इज्जत और मर्यादा के नाम पर बेटियों की बलि कब तक दी जाएगी ? – संगीता अग्रवाल 

“पता नही हमारी बच्ची कैसी होगी कई दिन से फोन भी नही आया उसका मैने मिलाया तो उठा नही !” सुगंधा जी पति राघव जी से बोली।

” अरे व्यस्त होगी तुम भी ना बेवजह चिंता करती हो !” राघव जी बोले।

” रुको मम्मी मैं मिलाता हूँ दीदी को कॉल !” तभी बेटा रिजुल बोला और फोन निकला तभी सुगंधा जी के फोन की घंटी बजी और वो उसे उठाने कमरे मे गई।

” चारु नही रही !”  फोन पर इतना सुना सुगंधा जी ने और पछाड़ खाकर गिर गई …धम की आवाज़ सुन घर वाले दौड़े आये।

” क्या हुआ ….क्या हुआ !” का शोर गुंजने लगा पर सुगंधा जी को तो बस एक भी बात सुन रही थी सुन क्या रही थी कानो मे गूंज रही थी ‘ चारु नही रही ‘ !

” कुछ बताओगी भी किसका फोन था और क्या हुआ चारु को ?” उनके पति राघव जी उन्हे झिझोड़ते हुए बोले।

” पापा आप मुझे फोन दीजिये मैं देखता हूँ किसका फोन आया था !” बेटा रिजुल बोला और फोन ले आखिरी कॉल मिलाने लगा।

” क्या …!” फोन पर बात करते वो चीख पड़ा।

” क्या हुआ है कुछ बोलेगा भी !” राघव जी बोले।

” पापा दी चारु दी अब इस दुनिया मे नही रही जल्दी चलिए हमें अभी मानव हॉस्पिटल पहुंचना है !” रिजुल किसी तरह खुद को संभालते हुए बोला।

” मेरी चारु नही रही मेरी बच्ची !” सुगंधा जी सदमे की हालत मे बड़बड़ाए जा रही थी ।

उन्हे किसी तरह लेकर पुरा परिवार रोता बिलखता अस्पताल पहुंचा। वहाँ जाकर पता लगा चारु ने खुद को आग लगा ली थी उसके ससुराल वाले उसे आनन फानन आये और अस्पताल मे सुगन्धा जी का नंबर लिखवा फरार हो गये।

सुगंधा जी को बेटी का चेहरा देखना भी नसीब नही हुआ क्योकि वो जल इतना गया था कि डॉक्टर ने अनुमति ही नही दी चादर उठाने की सुगंधा जी बेटी से लिपट रो दी बस ।




तभी वहाँ इंस्पेक्टर अपने हवलदार् के साथ पहुंचा जिसे डॉक्टर ने ही फोन किया था उसने डॉक्टर से कुछ बात की फिर  सुगंधा जी , राघव जी और। रिजुल की तरफ बढ़ा।

” आपका क्या कहना है क्या आपकी बेटी ने आत्महत्या की होगी या उसको जला कर मारा गया है ?” इंस्पेक्टर ने पूछा।

” मेरी बेटी खुद नही जल सकती उसे जलाया गया है …उसे जला कर मारा गया है मेरी बच्ची चली गई !” ये बोल सुगंधा जी रोते रोते जमीन पर बैठ गई।

” आपको किस पर शक है राघव जी क्या आप कुछ जानते थे इसके बारे मे या आपकी बेटी ने जिक्र किया था कुछ ?” इंस्पेक्टर ने फिर पूछा।

राघव जी और सुगंधा जी कुछ बोलने की हालत् मे नही थे जिनकी जवान बच्ची की लाश सामने पड़ी हो वो वैसे ही अपने  होश मे कहाँ रह सकते है।

” इंस्पेक्टर साहब मैं ये तो नही जानता मेरी दी खुद से जली या जलाया गया उन्हे पर अगर वो खुद से जली तब भी उन्हे उकसाया गया होगा इसके लिए इसलिए आप उनसबके खिलाफ् रिपोर्ट लिख गिरफ्तार कीजिये उन्हे !” रिजुल गुस्से मे बोला।

” हम्म आपको किस किस के खिलाफ रिपोर्ट लिखवानी है !” इंस्पेक्टर हवालदार को कुछ इशारा करता बोला । हवालदार ने तुरंत एक रजिस्टर खोल लिया।

” सर मेरी दी के सास ससुर , उनके पति , ननद और….!” रिजूल एक बार को रुक गया।

” और क्या यंग मैन! ” इंस्पेक्टर रिजुल के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला ।

” सर मेरे माता पिता भी !” रिजुल रोते हुए बोला इंस्पेक्टर ने चौंक कर सुगंधा जी और राघव जी को देखा राघव जी हैरान हो खड़े हो गये।

” क्या बोल रहे हो तुम हम अपनी। बच्ची को मारेंगे ?” राघव जी गुस्से मे बोले।

” आप सही से बताइये पूरी बात् आप अपने मा बाप पर इलज़ाम क्यो लगा रहे है ?” इंस्पेक्टर ने पूछा।

” सर मेरी दी जिंदगी को भरपूर जीने वाली लड़की थी …वो पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी पर पापा मम्मी को तो उसकी शादी की जल्दी थी . पापा के दोस्त ने अपने बेटे के लिए दी का हाथ मांगा तो पापा ने झटपट उनकी शादी कर दी बिना लड़के के बारे मे जाने !” ये कह रिजुल सुबकने लगा।




” फिर !” इंस्पेक्टर उसकी कमर सहला उसे दिलासा देते हुए बोले । सुगंधा जी और राघव जी एक् टक बेटे को देख रहे थे उनकी आँखों मे भी आंसू थे।

” फिर शादी के बाद दी को कभी कुछ कभी कुछ लाने को कहा जाता कितनी बार जीजू ने दी से पैसे मंगाए दी मना करती तो उन्हे प्रताड़ित किया जाता …दी आकर मम्मी पापा को बताती थी रोती थी और वापिस ना भेजने की विनती करती थी पर मम्मी पापा हर बार इज़्ज़त की दुहाई देते हुए कुछ ना कुछ देकर भेज देते इससे उन लोगो की मांग बढ़ने लगी वो लोग दी को किसी से बात नही करने देते थे। दीदी पर इलज़ाम लगाते उन्हे चरित्रहीन बोलते। दी मुझसे अपने दर्द कहती मैं मम्मी पापा को समझाता तो मुझे नासमझ बोल चुप करवा दिया जाता था मम्मी भी बेटी का दर्द नही समझ रही थी उल्टा सबको लोक लाज की पड़ी थी मुझे बोला जाता की लड़की वालों को अपनी मर्यादा मे रहना पड़ता है …पर ये कैसी मर्यादा जिसने मेरी दी को छीन लिया !” ये बोल रिजुल रोते हुए अपने माता पिता को देखने लगा उन दोनो की आँखों मे अब बेटी को खोने के साथ साथ पछतावे के भी आंसू थे।

” हमें यही लगता था बेटी का घर बसा रहे किसी तरह बस इसलिए उसे समझा देते थे वो गलत नही थी फिर भी उसे मर्यादा मे रहने को बोलते थे सोचते थे धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा !” राघव जी बोले।

” वो कैसा घर पापा जहाँ दी को सिर्फ अपमान मिला  और इंस्पेक्टर साहब अभी एक महीना पहले जीजू ने कार की मांग कर दी जो की पापा के बस मे नही था दी ने जब इंकार कर दिया कि मैं अब पापा से कुछ नही मांगूगी तब जीजू ने और उनकी मम्मी ने दी को मारा यहाँ तक कहा की एक चरित्रहीन लड़की को रखने की कीमत तो तेरे बाप को देनी होगी। जबकि दी ने जीजू के सिवा कभी किसी का नाम तक नही लिया । तब दीदी वापिस आ गई थी हमारे पास पापा ने अपने दोस्त यानि जीजू के पापा से बात की तो उनका कहना था कि कार आपके जमाई और बेटी को चाहिए इसमे हम क्या करे …मतलब यही था कि मिलीभगत सबकी थी !” रिजुल एक सांस मे बोला।

” बेटा मुझे क्या पता था मेरा दोस्त दोस्ती की आड़ मे मेरी पीठ मे छुरा घोपेगा उसने तब हाथ जोड़ बेटी का हाथ माँगा था !” राघव जी बोले।

” आपको बजाय उन लोगो की मांग पूरी करने के उनके खिलाफ् एक्शन लेना चाहिए था !” इंस्पेक्टर राघव जी से बोले।

” वही मैने कहा था पर इन्होने जीजू की फैमिली को बुला हाथ पैर जोड़ दी को वापिस भेज दिया । दी कितना गिड़गिड़ा रही थी कितनी मिन्नतें कर रही थी कि मुझे पढ़ लिखकर काबिल बन जाने दो अब वर्ना शायद आप लोग मेरा मुंह भी दुबारा ना देख सको पर ये नही माने और देखिये वही हुआ आज हम दी का जीता जागता क्या मृत मुंह भी नही देख पाये । तो बताइये जीजू और उनकी फैमिली वालों के साथ साथ मम्मी पापा भी जिम्मेदार है की नही दी कि मौत के  !” ये बोल रिजुल बिलख् पड़ा।




” सही कहा बेटा हम ही जिम्मेदार है अपनी बेटी की मौत के इंस्पेक्टर साहब हमें सजा दे दीजिये पर उन लोगों को भी छोड़ियेगा नही हमने लोक लाज और मर्यादा की बलि चढ़ा दिया अपनी बेटी को !” सुगंधा जी रोते रोते बोली।

” आप लोगो को कानून तो कोई सजा नही देगा हालाँकि आप लोग बहुत बड़े गुनहगार हो …अपनी बेटी का दर्द नही समझ सके आप क्या रूपए पैसे से बेटी का सुख खरीदा जा सकता है …नही मैडम बिल्कुल नही रही लोक लाज की बात लोग आपके बच्चों को नही पैदा करते ना पढ़ाते बड़ा करते फिर उनके डर से क्यो आप जैसे लोग खुद अपनी बेटियों के लिए खड्डा खोद देते है ऐसे लालचियों की मांगे पूरी कर करके ।आपने जितना पैसा बेटी की शादी मे और फिर उसके ससुराल वालों की मांग पूरी करने मे खर्च किया उसका आधा भी उसकी शिक्षा मे खर्च कर दिया होता तो शायद आपकी बेटी आपके साथ होती पर अफ़सोस आज भी कुछ माँ बाप बेटी की शादी को उसकी पढ़ाई से ज्यादा जरूरी समझते भले बाद मे पछताना क्यो ना पड़े …अब आपकी सजा यही है सारी उम्र बेटी का गम मनाओ और खुद को धिक्कारों !”  इंस्पेक्टर गुस्से मे बोला।

” सर आपको डॉक्टर बुला रहे है !” तभी नर्स ने आकर इंस्पेक्टर से कहा।

” आप चिंता मत कीजिये हम उन लोगो को जल्द पकड़ लेंगे और सजा भी देंगे आप यहाँ की फॉर्मेलिटी पूरी कीजिये मैं आता हूँ !”रिजुल से ये बोल इंस्पेक्टर डॉक्टर का ब्यान लेने चला गया।

कुछ दिनों बाद चारु के ससुराल वाले पकड़े गये और उनके और पड़ोसियों के बयान से ये नतीजा निकला की चारु ने खुद को आग लगाई थी क्योकि वो तंग आ चुकी थी अब …पर उसको आग लगाने को मजबूर करने और दहेज़ की मांग करने साथ ही बहु को प्रताड़ित करने के जुल्म मे चारु के ससुराल वालों पर मुकदमा चल रहा है ।

दोस्तों देर सवेर उन्हे सजा भी मिल जाएगी और वो सजा पूरी कर छूट भी जाएंगे पर क्या चारु वापिस आएगी ?

क्या एक मां बाप का आंगन बेटी से फिर गुलजार होगा ?

क्या एक भाई की कलाई पर अब राखी सज पायेगी ?

नही ऐसा नही होगा और उसके जिम्मेदार जितने चारु के ससुराल वाले है उतने माँ बाप भी है जिन्होंने जानते बुझते भी इज्जत और मर्यादा के लिए बेटी को मौत के मुंह मे धकेला । कानून मे ऐसे माँ बाप के लिए भी सजा का प्रवधान हो जाये तो शायद कुछ बदलाव आये । शायद ऐसे माँ बाप ससुराल वालों की मांग पूरी करने की जगह बेटी का साथ दे ! तब शायद बहुत सी चारु यूँ अपनी जान देने को मजबूर ना हो।

कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद आपका

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!