सोनिया शेखर और सुमन की लाडली और सुधीर और सुनील की प्यारी बहना थी।तीनो भाई बहन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे।छोटी छोटी बातों पर लड़ना झगड़ना,एक दूसरे की चीजे छीनना ये तो लगा ही रहता था।जब कभी सोनिया भाईयों की शिकायत मम्मी पापा से करते तो वे सोनिया का ही पक्ष लेते और कहते -जब तुम्हारी बहन बड़ी होकर ससुराल चली जाएगी तब तुम्हें इसकी कद्र होगी। इसी तरह ज़िन्दगी के दिन कट रहे थे।
सोनिया बचपन से ही पढ़ाई में तेज थी आज वह नामी बाल चिकित्सक बन गई थी। सुधीर भी बचपन से ही कुशाग्रबुद्धि का था,वह भी बैंक मैनेजर बन चुका था जब कि सुनील का मन पढ़ने में नही लगता था फिर भी मम्मी पापा के समझाने पर उसने बी ए बी एड किया और एक सरकारी विद्यालय मे हिन्दी का शिक्षक बन गया था।
अब शेखर ने अपने मित्र के होनहार बेटे संदीप के साथ सोनिया का विवाह तय कर दिया था। संदीप सोनिया की सहेली लता का भाई और हड्डियों का चिकित्सक था। संदीप ने सोनिया को एक बार अपनी बहन लता के जन्मदिन पर देखा था और उसकी सादगी उसे इतनी अच्छी लगी कि उसने अपने पिता साहिल से सोनिया के साथ विवाह करने की बात कही थी। सोनिया का विवाह संदीप के साथ हो गया और वह अपनी ससुराल चली गई।आज दोनो भाईयों को बहन के बिना घर सूना -सूना लग रहा था।
सुधीर ने भी अपनी मनपसंद लड़की रागिनी से कोर्ट मैरिज कर ली।जब कि सुमन ने सुनील का विवाह अपनी ही बिरादरी की लड़की सौम्या से करा दिया।
रागिनी और सौम्या के स्वभाव मे जमीन -आसमान का अंतर था।सुनील के विवाह के कुछ दिनों बाद ही सुमन की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गई।
शेखर अब अपने आप को अकेला महसूस करने लगा। बेटे और बहुएं अपने आप मे मस्त रहते थे, उनके पास पिता के पास दो मिनट बैठने का भी समय नही था।कभी कभी छोटी बहू सौम्या और सुनील उनके पास थोड़ी देर के लिए हालचाल पूछने आ जाते।संदीप और सोनिया एक दो दिन बाद शेखर के पास आते कभी उसे अपने घर ले जाते जहां उसका मन नन्ही सुमी के साथ लग जाता।
एक दिन जब सोनिया अपने पापा से मिलने आई तो दरवाजा खुला था वह चुपचाप जैसे ही उनके कमरे में जाने लगी उसने सुना कि रागिनी सुधीर से कह रही थी -यह जो सोनिया दीदी,हर दूसरे दिन पापा जी को देखने के बहाने आती है,जरूर वह यह कोठी अपने नाम करवाना चाहती है? सोनिया ने देखा -उसके भाई ने अपनी पत्नी को एक बार भी मना नहीं किया।यह सब सुनकर सोनिया ने उस घर मे आना जाना छोड़ दिया और संदीप को भी मना कर दिया।
शेखर रोज शाम को दोस्तों के साथ पार्क मे सैर करने जाता था वहीं पर कभी कभी दोनों मिलकर वापस चले जाते थे।।
सोनिया अस्पताल मे एक बच्चे की जांच कर रही थी कि शेखर का फोन आया कि सुधीर और रागिनी दुर्घटनाग्रस्त होकर सी टी अस्पताल में भर्ती है। सोनिया ने संदीप को सूचित कर दिया और झटपट अस्पताल पहुंची। वहां पता चला कि सुधीर को तो मामूली चोट लगी है पर रागिनी की हालत सीरियस है। तुरन्त आपरेशन ना किया गया तो बचना मुश्किल है और आपरेशन के लिए बीस लाख रुपए लगेंगे। इतने मे संदीप वहां आ गया और उसने रुपए जमा कर दिए।
पांच घंटे बाद पता चला कि रागिनी अब खतरे से बाहर थी।जब रागिनी घर आई तो उसे सच्चाई का पता चला और उसने सोनिया को गले लगाकर कहा -आज प्यारी बहना ने मेरी जान बचाकर यह बतला दिया कि अपने तो अपने होते हैं।
#अपने_तो_अपने_होते_हैं
कांता नेगी