“चटपटी यादें बचपन की” – कविता भड़ाना

नमस्कार 🙏

आज बालदिवस पर मुझे अपने बचपन की एक मजेदार घटना याद आ गई तो सोचा क्यों ना आप सब के साथ सांझा की जाए, तो ये घटना तब की है जब में आठवीं कक्षा में थी। अपनी कक्षा के सबसे बड़े शरारती बच्चो में से एक थी, लड़ाई झगड़े और टीचरों से शिकायते करने में भी नंबर वन….

मेरी ही कक्षा में एक लड़का भी पढ़ता था जिसका नाम अभिमन्यु था, वो था तो शरारती, पर अपने काम से मतलब रखने वाला। एक बार हमारी टीचर ने लड़कियों को बहुत अधिक बात करने की सजा के तौर पर एक लड़का और एक लड़की साथ में बैठने की सजा दी,मेरे साथ अभिमन्यु को बिठाया गया, दिन भर तो ठीक रहा पर छुट्टी के समय मेरी ओर अभिमन्यु की किसी बात को लेकर लड़ाई होने लगी , लड़ते लड़ते, अपनी अपनी स्कूल बस में  चढ़ ही रहे थे की उसने चीख कर बोला “ओए ऐरावत” 

अब घर जाने की जल्दी में अगले दिन के लिए छोड़ दिया की ये ऐरावत कौन है?…

अगले दिन हमारी सीट अलग अलग हो गई पर उसने मुझे ऐरावत कहना बंद नहीं किया, बच्चे भी मजे ले रहे थे पर मुझे ऐरावत का मतलब तो नही पता था लेकिन नाम बड़ा अच्छा लग रहा था तो कोई फर्क नहीं पड़ा।



हिंदी की कक्षा में मैने अपने टीचर से आखिर पूछ ही लिया सर ऐरावत कौन होता है?तब उन्होंने बताया कि ऐरावत “इंद्र देव का वाहन और एक सफेद हाथी है”

इतना सुनते ही में तो गुस्से से लाल हो गई और बाकी कक्षा हंसने लगी, वैसे तो किसी की हिम्मत होती नही थी जो मुझ से पंगा ले पर आज मजाक बन ही गया था, और मैने खुद ही तो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली थी ऐरावत का मतलब पूछकर…. खैर सर के जाते ही मैंने अभिमन्यु को पकड़कर क्लास में भी और बाहर छत पर ले जाकर इतना मारा इतना मारा और उसका सर दीवार में टकरा दिया और उसे लहूलुहान कर दिया था।

इसके बाद बताने की जरूरत नहीं की क्या हुआ होगा 

घर से माता पिता को बुलाया और आगे से ऐसा ना हो  बोलकर छोड़ दिया।

इस घटना के बाद एक फायदा ये रहा की उसके बाद लड़कियां तो छोड़ो लड़के तक भी मुझे देख रास्ता बदल लेते थे।

मेरी क्लास में पढ़ने वाले एक लड़के मनोज ने, हमारे एक पारिवारिक समारोह में मेरे पतिदेव को जब ये बात बताई तो बोले “आगे से हम भी संभल के रहेंगे और ऐरावत तो कभी नहीं बोलेंगे”😂  

सच्ची कहानी

“बाल दिवस”

कविता भड़ाना

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