आप तो हमारी दोस्ती के लायक भी नहीं  – संगीता अग्रवाल 

” देख के चढ़िए मैडम गिरने का इरादा है क्या !!” बस में चढ़ती एक लड़की गिरने को हुई तो उसका हाथ पकड़ते हुए सिद्धांत बोला।

” वो माफ कीजिएगा मेरी हील स्लिप हो गई थी और शुक्रिया मुझे संभालने के लिए !” उस लड़की ने बस में चढ़कर सिद्धांत से कहा।

” कोई बात नही पर आइंदा से ध्यान रखिएगा सड़क पर इतना ट्रैफिक होता है कोई अनहोनी ना हो जाए …अब हर जगह आपको थामने को बंदा तो हाजिर नहीं हो सकता ना ..वैसे मेरा नाम सिद्धांत है नेहरू प्लेस में जॉब करता हूं …और आप??” सिद्धांत बोला।

” जी मैं रिद्धि …नेहरू प्लेस में ही इंटरव्यू को जा रही हूं …!” लड़की ने कहा।

” ओह बेस्ट ऑफ़ लक….!” सिद्धांत बोला।

” थैंक यू सो मच!” रिद्धि मुस्कुरा कर बोली।

वैसे तो दोनो ने मास्क पहने थे और रिद्धि का मास्क तो जरूरत से ज्यादा बड़ा था। इसलिए वो एक दूसरे को नही देख सके पर सिद्धांत रिद्धि की आंखों की चमक में खो सा गया। दोनो अपने अपने गंतव्य पर उतर भी गए पर सिद्धांत अभी भी रिद्धि के हाथ का स्पर्श अपने हाथ पर महसूस कर रहा था।

 

” जिसकी आंखें इतनी सुंदर है वो खुद कितनी सुंदर होगी …कोई बात नही सिद्धांत बेटा अब टकराएं है तो दुबारा मिलन भी होगा ही क्योंकि दुनिया तो आखिर गोल है !” सिद्धांत खुद से बात करता मुस्कुराया और फिर सिर झटक अपने काम में लग गया।

दो दिन तक वो बस में रिद्धि का इंतजार करता रहा पर वो नहीं टकराई उसे लगा शायद रिद्धि को यहां नौकरी न मिली हो और उसने दूसरी जगह ज्वाइन किया हो वो निराश सा हो गया आज इतवार की छुट्टी होने से कारण वो घर में पड़ा भी रिद्धि के स्पर्श को महसूस कर रहा था।




अगले दिन बस में पीछे के दरवाजे के पास खड़ा था वो अचानक रिद्धि भागती हुई आई तो उसने हाथ बढ़ा दिया उसका हाथ पकड़ रिद्धि आंखों से मुस्कुरा दी और ऊपर आ उसके बराबर में खड़ी हो गई।

” मुझे तो लगा आपसे कभी मुलाकात ही नही होगी अब !” उसके पास में खड़े होते ही सिद्धांत बोला।

” जी वो मेरी आज से ज्वाइनिंग है !” रिद्धि उसकी बात को नजरंदाज करते बोली।

” बधाई हो आपको …अब जब मंजिल एक है तो मुलाकाते होती ही रहेंगी !” सिद्धांत बोला जवाब में रिद्धि मुस्कुरा दी।

दोनो की रोज मुलाकाते होने लगी क्योंकि साथ ही आना जाना होता था। दोनो में दोस्ती हो गई थी तो फोन नंबर भी बदले गए। सिद्धांत मन ही मन रिद्धि की खूबसूरती पर मिट कर उससे प्यार करने लगा था हालांकि उसने रिद्धि का चेहरा अभी मास्क में ही देखा था। उसने बातों बातों में रिद्धि के परिवार के बारे में भी पता लगा लिया था और आश्वस्त था कि ना रिद्धि शादीशुदा है ना ही उसका कोई बॉय फ्रेंड है।

 

” रिद्धि अगर शाम को जल्दी न हो घर जाने की तो कॉफी पीने चलें!” एक सुबह आखिर उसने रिद्धि से कह ही डाला।




” जी ….पर …. ओके ठीक है !” रिद्धि तनिक झिझकते हुए आखिर मान गई । सिद्धांत को तो मानो हर खुशी मिल गई। ऑफिस में उसका मन काम में भी नही लग रहा था।

शाम को वो रिद्धि को लेकर कनॉट प्लेस के एक कैफे में पहुंचा और कॉफी और सैंडविच ऑर्डर किए । आज वो रिद्धि को पहली बार देखेगा ठीक से फिर अपने मन की बात बोल देगा।

जैसे ही सैंडविच और कॉफी आई रिद्धि ने मास्क हटाया और मास्क हटाते ही ….सिद्धांत को उबकाई सी आ गई। स्पर्श का वो खूबसूरत एहसास तो कहीं खो गया। जिस रिद्धि को पास देख सिद्धांत खिल जाता था उससे आज कोसों दूर भाग जाना चाहता था।

” वो …वो रिद्धि मुझे अचानक कोई काम याद आ गया मैं चलता हूं बिल पे मैने कर दिया तुम कॉफी खत्म कर चली जाना !” सिद्धांत बिना रिद्धि से नजर मिलाए मेन्यू कार्ड में पैसे रखता हुआ बोला और मुड़ने को हुआ।

” रुकिए सिद्धांत जी …क्या हुआ …मेरे चेहरे का ये दाग देख आप मुझसे नज़रें चुराने लगे पर क्यों….दोस्ती क्या सुंदरता की मोहताज होती है….!” रिद्धि सिद्धांत को रोकते हुए बोली।

” नहीं….वो ….!” सिद्धांत को जवाब देते नही बन रहा था।

” मैं जानती हूं जब तक ये मास्क नही उतरा था मैं आपकी पसंद बनी हुई थी और मास्क उतरते ही दोस्ती के काबिल भी नही ….पर ये दाग तेजाब का है जो किसी की दी हुई निशानी है क्योंकि उसे मेरी सुंदरता से प्यार हो गया था और उसका परपोजल ना मानने पर उसने सुंदरता ही नष्ट कर दी….आपको भी मुझसे प्यार हुआ पर सुंदर न होने की वजह से इकरार न कर सके। पर ये बताइए इसमें मेरी क्या गलती जब मैं सुंदर थी तब भी किसी की नजर में खटकती थी अब नही हूं तो भी।” रिद्धि बोली।

 

” नही ऐसा नही मुझे सच में काम याद आ गया !” सिद्धांत अपनी चोरी पकड़े जाने पर निगाह नीची किए बोला।

” सिद्धांत जी हम आपकी नजरों में जो भी हमारे लिए था महसूस करते थे इसीलिए आज यहां आए कि आपका भ्रम तोड़ दें की हम सुंदर हैं….हम सुंदर थे सिद्धांत अब नही फिर भी हमे लगा था आपके रूप में एक दोस्त हमे हमेशा के लिए मिलेगा पर आप ना प्यार का मतलब जानते ना दोस्ती का । अरे कुछ मत बोलते आज पर यूं भागते तो ना दोस्ती का रिश्ता तो बनाए रहते पर नही।   जाइए आप क्योंकि आप तो हमारी दोस्ती के लायक भी नहीं ….!” रिद्धि ने ये बोल मास्क चढ़ा लिया और टेबल पर बिल के पैसे रख मुंह फेर चलती बनी।

सिद्धांत अवाक सा उसे जाते देखता रहा।….उसके बाद उसे रिद्धि नजर नही आई शायद उसने अपने आने जाने का समय बदल लिया था। सिद्धांत ने रिद्धि से माफी मांगने को फोन करना चाहा पर नंबर भी बंद था उसका।

खुबसूरती की चाह में सिद्धांत ने एक अच्छी दोस्त भी खो दी थी।

दोस्तों आपको क्या लगता है क्या तेजाब पीड़ित लड़की किसी की दोस्ती के भी लायक नही होती ? क्यों ये पुरुष प्रधान देश के कुछ मनचले लड़के लड़कियों को अपनी जागीर समझते मिली तो ठीक वरना उसे नष्ट कर दो….क्यों कुछ लोग खुबसूरती देख दोस्ती या प्यार करते क्या एक अच्छा इंसान होना काफी नही?

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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