प्रबंधन” – प्रीता झा

लैपटॉप पर नजरें गड़ाए  ईशा ने मुड़ कर देखा  आरव को गोद में उठाये उसकी आया लक्ष्मी खड़ी थी | ” इस महीने से मुझे 15000 रुपये चाहिए | नहीं तो मुझे दूसरा काम देखना होगा फिर मैं इतना टाइम नहीं दे पायेगी | ” ईशा वापस लैपटॉप की ओर देखने लगी लेकिन दिमाग़  लगातार सोच में डूबा था | अभी दो दिन  पहले काम वाली और खाना बनाने वाली ने भी ऐसा ही कुछ महंगाई का रोना रोकर पगार बढ़ाने की बात की थी | एक तरफ तो मंदी  की आड़ लेकर कंपनी सैलेरी बढ़ाने से साफ बच रही थी दूसरी तरफ इतना भारी हाउस लोन | सुबीर से कुछ कहना सुनना बेकार था | पहले ही हर महीने की किश्त चुकाने में उसकी आधी से ज्यादा कमाई जा रही थी | दोनों ने मिलबैठ कर पहले ही खर्चो का बंटवारा कर लिया था | घर चलाने की जिम्मेवारी ईशा की थी |

     ईशा को याद आया माँ ने दबी जुबान से इतना बड़ा घर लेने से उसे मना किया था लेकिन उसकी जिद के आगे किसी की नहीं चली | अचानक ईशा ने मन ही मन हिसाब लगाया  माँ को बुला लेती हूँ | आरव को संभालना और खाना बनाना दोनों काम वो आराम से संभाल लेंगी | सीधे – सीधे 25000 रुपयों की बचत हर महीने और इन कामवालियों की रोज की खिच  खिच से भी मुक्ति | दिवाली पर मम्मा को एक महँगी वाली साड़ी गिफ्ट कर दूँगी वो भी खुश |

    ”  हेलो मम्मा सॉरी पिछले दो हफ्तों से कॉल नहीं कर पायी | पता है आज आरव ने सुबह उठते ही नानी कहा | उसकी आया भी 2 महीनों के लिए घर जाना चाहती है | किसी नई  आया के भरोसे तो उसे नहीं छोड़ सकती ना | मम्मा आप आ जाओ ना कुछ महीनों के लिए हमारे पास |”

        हाँ बेटा जरूर आऊंगी | यहाँ तुम्हारे पापा ने एक नया काम शुरू किया है पैसे ज्यादा नहीं हैँ लेकिन उनका मन लग जाता है | यहाँ घर सँभालने के लिए एक कामवाली है मेरी नजर में लेकिन 10000 रुपये मांगती है महीने का खैर वो तो तू कर ही देगी | अरे याद आया हवाई जहाज के टिकट कितने महंगे हो गए हैँ आने जाने के टिकट कटवाकर मुझे बता देना | मै नई आया के साथ आरव को संभाल लूँगी| घुटनों की वजह से ज्यादा भाग दौड़ तो नहीं कर पाऊँगी ना |

ठीक बेटा बाय आरव को प्यार देना | दामाद जी को आशीर्वाद |

फ़ोन हाथ में लिएआत्मनिर्भर ईशा अपने मंसूबों की धज्जियाँ उड़ते और  माँ का कुशल प्रबंधन देख रही थी |

प्रीता झा

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