ऐसे क्या कोई अपनी भाभी को परेशान करता है –   नीतिका गुप्ता 

क्या बहू; तुम्हें हर समय मायके जाने की पड़ी रहती है, अभी कुछ महीने पहले ही तो तुम अपनी बुआ की बेटी की शादी में अपने सब मायके वालों से मिलकर आई हो… अब क्या करना है वहां जाकर..??

वैसे भी तुम्हारे मायके वालों के पास कोई खजाना तो है नहीं जो तुम्हें बार-बार निकाल कर दे दें।

रमा जी के कटु शब्दों ने एक बार फिर से सिया की आंखों में आंसू ला दिए।

मां जी; मैं 3 सालों से 1 दिन के लिए भी अपने मायके रहने नहीं गई हूं…

मम्मी की तबीयत ठीक नहीं रहती है वो मुझे बार बार बुला रही हैं। दीदी तो इसी शहर में रहती हैं कुछ दिनों बाद भी आ सकती हैं रहने लेकिन बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने के बाद मैं नहीं जा पाऊंगी।

तुम मेरी बेटी से बराबरी क्यों कर रही हो..?? अपनी बेटी की शादी मैंने इसी शहर के धनाढ्य परिवार में की थी जिससे उसे कभी कोई परेशानी ना हो। तुम्हारे घर वालों ने ना तो शादी में कोई ढंग का खर्चा किया और ना ही शादी के बाद कुछ दिया। राखी के जाने के बाद देख लेना मिल आना 2 दिन के लिए अपनी मां से….

सिया बहुत अच्छे से जानती है कि ननद जी तो आती ही हैं कि पूरी गर्मियों की छुट्टियां यहीं पर बिताने और स्कूल खुलने के 2 दिन पहले ही वापस जाती हैं। हर बार सासु मां के इन्हीं सब तानों और कटु शब्दों के कारण वो खामोश रह जाती है लेकिन इस बार मन बहुत बेचैन है क्योंकि पिछले साल से मम्मी की तबीयत ठीक नहीं रहती है। वो भी बार-बार सिया और बच्चों को याद करती रहती हैं।

सिया ने सोचा कि शाम को राघव से इस बारे में बात करेगी और ज्यादा नहीं तो हफ्ते भर का प्लान ही कर लेगी।

शाम को….

राघव प्लीज दीदी से बात करो कि वह यहां 10 दिन बाद आ जाएं मुझे मम्मी के घर जाना है।

सिया कैसी बात करती हो यार मैं दीदी से कहूंगा कि वह अपने ही घर पूछ कर आएं हमसे…. तुम जाना चाहती हो तो चली जाओ, तुम्हें यहां कौन रोक रहा है ..!!




राघव की बात से सिया खामोश रह गई। वैसे तो राघव अच्छे से जानता है कि अगर सिया चली गई तो उसकी मां और बहन मिलकर सिर्फ इसी घर में नहीं बल्कि सिया के मायके में भी सबका जीवन दुश्वार कर देंगी। फिर भी अपना पल्ला झाड़ने को वो यह सब बोल कर निकल गया।

बच्चों(बेटा 7 साल और बेटी 9 साल) ने सिया और राघव की बातें सुन ली और मारे खुशी के झूम उठे।

वाओ हम नानी के घर जाएंगे…. कितनी सारी मस्ती करेंगे। रोज मामा जी के साथ बाजार घूमेंगे, मामी जी हमारे लिए अच्छा अच्छा खाना बनाएंगी, हमारे साथ लूडो और कैरम खेलेंगी। नानी जी रोज रात को हमें अच्छी अच्छी कहानियां सुनाएंगी। मम्मा इस बार भी हम छत पर पानी डालकर ठंडा करेंगे फिर वहीं पर स्टार्स काउंट करते हुए सोएंगे। मम्मा इस बार कुल्फी पार्टी के लिए आप हमें मना नहीं करोगी, हम रोज वहां पर मामी जी की बनाई हुई कुल्फी खाएंगे…!!

बच्चे अपनी धुन में अपने प्लांस तैयार कर रहे थे और सिया गुमसुम सी बस अपनी मां का उदास चेहरा याद कर रही थी।

अगले दिन सुबह सुबह….

ऐसे कैसे तू नहीं आएगी, अरे अपनी ननद को बोल पहले की तरह तेरे जेठ के यहां रहने जाएं। या तो ऐसा कर इंतजार ही मत कर… सामान बांध और आज शाम को ही आ जा।

दरवाजे पर चाय का कप लिए खड़ी सिया को सासु मां की बातों से समझ आ गया कि वो ननद जी से बात कर रही हैं और शायद उनका गर्मियों की छुट्टियों में यहां आने का प्लान कुछ बदल रहा है।

सिया के मन में छोटे-छोटे लड्डू फूटने शुरू हो गए… सासू मां के फोन रखते ही वो कमरे के अंदर गई..

मां जी; दीदी शाम तक आ जाएंगी ना…. तो आप मुझे सामान की लिस्ट बनवा दीजिए। बच्चों के लिए क्या-क्या लेना है और दीदी की पसंद का क्या क्या खाना बनाना है… सब मुझे बता दीजिए मैं सब तैयारी कर लेती हूं…

सिया के मन में चल रहा था अब सीधे सीधे सासू मां से कैसे पूछूं कि दीदी नहीं आ रही हैं क्या..?

नहीं बहू वो इस बार नहीं आ पाएगी.. उसकी दोनों ननदें इस बार अपने बड़े भैया के घर नहीं अपनी गर्मियों की छुट्टियां अपने छोटे भाई के घर बिताएंगी..!!

सिया का मन मयूर खुशी से नाच उठा लेकिन सासू मां को उदास और दुखी देखकर उसने भी थोड़ा दुख जताया…




अरे मम्मी जी ऐसे कैसे… आप दीदी को बोलो कुछ दिनों के लिए आ जाएं… बच्चे भी अपनी बुआ को कितना मिस कर रहे हैं।

सासू मां; अब क्या ही बताऊं मेरी प्यारी बेटी को कुछ दिन मायके में आकर जो आराम मिल जाता था, वरना तो वो पूरा टाइम अपने घर और बच्चों में ही खटती रहती है। उसकी ननदों का भी दिमाग खराब हो गया है… शर्म लिहाज तो कुछ बचा ही नहीं है … ऐसे क्या कोई अपनी भाभी को परेशान करता है ? अरे दोनों सारा दिन बिस्तर पर बैठकर हुकुम चलाती रहती हैं बस… मायके आकर तो जैसे महारानियां बन जाती हैं।

सिया अपने मन ही मन सोच रही कि सासू मां आज लाख टके की एक एक बात कह रही हैं, इसकी ननंद यहां आकर यही सब तो करती हैं। सासू मां यह भूल गई हैं कि उन्हीं की तरह किसी और मां का दिल जलता होगा जब उनकी बेटी उनसे मिलने नहीं जा पाती।

खैर छोड़ो आज यह बात तो सच हो गई कि ननद भी कभी भाभी तो बनेगी… सिया रसोई में गुनगुना रही थी,”क्योंकि ननद भी कभी भाभी है”… फिर ख्याल आने पर की अरे नहीं मुझे तो परेशान रहना है खुश नहीं होना है… कहीं मेरी खुशी को मेरी ही नजर ना लग जाए!!

सिया अपने मन में मायके जाने के सपने बुन रही थी लेकिन उधर बच्चों ने जाकर दादी पर बम फोड़ दिया।

दादी मां हम नानी के घर जाएंगे छुट्टियों में बहुत मजे करेंगे वहां पर..

किसने कह दिया तुमसे कि तुम नानी के घर जा रहे हो..??    सासु मां

कल मम्मा और पापा बात कर रहे थे हमने सुन लिया..!!   बच्चे

सासू मां मन ही मन बड़ा परेशान हो रही हैं… यह क्या हो गया बहु तो बड़ा तेज निकली… मेरी बेटी के आने का कैंसिल क्या हुआ इसमें तो अपने मां के घर जाने का प्लान बना लिया। अब क्या करूं रोज राघव का नाश्ता खाना सुबह सुबह उठकर कैसे बनाऊंगी..?? सासू मां के दिमाग में भी कुछ प्लानिंग हो गई!

 

कुछ देर बाद जब सिया खाने की थाली लेकर सासू मां के कमरे में आई तो सासू मां अपने घुटने पकड़कर कराह रही थीं।

“अरे मांजी आपको अचानक से क्या हो गया.. कुछ देर पहले तो भली चंगी थीं।”

बहु तुझे तो अपने मोबाइल से फुर्सत नहीं मिलती जो मुझ बुढ़िया का हाल-चाल तुझे पता हो…

सिया का दिमाग झनझनाया..”बुढ़िया”




मांजी कबसे बुढ़िया हो गईं… हे भगवान यह मैं क्या सुन रही हूं? पूरे मोहल्ले में एक टांग पर घूम घूमकर दिनभर मेरी बुराइयां करने वाली मांजी आज अपने घुटने पकड़ कर बुढ़िया हो गई हैं। सिया को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

जरा मेरे घुटनों के लिए कोई तेल या दवा राघव से कहकर मंगा लेना… हे भगवान मैं तो खड़ी भी नहीं हो पा रही हूं।

सासू मां को खाने की थाली देकर सिया बच्चों को खाने के लिए बुलाने गए तो देखा वो दोनों अपनी सामान पैकिंग में लगे हैं।

अरे भाई यह क्या कर रहे हो तुम दोनों,, कहां की तैयारी हो रही है..??

क्या मम्मा भूल गए आप हम नानी के घर जा रहे हैं ना..??

बेटा अभी कुछ बात तय नहीं हुई है अभी आप किसी से कुछ कहना नहीं..!!

हमने तो अभी दादी को बता दिया कि हम अपनी पैकिंग कर रहे हैं नानी के घर जाने के लिए..!!

क्या….. सिया का मुंह खुला का खुला रह गया और उससे मां जी के घुटनों के दर्द का राज भी समझ आ गया।

यह क्या कर दिया आप दोनों ने… सिया वहीं सर पकड़ कर बैठ गई।

बच्चे घबरा गए कि उनसे कोई गलती हो गई है। कुछ समय पहले जो सिया इतना खुश होकर सपने बुन रही थी अब उसकी आंखों में मायूसी के आंसू आ गए।

मम्मा आप इतना परेशान क्यों हो गई ,हमें बताओ हमसे क्या गलती हुई है?? हम उसे ठीक करेंगे..!!

सिया बच्चों का मन मारना नहीं चाहती थी और यदि वह सासू मां के घुटनों के दर्द के नाटक के बारे में बता देती तो बच्चे अपनी दादी को सम्मान भरी नजरों से ना देख पाते।

राघव के आने पर भी मांजी का घुटनों के दर्द का नाटक वैसा ही चला रात को सिया ने उनके घुटनों की अच्छे से मसाज की और उन्हें दवा भी दी।

सिया बहुत अच्छे से जानती है कि अगर आज वह मायके नहीं जा पाई तो यह मौका शायद उसे अगले साल ना मिल पाए इसलिए कुछ तो तरकीब भिड़ानी ही होगी..!!

सुबह को राघव के जाने के बाद सिया ने बच्चों को कुछ समझा कर तैयार किया और मां जी को नाश्ते के लिए ड्राइंग रूम में सहारा देकर लेकर आई।

नाश्ता करने के बाद मांजी वहीं सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगी कि तभी बच्चों ने अपनी नानी को वीडियो कॉल मिला दिया..

कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद बच्चों ने नानी मां से कहा, “नानी मां हमारी दादी ना बूढ़ी हो गई हैं और उनके घुटने भी खराब हो गए हैं अब चल भी नहीं पाती हैं.. मम्मा उनको पकड़ पकड़ कर बाथरूम भी ले जाती हैं।

नानी मां आप हमारी दादी से छोटी हो ना तभी तो आप अभी भी कितनी स्ट्रांग हो आप बूढ़ी नहीं हुई हो..!”




अपने पोता और पोती के मुंह से यह सब सुनकर सासू मां के तन बदन में आग लग गई। हर महीने पार्लर जाकर अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने वाली सासू मां “बूढ़ी” और बहू की मां “स्ट्रांग”… यह कैसा अनर्थ है।

क्या बोले जा रहे हो तुम दोनों… कल थोड़ा सा घुटनों में दर्द हो गया था तो क्या इसका मतलब मैं चल नहीं सकती। समधन जी तो मुझसे कम से कम 5 साल बड़ी होंगी..!!

लोहा गरम था सिया ने भी हथोड़ा मार दिया..”आप बिल्कुल सही कह रहे हो, आप की जितनी ताकत तो मुझ में भी नहीं है और आपकी त्वचा की खूबसूरती… क्या ही बताऊं..? मेरी मम्मी को तो अभी से बीपी और शुगर की प्रॉब्लम है लेकिन आपको कोई परेशानी नहीं है इस उमर में भी..

लेकिन क्या करें मां जी बुढ़ापा तो आना ही है अब यह घुटनों का दर्द आपको कहां इतना खूबसूरत और तंदुरुस्त बने रहने देगा…

सिया ने उदासी भरे स्वर में बहुत दुखी निगाहों से सासू मां के घुटनों की तरफ देखते हुए कहा!

अरे बहु कल तूने इतनी अच्छी मालिश की थी कि मेरे घुटने बिल्कुल ठीक हो गए तू देख मैं अभी तुझे चलकर दिखाती हूं…. और सासू मां ने पूरे घर का क्या मस्त चाल में चक्कर लगाया..!! सिया और बच्चों की आंखें तो फटी की फटी रह गईं।

वीडियो कॉल अभी भी ऑन था उधर से सिया की मम्मी की आवाज आई..”समधन जी आप तो बिल्कुल ठीक हैं,, ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको ऐसा ही चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त बनाए रखें।” मैं कल रोहन को गाड़ी लेकर भेज देती हूं सिया और बच्चे कुछ दिनों के लिए यहां पर आ जाएंगे वहां तो आप सब संभाल ही लेंगी।

सासू मां जो अब तक अपनी खूबसूरती और तंदुरुस्ती की तारीफें सुनकर फूली नहीं समा रही थीं… पल भर में ही उनकी सारी खुशी काफूर हो गई!

मगर “अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत”… मतलब अब वो चाहकर भी किसी बहाने से सिया को मायके जाने से नहीं रोक सकती थीं।

सिया ने मम्मी जी से कुछ कहे सुने बिना ही अपना सामान पैक करना शुरू किया।

अगले दिन सुबह-सुबह ही सिया का भाई रोहन पहुंच गया और चाय नाश्ते के बाद सिया बरसों बाद अपने मायके में फिर से वही गर्मी की छुट्टियां खुशी-खुशी बिताने के लिए चली गई।

 अधिकांश परिवारों में ऐसा ही होता है कि सास यह तो चाहती हैं कि उनकी बेटियां मायके आकर गर्मियों की छुट्टियां बिताएं लेकिन बहू का मायके जाना उन्हें बिल्कुल भी नहीं सुहाता।

जो ननद मायके में महीने भर अपनी हर जिम्मेदारी को त्याग कर मजे से छुट्टियां बिताती है मुझे भूल जाती है कि आज नहीं तो कल उसे भी अपनी भाभी की तरह ही पिसना होगा।

समझदारी इसी में है कि “जियो और जीने दें” का फंडा अपनाएं… मतलब खुद मायके जाकर अपनी भाभी का हाथ बटाएं और भाभी को भी अपने मायके जाकर ननद होने का सुख लेने दें

स्वरचित एवं मौलिक रचना

   नीतिका गुप्ता 

 

 

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