दहेज़ मांगना गलत है तो दहेज़ के झूठे मुक़दमे करना क्या है ? – संगीता अग्रवाल

पुलिस को सुबह सुबह घर आया देख सुरजीत जी चौक गए..

” जी इस्पेक्टर …? ” उन्होंने दरवाजे पर आ पूछा!

” मेहुल यहीं रहता है ” एक पुलिस वाले ने रौबदार आवाज़ मे पूछा.

” जी बिल्कुल.. बताइये क्या बात है.. मैं उसका पापा सुरजीत हूँ ” सुरजीत जी ने शालीनता से जवाब दिया .

” ओह्ह तो आप हैं जो अपनी बहु पर अत्याचार करते हैं , शर्म नही आती आपको अपनी बहु से दहेज लाने को बोलते.. ” इंस्पेक्टर कड़क आवाज़ मे बोला..।

शोर सुनकर अंदर से सुरजीत जी की पत्नी मालती जी और बेटा मेहुल बाहर आये…।

” पापा क्या बात है..? ” मेहुल ने सुरजीत जी से पूछा !

” ये क्या बतायेंगे हम बताते है .. आपकी पत्नी नताशा ने आपके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई है कि आप उसे दहेज लाने को बोलते है मना करने पर आपने उन्हे मार पीट कर घर से निकाल दिया.” इंस्पेक्टर एक सांस मे बोला.।

” ये क्या बकवास है नताशा तो शादी के बाद पहली बार अपने पीहर रहने गई है कल ही मैं खुद छोड़ कर आया हूँ ” मेहुल गुस्से मे बोला.।

” आवाज़ नीची रखिये मेहुल जी एक तो नई नवेली पत्नी पर अत्याचार करते है उस पर ये अकड़… हवलदार बैठाओ गाड़ी मे इसे ! “

” ऐसे कैसे साहब हम तो नताशा को बिल्कुल बेटी की तरह रखते आपको जरूर गलतफ़हमी हुई है.. ” मालती जी बोली.

” जी देखिये हमारे पास आपकी बहु ने ही रिपोर्ट लिखवाई है जो बात करनी थाने आके करियेगा ” इस्पेक्टर मेहुल को ले जाते हुए बोले.

पीछे पीछे मालती जी और सुरजीत जी भी बाहर आये और गाड़ी निकाल साथ चल दिये…।

पुलिस स्टेशन पहुँच कर देखा वहाँ नताशा पहले से मौजूद थी अपने मां बाप के साथ..।

” बेटा नताशा ये सब क्या है… ” मालती जी बोली.

” मम्मी जी मैं दहेज नही ला सकती न दहेज के लालचियों के साथ रह सकती इसलिए मैंने आप लोग के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई है.. ” नताशा बोली.

” पर बेटा हमने कब कहा तुम्हे दहेज के लिए और जहाँ तक मेहुल की बात उसे भी ये संस्कार नही दिये हमने ” सुरजीत् जी बोले.

” बहुत अच्छे से जानते है हम आप जैसे लोगों को जो बोलते कुछ करते कुछ हमारी गलती थी जो हमने अपनी बेटी आप लोग को दी ” नताशा के पापा गुस्से मे बोले.

” इंस्पेक्टर साहब मुझे इन दहेज के लालची लोगों से छुटकारा दिलवाओ वर्ना ये लोग मुझे मार देंगे ” नताशा नकली आँसू बहाती बोली।




मेहुल और उसके मम्मी पापा को कुछ समझ नही आ रहा था ये क्या हो रहा अभी एक महीने पहले ही कितने चाव से शादी की थी सब कुछ सही चल रहा था फिर अचानक ये दहेज की बात क्यों कर रही नताशा.. और ये परेशान करना मारपीट कब हुई मालती जी ने तो अभी बहु से कोई काम तक नही कराया.. बेटी थी नही तो बहु को लाड़ लड़ा बेटी की कमी पूरी करना चाहती थी पर ये नही सोचा था की ये बहु पुलिस स्टेशन ला खडा कर देगी . . . .।

इधर मेहुल के दिमाग मे कुछ और ही चल रहा था नताशा ने शादी की पहली रात ही बोला था उसे इस रिश्ते के लिए समय चाहिए.. पहले दोस्ती फिर पति पत्नी का रिश्ता क्योकि शादी बड़ों ने तय की थी और सब एक महीने के अंदर हुआ तो दोनो को एक दूसरे को जानने का मौका ही नही मिला… क्या ये सब नताशा की चाल थी.. क्या चल रहा नताशा के दिमाग मे मैं नही पसंद था तो पहले मना कर देती पर ये केस…।

सवाल अनेक थे सबके दिमाग मे और जवाब एक नही….।

नताशा की रिपोर्ट के आधार पर मेहुल और उसके माँ बाप पर केस चला और उन्हे  जेल हो गई..  मेहुल चीख चीख के अदालत मे कहता रहा उसने दहेज नही मांगा पर उसकी किसी ने नही सुनी….केस के आधार पर नताशा को तलाक भी जल्दी मिल गया….।

मेहुल के पापा ये सदमा बर्दाश्त ना कर सके और लॉक अप मे उनको दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल ले जाने तक सब खत्म हो गया… मेहुल को जेल होने के कारण उसकी नौकरी तो जानी ही थी… आगे के रास्ते भी बंद हो गए सब…. मेहुल की माँ मालती जी को कुछ समय बाद बरी कर दिया गया पर पति की मौत और बेटे के जेल मे होने से वो  बिल्कुल अकेली हो गई क्योकि रिश्तेदारों ने भी मुँह मोड लिया..इस केस के लिए सब कुछ बिक गया उनका वो अलग…।

अदालत मे तारिख पर तारिख मिलती रही.. और आखिर मे सात साल बाद इस केस को झूठा माना गया..नताशा किसी और से प्यार करती थी गैर जाति का होने के कारण माँ बाप राजी ना हुए और जबरदस्ती शादी कर दी गई उसकी मेहुल से.. और उसने मेहुल से पीछा छुड़ाने का ये तरीका ढूँढा..।

तलाकशुदा बेटी की शादी उसके माँ बाप को गैर बिरादरी मे करने मे दिक्कत नही थी सो उन्होंने नताशा की शादी उसकी पसंद के लड़के से कर दी और वो आराम से जीवन बिता रही थी…।

झूठा केस करने के जुर्म मे नताशा को तो मामूली सज़ा मिली पर मेहुल का जीवन बर्बाद हो गया.. पिता को तो खोया ही पर गया सम्मान भी वापिस नही आता…।

जेल से छूटने के बाद मेहुल अपनी माँ को ले कहाँ चला गया किसी को नही पता….।

दोस्तों दहेज मांगना जुल्म है पर ऐसे झूठे मुकदमे करना क्या सही है.. कानून लोगों की मदद को बने उनका गलत फायदा उठा ऐसे इल्जाम लगा किसी की जिंदगी बर्बाद करना कहाँ तक सही है…।

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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