रंगीन पेंसिलें – नताशा हर्ष गुरनानी

बेटे की शादी होने वाली है घर में ढेरों काम अभी बचे हैं पर मन मे इतनी खुशी है की समाएँ नहीं जाती।

रोज रात में बैठकर समान लिखना, काम लिखना फिर दूसरे दिन वो काम निपटाना।

मुझे रंगो से बहुत प्यार हैं, बहुत ज्यादा इसलिए मै ये सारे काम अपनी रंगीन पेंसिलो से लिखती हूं क्योंकि ये रंग ही मुझे और मेरे घर को रंगीन बनाएंगे।

दुल्हन का लहंगा लेना है तो लाल पेंसिल से लिखूंगी

सोना लेना है तो गोल्डन पेंसिल से लिखूंगी मेहंदी हरे रंग से,  हल्दी  रस्म पीले रंग से और फिर उन रंगो के साथ नए नए सपने संजोती रहती।

घर में बहू आ रही है एक नया रंग मेरे जीवन मे आ रहा है। घर में सब खुश थे एक नये मेहमान के हमारे जीवन में आने से। 

शादी का दिन भी आ गया और शादी भी धूमधाम से हो गई सब लोग खुश हो गए सबसे ज्यादा खुश थी मै, मेरी रंगीन पेंसिलो मे एक रंग और आ गया था। दो बेटियां एक बेटा पति सासूमाँ और मै थी अब ये सातवा रंग आ गया हमारे जीवन मे।

पर ये क्या शादी को चार दिन ही हुए और बहु सारा सामान सब सोना लेके मायके गई तो आई ही नहीं। अपने साथ ले गयी मेरे घर के सारी खुशियां सारे रंग।

आज मेरी रंगीन पेन्सिलों से भी कोई रंग नहीं निकल रहा सारे रंग सूख गए, बस एक कोर्ट का काला रंग ही रह गया अब हमारे जीवन में😢😢

ये रंग मुझे बिलकुल भी नहीं पसंद

 

नताशा हर्ष गुरनानी

भोपाल

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