धरा जैसी बेटी – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

धरा और मेघा दोनो का ग्रेजुएशन का प्रथम वर्ष था , दोनो ही होनहार छात्रा थी परन्तु दोनो के आचार विचार मे जमीन आसमान का अन्तर था। धरा सभ्य सुशील सुलझी आधुनिक सोच की मर्यादा और संस्कारों मे बॅ॑धकर रहने वाली लड़की थी । धरा के पहनावे मे भी स्मार्टनेस के साथ साथ शालीनता थी,वह चाहे सूट पहने या जीन्स उसका कलेक्शन लोगो को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता था।उसे भारतीय परम्परा और रीति रिवाजों से लगाव था। धरा रिजर्व रहती थी और उसके दोस्त भी सीमित थे।

वहीं मेघा उन्मुक्त गगन मे आवारा बादलो की तरह उड़ने वाली घमण्डी लडकी थी। उसे छोटे कपड़े पहनना तथा ग्लैमरस दिखना पसंद था। भारतीय परम्परा तथा रीति रिवाजों को वह बोझ समझती थी। मेघा घर के लोगो के साथ कम दोस्तों के साथ ज्यादा समय गुजारती थी या यूं कहिए दोस्त ही उसकी दुनिया थे।

मेघा धरा को बिल्कुल भी पसंद नही करती थी आते जाते अक्सर मेघा जानबूझकर धरा से टकराती और धरा को बैकवर्ड कह कर निकल जाती थी। यही नही मेघा अपने दोस्तों के साथ मिलकर धरा का मजाक उड़ाती थी। धरा कभी कुछ नही कहती बल्कि मेघा की बातों को, उसकी हरकतो को नजरंदाज कर देती थी।

एक बार कालेज की तरफ से सभी लड़के और लड़कियां पिकनिक गए, वहां पहुंच कर सब ने खूब मस्ती की। मस्ती करने के बाद सभी लोग एक जगह बैठ गए। फिर सब ने अन्त्याक्षरी खेलने का निर्णय लिया। आधे लोग धरा की तरफ और आधे लोग मेघा की तरफ हो गए। पहले नंबर मेघा का आया मेघा ने मस्ती भरा रैप सुनाया सभी तालियाॅ॑ बजा कर आनन्द ले रहे थे। अब धरा की बारी आई धरा ने लता जी का सुपरहिट गीत सुनाया सभी आॅ॑खें मूंद कर गाने में डूबे गए। गाना जैसे ही खत्म हुआ सभी ने तालियाॅ॑ बजाते हुए एक्सीलेंट एक्सीलेंट कहा धरा की तारीफ सुनकर मेघा नाराज हो गई और मेघा को बैकवर्ड कहते हुए बस में जाकर बैठ गई। मेघा के दोस्तो ने मेघा की तरफ से धरा से माफी मांगी। धरा ने कहा इट्स ओके, सब ठीक हो जाएगा।

कालेज के सौ साल पूरे होने पर कालेज की तरफ से एक फंक्शन का आयोजन किया गया जिसके संचालन का कार्य भार धरा को सौंपा गया। फंक्शन में मंत्री, मुख्यमंत्री तथा कुछ विदेशी मेहमानो को भी आमंत्रित किया गया। 




धरा ने आज भगवा रंग की साड़ी पर हरे रंग का ब्लाउज पहना था। माथे पर बिंदी और एक लंबी चोटी उसकी सुन्दरता मे चार चांद लगा रहे थे। धरा आज ऐसे लग रही थी जैसे साक्षात भारत माता हो। मेघा भी बहुत सुंदर लग रही थी उसने आज डीप गले का गाउन पहन रखा था।

कार्यक्रम की शुरुआत धरा ने वीणा बाजाकर संस्कृत मे सरस्वती वंदना से की। चारों तरफ सन्नाटा पसर गया, सभी लोग वीणा की धुन मे मंत्रमुग्ध हो गए। धरा को पसंद करने वाले और न पसंद करने वाले भी धरा के कायल हो गए…सभी की निगाहें धरा पर ही जाकर टिक गई। वही मेघा ने मंत्री मुख्यमंत्री तथा विदेशी मेहमानो का स्वागत वेलकम सांग गा कर किया। पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अन्य छात्र छात्राओं ने भी एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अन्त मे धरा ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया। हाल मे बैठे सभी लोग खड़े हो गए पूरा हाल जय हिन्द भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।

अन्त मे मंत्री मुख्यमंत्री जी ने दो शब्द कहे…धरा जैसे बच्चे ही हमारे भारत की शान हैं…पहचान हैं।

विदेशी मेहमानों ने भी दो शब्द कहे आई लव इण्डिया विकाज भारत की सभ्यता और संस्कार ही भारत की असली पहचान है। भारत सभ्यता और संस्कार के लिए ही दुनिया मे जाना जाता है और अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यहां के लोग बहुत इन्टैलिजैन्ट होते हैं और दुनिया मे अपना लोहा मनवा रहे हैं।

धरा को सभी ने खूब शाबाशी दी और खूब सराहना की।

मेघा ने धरा से माफी मांगी और दोस्ती का हाथ बढ़ाया। धरा ने मुस्कुराते हुए मेघा की दोस्ती कबूल ली और माफ कर दिया। 

#संस्कार 

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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