दो दिन गांव में बिताने के बाद रवि वापस घर आ रहा था। उसे अपनी अम्मा की चिंता हो रही थी। जिसे वह ईश्वर की तरह पूजता था। जो दमा की बीमारी से पीड़ित थी। उसके बड़े भाई किशन भाभी सीमा व पांच साल का भतीजा अंकित उसकी अम्मा पुष्पा देवी के पास घर पर थे मगर रवि अपनी अम्मा की बीमारी की वजह से हरदम चिंतित रहता था।
रात के दस बज रहे थे,रवि के घर पर सन्नाटा पसरा हुआ था।”भाभी अम्मा कहा है?”रवि अपनी भाभी सीमा को देखकर बोला।”अम्मा अपने कमरे में सो रही है?”सीमा दरवाजा बंद करते हुए बोली। पुष्पा देवी पलंग पर लेटी हुई थी।”अम्मा क्या हुआ,आज बहुत जल्दी लेट गई तुम तुम्हारी तबियत ठीक है?”
रवि पुष्पा देवी के पास पलंग पर बैठते हुए बोला।”ठीक है बेटा तू खाना खा ले और सो जा,थक गया होगा?”पुष्पा देवी रवि को दुलारते हुए बोली।”ठीक है अम्मा खा लूंगा,अम्मा तुम उठती क्यूं नहीं लेटी हुई हों, क्या हुआ?”रवि पुष्पा देवी का हाथ पकड़ते हुए बोला। पुष्पा देवी रवि को देखते हुए खामोश हो गई।
“अम्मा उठो तुम उठती क्यों नहीं?”रवि पुष्पा देवी को पकड़कर उठाते हुए बोला।”छोड़ दें बेटा! पुष्पा देवी दर्द से कराह उठी।”अरे अम्मा, क्या हुआ तुम्हें,तुम बोलती क्यूं नहीं?”रवि घबराते हुए बोला। “रवि बेटा! मेरा पैर फिसल गया था,कमर में थोड़ी चोट लग गई है?”पुष्पा देवी कराहते हुए बोली।
“अरे अम्मा कैसे गिर गई तुम भैया और भाभी कहां थे?”रवि झुंझलाते हुए बोला।”अरे बेटा परेशान मत हो थोड़ी चोट लगी है?”पुष्पा देवी रवि को दिलासा देते हुए बोली।”अम्मा तुम उठ नहीं पा रही हों, और कहती हों थोड़ी चोट लगी है?”रवि चिन्तित होते हुए बोला। और किशन के कमरे की तरफ बढ़ गया।
“भाभी क्या हुआ अम्मा कैसे गिर गई?”रवि झुंझलाते हुए बोला।”रवि चिल्ला क्यूं रहे हों,अम्मा फिसलकर गिर गई है,सुबह चलकर दिखा देंगे?”किशन रवि को समझाते हुए बोला।”नहीं भैया सुबह नहीं अभी दिखाने जाना है अम्मा को,अम्मा उठ नहीं पा रही है, उसे बहुत दर्द हो रहा है?”रवि किशन की ओर देखते हुए बोला।
“सुनिए आप परेशान मत होइए रवि जैसा चाहे उसे करने दीजिए उसे हम लोगों पर विश्वास ही नहीं है?”सीमा रवि की ओर देखकर ताना मारते हुए बोली। रवि सीमा की ओर देखते हुए बिना कुछ बोले उनके कमरे से बाहर निकल गया। बाहर एम्बूलैंस खड़ी थी,रवि एम्बूलैंस कर्मी की मदद से पुष्पा देवी को लेकर अस्पताल की ओर रवाना हो चुका था।
रवि को रात में ही पता चल चुका था कि उसकी अम्मा को गम्भीर चोट लगी है। उसने किशन को न बताकर सुबह अम्मा के इलाज के लिए रूपयों का इंतजाम कर लिया था। पुष्पा देवी की रिपोर्ट आ चुकी थी उनकी रीढ़ की हड्डी में फैक्चर हों गया था।15, दिनों तक रवि दिन रात पुष्पा देवी के पास ही रहता था।
कुछ घंटों के लिए ही वह घर जाता था।किशन और सीमा कुछ देर के लिए ही अस्पताल में पुष्पा देवी के पास जाते थे। पुष्पा देवी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। डाक्टर ने रवि को समझाते हुए कहा था कि लगभग 6, महीने तक उन्हें बेंड रेस्ट करना है।
उनको सभी नित्य कर्म पलंग पर ही कराना होगा,चार बार सेकाई करनी है,उनका हर पल ख्याल रखना है,तब वह चल फिर पाएंगी। रवि अपनी अम्मा को लेकर घर वापस आ गया था।
रवि दिन रात अपनी अम्मा की सेवा में लगा रहता था।घर के बाहर वह केवल दवाई लेने ही जाता था।”भाभी अम्मा का पूरा बिस्तर गीला हो गया है,मैं दवाई लेने गया था,अम्मा को पेशाब लगी थी?” रवि सीमा की ओर देखते हुए बोला।”मेरे पास और भी बहुत से काम है,खाना बनाना अंकित को तैयार करना, वैसे भी नहा चुकी थी,अम्मा को
पेशाब कराती तो मुझे फिर से नहाना पड़ता?”सीमा गुस्साते हुए बोली।”वाह अम्मा को पेशाब कराने में तुम्हें फिर से नहाना पड़ता,जिसने अपने सभी जेवर आपको और लाखों रुपए की राशि,और अपनी हर महीने मिलने वाली पेंशन का मालिक भैया को बना रखा है,उसी अम्मा को पेशाब कराने में आपको घिन आती है?”रवि गुस्साते हुए बोला।”रवि बेटा! पुष्पा देवी ने आवाज दी।
“अम्मा तुम परेशान मत होना ?”रवि की आंखों से आंसू टपकने लगे।”बेटा मैं बहुत जल्दी उठकर खड़ी हो जाऊंगी,तू चिंता मत कर,तू अपने भाई भाभी से कुछ मत कहना तू ही मेरे जीवन का सहारा है,किशन मेरा बेटा सिर्फ नाम का है,
जिस बहू को मैंने बेटी समझा,वह लालची व स्वार्थी निकली,जिसके पास छल कपट के सिवा और कुछ नहीं है,किशन और सीमा को मैं अच्छी तरह जानती समझती हूं बेटा, जो एक छोटे बच्चे को भी मुझसे दूर रखते हैं,उन्हें मां नहीं अपना स्वार्थ सिद्ध करना है?”कहते हुए पुष्पा देवी की आंखों से आंसू बहने लगे।
“ठीक है अम्मा मैं कुछ नहीं कहुंगा बस तुम जल्दी ठीक हो जाओ?”रवि पुष्पा देवी को धीरे-धीरे उठाते हुए बोला। पुष्पा देवी रवि की दिन रात सेवा से उठने बैठने लगी थी।
“किशन यहां आओ?” हा अम्मा जल्दी बोलो मुझे आफिस जाना है?”किशन पुष्पा देवी से बोला।”सीमा कहां है उसे भी बुलाओ?”पुष्पा देवी किशन से बोली। सीमा और किशन पुष्पा देवी के पास खड़े हुए थे।”रवि बेटा इधर आओ बैठो?”पुष्पा देवी रवि को अपने पास बैठने का इशारा करते हुए बोली।
“किशन मेरी बैंक चेकबुक लेकर आओ,सीमा तुम सारे जेवर लेकर यहां आओ?”पुष्पा देवी किशन और सीमा को निर्देश देते हुए बोली।किशन और सीमा एक दूसरे की तरफ देख रहें थे।”लो अम्मा बैंक चेक बुक?”किशन पुष्पा देवी की तरफ चेकबुक बढ़ाते हुए बोला।”जेवर क्या करोगी अम्मा?
“सीमा नाक चढ़ाते हुए बोली।”मैं जेवर क्या करूगी मैंने तो रवि के पिता के जाने के बाद वह मेरे किसी काम के नहीं रहे, लेकिन मेरी आने वाली छोटी बहू को भी मुझे आधे जेवर देना है?
“पुष्पा देवी सीमा को डपटते हुए बोली।”रवि बेटा आज से तू ही मेरी चेकबुक से पैसे निकालेगा और तू ही मेरी हर चीज का मालिक होगा,मुझे किशन जैसा स्वार्थी बेटा, और सीमा जैसी स्वार्थी बहू नहीं चाहिए?”पुष्पा देवी सीमा और किशन से मुंह फेरते हुए बोली।
किशन और सीमा एकटक पुष्पा देवी की ओर देख रहे थे। लेकिन पुष्पा देवी सिर्फ रवि को ही देख रही थी।
#स्वार्थ
माता प्रसाद दुबे
स्वरचित लखनऊ
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