे ये चोट मेरी बेटी को भीदर्द देते हैं जिसके लिए वो उन्हें छिपाने चली आती हैं ।

अर्पिता कुछ सोचते हुए उठी और मेकअप का सामान लेकर अपने चेहरे को दुरुस्त करने लगी….. चोट तो छिप गया था पर दर्द जाने मेंवक़्त लगेगा पर एक दिन ये भी चला जाएगा….. अब विरोध करना पड़ेगा अपने लिए नहीं बल्कि अपनी बच्ची की ख़ातिर…..

आख़िरपवन के सामने अब एक माँ खड़ी होगी जिसे अपने दर्द को छिपाने की नहीं बल्कि भगाने का प्रयास करना था।

बीते कुछ दिनों में अर्पिता ने पवन का हाथ रोकना शुरू कर दिया…..जिस बेटी को पवन बेपनाह प्यार करता था वो उससे डरने लगी थी…उसके आते दुबकने लगी थी ये सब बातें जब अर्पिता ने पवन से कही तो उसे भी एहसास हो रहा था अपने ग़ुस्से की वजह से

पत्नी पर तोज़ुल्म कर ही रहा था उसके साथ साथ अपनी फूल सी नाज़ुक बच्ची को सहमी बनाने लगा था …उसने बहुत हद तक अपने ग़ुस्से पर काबूकरना शुरू कर दिया था ।

अब मनु को माँ के चेहरे पर मेकअप लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी क्योंकि वहाँ अब कोई चोट का निशान जो नहीं दिखाई देता है ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

मौलिक रचना 

# विरोध 

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