रोशनी बचपन से ही होनहार थी। वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती थी, लेकिन उसके पिताजी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बहुत ज्यादा पढ़ाई कर सके। इसलिए उसकी पढ़ाई 12वीं के बाद ही छूट गई और उसके पिताजी ने उसकी शादी एक साधारण कमाने वाले लड़के से कर दी।
लेकिन रोशनी हमेशा सोचती थी कि वह अपने बच्चों को बहुत पढ़ाएगी, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। शादी के 2 साल बाद ही रोशनी को एक लड़की हुई। अब वह लड़की 5 साल की हो गई थी और स्कूल जाने लायक हो गई थी। लेकिन उसके पति की आय इतनी नहीं थी कि वह अपनी बेटी को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सके।
इसलिए उसने फैसला किया कि वह भी अब जॉब करेगी और अपने कमाए हुए पैसे से अपनी बेटी को पढ़ाएगी। इसके बाद उसने जॉब सर्च करना शुरू कर दिया। तभी किसी जानकार के द्वारा उसे एक कॉल सेंटर में जॉब का ऑफर मिला।
शुरुआत में रोशनी को सिर्फ पैसे कमाने से मतलब था, इतना कि उसकी बेटी की पढ़ाई की फीस भर सके। रोशनी अगले दिन से ही जॉब करने के लिए जाने लगी। धीरे-धीरे अपने काम की वजह से वह वहां की टीम लीडर बन गई।
अब जब भी कोई नई लड़की वहां जॉइन करती, तो उसकी ट्रेनिंग रोशनी ही देती। कैसे कस्टमर से बात करना है, किस तरह बिज़नेस डील करना है — यह सब कुछ रोशनी ही सिखाती थी।
उसी कंपनी में रोशनी की दोस्ती सरिता नाम की लड़की से हो गई। वह भी वहां काफी समय से जॉब कर रही थी। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि वे एक-दूसरे से अपनी हर बात शेयर करती थीं।
एक दिन रोशनी ऑफिस गई तो सरिता ऑफिस नहीं आई थी। उसने फोन लगाया लेकिन फोन स्विच ऑफ था। वह परेशान हो गई। उसने सरिता की मां को फोन किया। सरिता की मां ने बताया कि सरिता की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह ऑफिस नहीं आई है।
अगले दिन भी सरिता ऑफिस नहीं आई। आज भी उसका फोन स्विच ऑफ जा रहा था। रोशनी और परेशान हो गई। उसे लगा कि बात सिर्फ तबीयत की नहीं है, कुछ और भी है। उसने तय किया कि शाम को ऑफिस से लौटते समय सरिता से मिलने उसके घर जाएगी।
शाम को जब रोशनी सरिता के घर पहुंची, तो दरवाजे पर उसकी मां मिल गईं। जब उसने सरिता के बारे में पूछा तो उन्होंने बहाना बनाया कि सरिता डॉक्टर को दिखाने गई है। लेकिन तभी खिड़की से रोशनी ने देखा कि सरिता अपने कमरे में बैठी है। यह देखकर वह चौंक गई।
रोशनी वापस लौटने लगी, लेकिन उसका मन जाने को तैयार नहीं था। उसके मन में सवाल उठ रहे थे कि आखिर सरिता की मां ने झूठ क्यों बोला। वह वापस सीधे सरिता के कमरे में पहुंच गई और बोली, “सच बताओ सरिता, तुम मुझसे क्या छुपा रही हो? दो दिन से ऑफिस भी नहीं आई और तुम्हारी मां कह रही थीं कि तुम डॉक्टर के पास गई हो, जबकि तुम यहीं कमरे में हो।”
पहले तो सरिता कुछ भी बताने से इंकार करती रही और बोली, “ऐसा कुछ नहीं है रोशनी, बस तबीयत ठीक नहीं है। जैसे ही ठीक हो जाऊंगी, ऑफिस आ जाऊंगी।”
लेकिन रोशनी को यकीन नहीं हुआ। उसने सरिता को गले लगाया और अपनी कसम दी। बोली, “अगर तुम मुझे अपनी दोस्त मानती हो, तो सच बताओ।” यह सुनकर सरिता फूट-फूटकर रोने लगी।
उसने पिछली शाम की पूरी घटना बता दी। उसने कहा, “जब छुट्टी का समय आया और सब लोग चले गए, तो सर ने मुझे रुकने को कहा। मैं रुक गई। उसके बाद सब लोग चले गए, यहां तक कि चपरासी भी। मैंने कहा कि अब मैं जाऊं, तो सर बोले — नहीं, थोड़ी देर और रुको। इसके बाद उन्होंने मेरे साथ दुष्कर्म किया और उसका वीडियो भी बना लिया। उन्होंने धमकाया कि अगर मैंने किसी को बताया तो वह वीडियो वायरल कर देंगे। अब बताओ मैं किस मुंह से ऑफिस जाऊं।”
यह सुनकर रोशनी के होश उड़ गए। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऑफिस का बॉस राघव ऐसा कर सकता है। वह तो उसे इंसान रूपी भगवान समझती थी, जो गरीब और बेबस लड़कियों की मदद करता है। लेकिन अब उसे पता चल गया कि वह मदद नहीं, बल्कि उनका फायदा उठाता था।
जो मान जाती थीं उन्हें पैसे से खरीद लेता था, और जो नहीं मानती थीं उन्हें इस तरह वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करता था।
रोशनी ने कहा, “सरिता, तुम चुप क्यों हो? पुलिस में शिकायत क्यों नहीं करती?” तभी सरिता की मां आ गईं और बोलीं, “रोशनी, तुम पागल हो गई हो क्या? तुम तो शादीशुदा हो, तुम्हारा कुछ नहीं जाएगा। लेकिन मेरी बेटी अभी कुंवारी है। अगर दुनिया को पता चला कि इसका रेप हो चुका है, तो कौन करेगा शादी? हमारी इज्जत कहां रह जाएगी? तुम यहां से चली जाओ और याद रखना, तुमने कुछ नहीं सुना।”
उस वक्त रोशनी घर चली गई, लेकिन उसके मन में सरिता की बात ही घूमती रही। उसने तय किया कि कल ऑफिस जाकर राघव से पूछेगी।
अगले दिन ऑफिस पहुंचकर उसने राघव से पूछा, “आपने सरिता के साथ ऐसा क्यों किया? उसका क्या दोष था? उसकी जिंदगी क्यों बर्बाद की?”
राघव ने जवाब दिया, “तुम्हें दूसरे के मामले में टांग अड़ाने की कोई जरूरत नहीं है। तुम्हें जॉब करना है तो करो, नहीं तो इस्तीफा दो और जाओ।”
रोशनी बोली, “अब तो मुझे यहां काम करने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन याद रखना, मैं तुम्हें छोड़ूंगी नहीं। तुम्हें इसकी सजा दिलवाकर रहूंगी।”
राघव ने धमकाया, “तुम भूल गई हो कि तुम्हारी एक 5 साल की बेटी है।”
यह सुनकर रोशनी का गुस्सा फूट पड़ा। उसने वहीं राघव का कॉलर पकड़ लिया और चप्पल से मारना शुरू कर दिया। शोर सुनकर ऑफिस के लोग आ गए और रोशनी को छुड़ाया।
शाम को उसने सारी बात अपने पति को बताई। लेकिन उसके पति ने कहा, “देखो, तुम्हें इन मामलों में पड़ने की जरूरत नहीं है। हम बड़े लोग नहीं हैं, पुलिस भी उन्हीं का साथ देती है। ज्यादा नेता मत बनो।”
लेकिन रोशनी को इंसाफ चाहिए था। वह फिर से सरिता के घर गई, पर उसकी मां ने मिलने से मना कर दिया।
एक दिन जब सरिता की मां घर पर नहीं थीं, तो रोशनी चुपके से सरिता से मिली। उसने कहा, “कब तक चुप रहोगी? अगर चुप रहोगी तो राघव जैसे दरिंदों का मन और बढ़ेगा। कभी तो किसी को कदम उठाना होगा। मैं तुम्हारे साथ हूं।”
सरिता रो पड़ी और बोली, “रोशनी, तुम क्यों मेरी वजह से अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही हो? उसके पास मेरा वीडियो है। अगर उसने वायरल कर दिया तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी।”
उधर राघव को पता चल चुका था कि रोशनी सरिता को उकसा रही है। उसने अपने गुंडों से सरिता की मां को खरीद लिया और धमकाया। यहां तक कि रोशनी के घर पर भी गुंडे भेज दिए, जिन्होंने उसकी बेटी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।
रोशनी के पति ने गुस्से में कहा, “अब तो बस एक ही हल है — तुम ये सब छोड़कर गांव चली जाओ। नहीं तो हमारी जिंदगी नरक बन जाएगी।”
लेकिन रोशनी ने मना कर दिया। उसने कहा, “अब यह लड़ाई सिर्फ मेरे और राघव की नहीं, बल्कि पूरे समाज की औरतों की है।”
वह रोज सरिता के घर जाती और दरवाजे से लौट आती।
एक दिन जब रोशनी लौट रही थी, तो सरिता ने आवाज दी, “रोशनी, रुक जाओ।” उसने कहा, “मैं तुम्हारा साथ दूंगी। तुम्हारे साहस को सलाम है। अब मैं भी इंसाफ चाहती हूं।”
दोनों नजदीकी थाने गईं और FIR दर्ज कराई। पहले तो पुलिस ने इंकार किया, लेकिन आखिरकार FIR दर्ज करनी पड़ी।
इसके बाद रोशनी और सरिता ने एक मुहिम शुरू कर दी। उन सभी लड़कियों को साथ लिया, जो कभी डर के कारण चुप थीं। जब इतनी लड़कियां एक साथ आईं तो पुलिस को मजबूरन राघव को गिरफ्तार करना पड़ा।
आज राघव जेल की सलाखों के पीछे है।