सासूमां के रूप में एक प्यारी सी मां – सुषमा यादव

कभी कभी हम अपनों को समझ नहीं पाते हैं,, एक कुंठा सी पाले रहते हैं,, जरूरत पड़ने पर क्या हमारे अपने हमारे काम आयेंगे या कोई बहाना बना देंगे,,

यदि हम आगे बढ़ कर उनसे मदद नहीं मांगेंगे तो हम उनकी प्रकृति और विचार को कैसे जानेंगे।

 

,, मदद मांगना हमारी कमजोरी नहीं, हमारे ज्ञान और नम्रता की निशानी है।।।

 

दरअसल मैं अपनी बेटी को समझा रही थी। विदेश में बसी मेरी बेटी को मेरी सख्त ज़रूरत थी। तब मैं अपने पिता जी के कारण उसके पास जाने में असमर्थ थी। अब वे चले गए तो बेटी आने की ज़िद करने लगी।

मैंने कहा, बेटा,, आपरेशन की वजह से ना तो मैं ज्यादा देर खड़ी रह सकतीं हूं और ना ही नीचे बैठ सकतीं हूं,, ज्यादा काम भी मुझसे नहीं होता,, और हां, मैं अपनी तीन साल की नातिन को भी नहीं संभाल पाऊंगी। तुम ऐसा करो, पिछली बार मैं आई थी अबकी अपनी सासू मां को बुला लो।

 

बेटी बोली,, मम्मी, वो तो नौकरी करतीं हैं, और पापा जी का बिजनेस है तो मैं कैसे कहूं,, मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही है, उन्होंने मना कर दिया तो,,

मेरे बहुत जोर देने पर उसने अपने फैमिली ग्रुप में मैसेज भेज दिया,,

 

मेरी मां अबकी नहीं आ सकती हैं,

मेरे अस्पताल जाने पर बच्ची कैसे करेगी,,उसकी मुझे बहुत चिंता हो रही है,,। तुरंत ही उसकी सास का मैसेज आया,, मैं आ रहीं हूं ना बेटा, मैं हूं ना। तुमने अभी तक कहा नहीं था, नहीं तो मैं कब का आ जाती। मैंने सोचा शायद तुम्हारी मां आ रही होंगी।

 

पर मम्मी जी,आप की सर्विस और पापा जी कैसे रहेंगे अकेले।

,, बेटा, परिवार और तुम से बढ़कर सर्विस नहीं है, और पापा जी,, वो अकेले सब कर सकते हैं, खाना भी बना लेंगे और बिजनेस भी संभाल लेंगे।

पर मम्मी जी, यहां तो मेड रखना बहुत मुश्किल है,,सब काम पापा,,?? नहीं,बेटा वो सब कर लेंगे,हम सब आदी हैं हर काम करने के लिए।



और उसकी सासूमां दूसरे दिन ही पहुंच गई। मैंने भी चैन की सांस ली।

 

बेटी ने बताया,, मम्मी,, मेरी मम्मी जी ने आते ही सब कुछ संभाल लिया,, वो मुझे एक भी काम नहीं करने देती हैं। बिटिया तो उनके आने से बहुत खुश है। उसके साथ पूरा समय खेलतीं हैं,, गेम्स खेलती हैं, गाने सुनाती हैं,, और डांस भी दोनों मिलकर करतीं हैं।

अब वो मुझे बिल्कुल परेशान नहीं करती,, अपनी दादी के आगे पीछे घूमती रहती है,,

मम्मी जी, मुझे कोई काम नहीं करने देतीं हैं। खाने पीने से लेकर साफ सफाई बर्तन कपड़े सब करतीं हैं। मेरा हर तरह से ध्यान रखतीं हैं।

कुछ भी करने लगूं तो तुरंत आकर मना कर देती हैं,, नहीं,बेटा ,अब तुम आराम करो, बस कुछ ही दिन में तुम हम सबको खुशखबरी देने वाली हो।

मैं तो उनका बर्ताव और प्यार देख कर हैरान हूं। हम दोनो एक दूसरे से ज्यादा नहीं घुले मिले थे, बहुत कम बात करते थे,,जब जब वो आतीं थीं,, मुझे नहीं मालूम था कि एक और प्यारी सी मां मुझे मिल जायेंगी,, जो मेरा पग पग पर ख्याल रखेंगी और हां, मेरी ननद भी आ गई है,सब लोग बहुत ही अच्छे हैं, उनके आने से मुझे बड़ा आराम मिला है, मेरी टेंशन खतम हो गई है।



 

मैंने कहा,बेटा,मदद मांगना वो भी अपनों से,, कोई इसमें अपमान की बात नहीं है,,

मदद मांगना हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारे ज्ञान और नम्रता की निशानी है।

और हां बेटा, हमारी स्वतंत्रता अक्सर हमें असहाय बना देती है, और कभी कभी दूसरों पर निर्भरता हमें संस्कारी बना सकती है। हमारी परस्पर निर्भरता हमारे जीवन जीने का एक तरीका है।

 

तुमने अपने दोनों के बीच एक दूरी बना रखी थी, तुम्हारा अहं तुम्हारे आड़े आ रहा था,,या यूं कहो कि संकोच भी कर रहीं थीं कहने के लिए,,, पर आखिर,

*** अपने तो अपने ही होते हैं,,*** 

 

हां मम्मी, आपने सही कहा,, मैं अस्पताल गई, उन्होंने अकेले घर बाहर सब संभाला, बच्ची को भी बड़े प्यार से रखा, और अब आपके नवजात नाती की देखभाल भी बड़े प्यार से कर रहीं हैं, मुझे आपकी कमी बिल्कुल नहीं महसूस करने दिया।

,,,,सच में मेरी सासूमां मेरे लिए मां जैसी साबित हुई हैं।

मेरी सासूमां सबसे अच्छी सासू मां हैं,,हम दोनों का प्यार इसी तरह हमेशा बना रहे।

आपने सही कहा,, अपने तो अपने ही होते हैं,,,

 

सुषमा यादव, प्रतापगढ़ उ प्र

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित 

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