मैं नौकरी करने लगी हूँ – संगीता अग्रवाल

 “ये क्या है रोहन तुम्हारा जब मन करता घर आते हो वरना दोस्तों साथ निकल जाते, मैं तुमसे पैसे माँगू तो है नही वैसे कितने ही उड़ाते.. मेरी और बच्चों की भी जरूरतें है.” राशि ने रोहन से कहा!

” क्यों क्या कमी रखता हूँ मैं तुम्हें और बच्चों को, खाना पीना, कपड़े लत्ते सब तो हैं.” रोहन ने फोन मे देखते हुए बोला.

” याद भी है मुझे आखिरी सूट या साडी कब दिलाई थी.. जो है मेरे पीहर का ही पुराना कपड़ा है, फिर भी मैं कुछ नही कहती मेरे सारे जेवर बिक गए इस घर की जरूरतें पूरी करने मे.. मैं चुप रही. पर अब इशू दसवीं मे आ गई दो साल बाद उसके लिए पैसे चाहिए पढ़ाई को फिर उसके बाद इशान का खर्च.. तुम फीस ही रो – रो के देते हो.” राशि मानो आज फट पड़ी.

” जो होगा देखा जायेगा मैं कल मे नही जीता.. ” रोहन लापरवाही से बोला.

” पर मुझे बच्चों का कल देखना है “

” मुझे सोना है दिमाग मत खराब करो पैसे भी कमाओ सुनो भी.. इनके मजे बिना कुछ करे धरे सब मिल रहा ” रोहन काफी  देर तक बड़बड़ाता रहा.

राशि बच्चों के कमरे मे आ गई.. क्या किया जाये क्या नही कश्मकश मे थी. रोहन को छोड़ भी नही सकती थी क्योंकि माँ – बाप नही अब .. और रोज की ये लडाई बच्चों पर गलत असर डाल सकती.. राशि पढ़ी लिखी थी पर अब पहले वाला आत्म विश्वास नही था.. लेकिन अब बहुत हुआ बच्चों के भविष्य को सँवारना है तो कुछ तो करना पड़ेगा.. क्योंकि रोहन के बदलने की आस नही.. जो इतने सालों मे नही बदला अब क्या बदलेगा….




अगले दिन से राशि ने खुद का आत्म विश्वास वापिस लाने की कोशिश शुरू की.. गूगल और youTube की मदद से इंटरव्यू की तैयारी की.. खुद पर ध्यान देना शुरू किया…

समाचार पत्रों मे नौकरी के विज्ञापन देख रोहन को बिन बताए  दो- तीन जगह इंटरव्यू को भी गई.. नाकामयाबी भी हाथ लगी पर हार नही मानी..इस तरह एक महिना बीत गया.

आज उसकी नौकरी का पहला दिन है…आज उसने अपना पुराना किरदार उतार फेंका है अब वो आत्म विश्वास से भरपूर महिला है…

” कहाँ जा रही हो सुबह – सुबह ” रोहन ने टोका.

” अपने बच्चों के भविष्य संवारने की तरफ पहला कदम बढ़ाने ” राशि ने विश्वास से कहा.

“मतलब”

” मतलब अब मैं भी नौकरी करने लगी हूँ . ” राशि ने कहा और बाहर निकल गई..

उसके चेहरे की चमक और आत्मविश्वास देख रोहन की हिम्मत नही हुई कुछ बोलने की..

आज राशि को नौकरी करते कई साल बीत गए .. रोहन मे तो ज्यादा फर्क नहीं आया पर राशि के बच्चे अपने सुखद भविष्य के बस आखिरी पड़ाव पर ही हैं.. बस अब आप सबकी शुभकामनाओं की जरूरत है राशि और उसके बच्चों को बहुत जल्द राशि के संघर्ष की जीत जो होने वाली है 🙂

दोस्तों हम औरतें कमजोर नही होती बस जरूरत है अपने अंदर की ताकत को पहचानने की.. और जब बात अपने बच्चों  पर आये तो माँ कुछ भी कर जाती है.. औरत आदमी पर तब तक निर्भर होती है जब तक अपने अंदर की ताकत ना पहचान ले.. वर्ना आदमी को जन्म देने की ताकत भी तो औरत के पास ही है..

ये रचना मौलिक है…

शुक्रिया दोस्तों कहानी पढ़ने के लिए

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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