काश्मीर की खूबसूरत वादियों में खोई वह बर्फ के पर्वतों को देखती रह जाती, प्रकृति की सुन्दरता को कितनी देर तक निहारती रहती।
अक्सर विकी उससे कहता,”कहाँ खोई रहती है तू सपनों की दुनिया में ?”
“मुझे अच्छा लगता है विकी।इन में डूब जाने को मन करता है।”
‘ मेरे मन में डूब जाओ , डुबो दो मुझे भी ।’
वह हँस देता ।कितनी मनमोहक थी उस की हँसी । नेहा उसे जान से ज्यादा चाहती थी ।कहती थी ‘ अगर तुम मुझे अकेले छोड़ कर चले गये तो जान दे दूँगी
अपनी , इन्ही में खो जाऊँगी ।”
” कैसी बातें कर रही हो जहाँ जाऊँगा तुम को लेकर ही जाना है।एक बड़ा आॅफर मिलने वाला , जिंदगी बदल जायेगी हम दोनों की। तेरी सारी ख़्वाहिशें पूरी कर दूँगा ।”
और फिर उस दिन वह
कमान्डर के पास खड़ी थी।’साहब अभी चलो मेरे साथ , बहुत बड़े बम ब्लास्ट की तैयारी में है वह सब।अभी सब देख सुन कर आ रही हूँ।”
विकी को साथियों
के साथ गिरफ्तार किया गया, फिर उससे बोले ,” शाबास , तुम्हे मै खुद
अपनी तरफ से इनाम देना चाहता हूँ सरकार जब देगी तब देगी ।बोलो क्या चाहिये ?”
” इस देश द्रोही से बेतहाशा प्यार करने का एक ही इनाम हो सकता है ‘ मृत्यु दंड ‘ ।और देखते ही देखते उसने अपने आप को गहरी घाटी में सौंप दिया।
#कभी_खुशी_कभी_ग़म
सुधा शर्मा
मौलिक स्वरचित
मुंबई