…. पलाश का दिल मीठी सी आनंदानुभूति में मग्न था….आज शरद पूर्णिमा का चांद है तीन दिनों बाद करवाचौथ का चांद दिखेगा…..अभी ही उसकी शादी हुई है नई नवेली दुल्हन तूलिका उसके लिए करवाचौथ का व्रत रखेंगी …उसके लिए …!सोच सोच कर वो आनंदित हो रहा था….जैसे मां पिताजी के लिए रखती हैं….वो बचपन से देखता आ रहा है मां कितने भाव से सम्मान से ये व्रत रहती हैं….कितने सारे पकवान भी बनातीं हैं… पिताजी की आरती भी करती हैं… उस दिन चांद भी कितनी देर से निकलता है .….जैसे उसको भी सभी सुंदरियों की बेताब नजरों में अपने लिए इंतजार देखना नखरे दिखाने का मौका मिल जाता है…. मां बार बार हमें छत पर चांद निकला या नहीं देखने के लिए दौड़ाती रहती हैं…बाल चंद्र की पूजा करूंगी…..फिर तीव्र प्रतीक्षा के बाद चांद के दर्शन होते हैं….मां मां चांद निकल आया सुनते ही सजी धजी मां सजी हुई छलनी से अपने तकदीर के चांद पिताजी को देखती हैं…और वो सोच के मुस्कुरा उठा कि…. पिताजी अपने चांद को देखते होंगे…फिर पिताजी मां को पानी पिलाके उनका व्रत पारण करवाते हैं…..फिर साथ बैठकर खाने पीने गाने बजाने का दौर सा आरंभ हो जाता है…..!
….इस बार इन सबमें तूलिका भी शामिल रहेगी….मां भी दुगने उत्साह में हैं तूलिका के साथ काफी तैयारी हो रही है …लेकिन अचानक पलाश को लगा तूलिका नए जमाने की लड़की है पूजा तो ठीक है मां के साथ कर लेगी लेकिन व्रत!!!व्रत रहना उसके लिए बहुत कठिन हो जायेगा कैसे रह पाएगी इतनी नाजुक सी तो है !….उसने मां से अपनी चिंता साझा की तो मां ने पहले तो दुलार भरी झिड़की दी अच्छा पत्नी की अभी से चिंता हो रही है मां के लिए तो तूने कभी ये चिंता नहीं की थी…!फिर लाड़ से कहा हां बेटा मैंने बहू से फल और चाय दूध लेने को कह दिया है तू चिंता ना कर..!अब पलाश थोड़ा चिंता मुक्त हो पाया उसने सोचा मां सचमुच कितना ध्यान रखती है सबका हर छोटी बात का भी..
….पर मैं किसका कितना ख्याल रखता हूं !!वो सोच में डूब गया उसे तुरंत याद आया पापा हर साल करवाचौथ पर पूरा कच्चा पक्का खाना खुद अपने हाथों से बनाते हैं…हालांकि हर बार मां बहुत विरोध करती है कि अरे व्रत का ये मतलब तो नहीं कि अब आज के दिन आपसे खाना बनवाएं..!!पर पापा उन्हें कसमें दिलाकर अपनी जिद पूरी कर ही लेते हैं……जबकि साल भर कभी किचन में झांकने भी नहीं जाते हैं….कई बार मेरे पूछने पर मीठी मुस्कान से एक बार बताया था अरे बेटा तेरी मां मेरे लिए इतना कठिन व्रत रहती है मेरे लिए ही प्रार्थना करती रहती है ….ये मेरी तरफ से उसको गिफ्ट रहती है और कोई चीज तो वो लेती ही नहीं है!!…..अच्छा ये बात है पलाश ने सोचा पत्नियों को कुछ गिफ्ट तो देना ही चाहिए ….मुझे भी तूलिका को कोई उपहार देना चाहिए ..!लेकिन क्या..!अब ये नई चिंता उसके दिमाग में उत्पन्न हो गई…..
करवाचौथ के दिन सुबह से तूलिका पलाश को ढूंढ रही थी ना जाने सुबह से नहा धो के करवाचौथ की बधाई देकर कहां चले गए..!मां से पूछा तो बोली अरे तुझे बताया नहीं उसने आज वो और उसके दोस्त पिकनिक मना रहे हैं खाना पीना सब वहीं करेगा आज वो…. तू उसकी चिंता मत कर…!अब तूलिका को थोड़ा गुस्सा आने लगा था …..अच्छा आज का ही दिन मिला था पिकनिक के लिए मैं यहां उनके लिए व्रत हूं वो वहां खा पीके पिकनिक मना रहे हैं..!कल तो बड़ा कह रहे थे तूलिका तुम कैसे व्रत रह पाओगी मुझे तो चिंता हो रही है…..पहला करवाचौथ है ..!सिर्फ मेरे लिए ही है ऐसा लगता है..!तूलिका का मन एकदम से दुखी हो गया ….पापा जी को देख लो कितना ख्याल रखते हैं आज मां का..! पूरा खाना खुद बनायेंगे किचन में जाने ही नहीं दे रहे हैं…!
…..चल तूलिका आजा बेटा क्या सोचने लग गई भूख लग रही है क्या मैं तो बार कह रही हूं तुझसे फल खाने को ..!इस बार खा लो बेटा …..अभी ये पहली बार है फिर अगली बार से कठिन राह लेना….मां ने उसका मुरझाया चेहरा देख कर फिर से आग्रह किया… नहीं नहीं मां पहला है इसीलिए आपकी ही तरह व्रत रखने की कोशिश कर रही हूं….रात में चांद निकलने के बाद खा लूंगी …!तूलिका के स्वर की दृढ़ता से मां का मन भीग गया ..कितनी संस्कारी पत्नी मेरे बेटे को मिली है ईश्वर इसको कोई कष्ट नहीं देना ….मन ही मन प्रार्थना कर उठीं वो..!
शाम हो चली थी पलाश का अभी तक अता पता नहीं था….पापा मां को अब चिंता सी होने लगी थी…तूलिका चिंतित भी थी और आज पहले ही करवाचौथ पर पलाश का ये लापरवाह रवैया उसे बुरी तरह व्यथित कर रहा था…!
मां मां चांद निकल आया …जल्दी से पूजा कर लो आ जाओ जल्दी….कहता हुआ सजा धजा पलाश अचानक जाने कहां से सजाई हुई छलनी पकड़ कर तूलिका के सामने आ खड़ा हुआ …..आओ तूलिका तुम अपना चांद देखो मैं अपना चांद देख रहा हूं…..सुनकर तूलिका कुछ भी नहीं कह पाई…. पूजा के बाद तूलिका के पानी पीने के बाद एक पानी का गिलास तूलिका के हाथों में थमाकर बोल उठा ….अरे अब अपने हाथ से मुझे भी तो पानी पिला दो….! तुम्हें…!तूलिका ने ना चाहते हुए भी थोड़ा नाराजगी से कहा तुम्हें क्यों पानी पिलाएं..!जैसे तुम्हारा भी व्रत है…!
हां तो ..मेरा भी व्रत है आज तूलिका ….मैने भी तुम्हारे लिए आज पहला करवाचौथ का व्रत रखा है…..पलाश के बोलते ही मां ने चौंक कर उसे देखा ..लेकिन तू तो आज पिकनिक पर गया था ना..! नहीं मां वो झूठ बोला था मैने …घर से दूर रहने के लिए ..घर पर रहता तो आप लोग कुछ ना कुछ खिला ही देते ….मैं तूलिका को सरप्राइस गिफ्ट देना चाहता था….पापा भी तो मां को गिफ्ट देते हैं…
थोड़ी देर पहले व्यथित होता तूलिका का हृदय अब प्रसन्नता के अतिरेक से भर आया था …उसे विश्वास नहीं हो रहा था…मेरे पति ने मेंरे लिए करवाचौथ का व्रत रखा ….!!….उसके हाथ में पकड़ा पानी का गिलास कांपने लगा था..
पलाश ने जल्दी से आकर उसका हाथ पकड़ लिया और गिलास अपने मुंह की ओर ले जाते हुए बोला ..अरे मुझे भी तो तुम्हारी लंबी उम्र चाहिए ..तुमने तो मेरी लंबी उम्र के लिए व्रत रखा है ….अब तो पानी पिला दो …. जोरों से प्यास लगी है और मां चलो जल्दी से खाना खाएं आज पापा ने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया है मैं तो पूरा खा जाऊंगा…!
बड़ी वाली गोल थाली में करीब पांच छह गोल कटोरियां भर कर सब्जी कढ़ी रायता खीर हलवा पूरी कचौरी रोटी चावल और दाल भरे फरे…..एक ही थाली में साथ खाते हुए पापा ने मां से पूछा …मेरा गिफ्ट तुम्हे पसंद आया …!तो पलाश ने भी हलवा खिलाते हुए तूलिका से मुस्कुरा कर पूछ ही लिया ….मेरा सरप्राइस गिफ्ट तुम्हे पसंद आया…!
…और इसके जवाब में मां के और तूलिका के चांद से चेहरे पर धीरे से जो मुस्कान आई उसके सामने तो आज करवाचौथ का चांद भी फीका पड़ गया था….!
#कभी_खुशी_कभी_गम
लतिका श्रीवास्तव