संस्कार से बढ़कर कुछ नहीं – अर्चना कोहली “अर्चि”

निर्मला ने अपने बेटे समीर की शादी बहुत धूमधाम से की। शादी के बाद मुँह-दिखाई की रस्म में  समस्त पड़ोसियों को आमंत्रित किया गया।

“निर्मला, तेरी बहू तो चाँद का टुकड़ा है। ऐसा लगता है, हाथ लगाते ही मैली हो जाएगी”। निर्मला की प्रिय सखी रमा ने चुटकी लेते हुए कहा।

“रमा, बिलकुल सही कहा तुमने। और देखो तो इसके नैन-नक्श भी कितने सुंदर हैं”। एक और पड़ोसन ने भी प्रशंसा से निर्मला की बहू को निहारते हुए कहा।

“आखिर बहू किसकी है”? निर्मला ने गर्व से भरकर कहा।

“सुना है, तेरी बहू अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। तब तो वह अपने साथ बहुत सारा दहेज भी लाई होगी! क्या- क्या लाई है”?  रामू की दादी ने पूछा।  रामू की दादी एक तेजतर्रार महिला थी। उसकी कम लोगों से ही बनती थी।

“मेरी बहू अपने साथ संस्कारों की अपार दौलत लाई है, जिसके सामने कुबेर का ख़ज़ाना भी कम है”।

निर्मला की यह बात सुनकर रामू की दादी उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी।

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“ऐसे हैरानी से क्या देख रही हो, अम्मा। मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है। संसार में संस्कारों की दौलत से बढ़कर कुछ भी नहीं है”।

“बिलकुल सही कहा आपने। सभी ने  निर्मला की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा”। बहू का मुखमंडल भी सास की यह बात सुनकर खुशी से दमक उठा।

अर्चना कोहली “अर्चि”

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