आज एलबम के फ़ोटो पलटते हुए एक फोटो सामने आ गया।एक दो नहीं पूरे साढ़े चार दशक से अधिक पुराना!
स्मृति ….वो भी इतनी पुरानी फ़ोटो देखते ही एकदम ताजा हो गई।परिवार में पहली शादी थी।जी हाँ मेरी ममेरी बहन की शादी।सबसे बड़ी हैं परिवार में
मैं उस वक्त मात्र ग्यारह बरस की रही होऊँगी। लंबे बालों की दो चोटी दोहरी कर के ऊपर बाँध दी जाती थी जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आती थी। ऐसा लगता मानो मैं बहुत ही छोटी बच्ची हूँ और मेरे किशोर मन को बहुत चोट लगती लेकिन बड़ों का विरोध और सवाल जवाब उस वक्त प्रचलन में नहीं थे।
उस समय दुल्हन के साथ उसकी छोटी बहन उसके साथ ससुराल जाया करती थी।
और यह अवसर मुझे प्राप्त हुआ था।मैं उनके साथ उनके ससुराल गई थी।
हर दिन कोई न कोई रिश्तेदार भोजन के लिए आमंत्रित करता और दुल्हन के साथ हमारी भी खूब आवभगत होती और हम फूले नहीं समाते।इसके अलावा रोज घूमने जाना ,शॉपिंग ,फ़िल्म देखना। बहुत ही शानदार दिन बीते।मुझे याद है हमने राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की फ़िल्म ‘ दाग ‘ देखी थी।
मुझे दीदी के ससुराल से नारंगी रंग की एक फ्रॉक उपहार में मिली थी जो मुझे बहुत ही पसन्द थी
फिर स्कूल खुल गए।सब अपने अपने काम काज में लग गए।वार त्योहार ही मिलना हो पाता।जिंदगी तेजी से पटरी पर दौड़ती रही है।
आज फ़ोटो देख कर अनायास ही सारी यादें मन के छबि गृह में फ़िल्म की तरह चल पड़ी।
हाँ !अब इस फोटो के साथ एक दुखद याद भी जुड़ गई है।इस वर्ष जीजाजी नहीं रहे।
वे दीदी उनके बच्चे ,अपने नाती पोते और हम सब को छोड़ कर चले गए।
अत्यंत दुःखद !!!आँसु नहीं रुक रहे थे समाचार जान कर ।सोच रही थी दीदी का क्या हाल होगा।पैंतालीस बरसों का साथ आज छूट गया।
शायद यही जिंदगी है।
#कभी_खुशी_कभी_ग़म
ज्योति अप्रतिम