सपनों से समझौता – अनीता चेची

  पांच भाई बहनों में पहाड़ों के बीच छोटे से गांव में पली बढ़ी नीता का  आईएएस अधिकारी बनने का सपना  था। गांव में खारा पानी होने के कारण पीने का पानी  दूसरे गांव से लेने के लिए दूर जाना पड़ता था। पिताजी कृषि और पशुपालन का कार्य करते, इन सब असुविधाओं के बीच उसने ने 12वीं कक्षा पास की। गांव में कभी बिजली कभी आती  कभी-कभी तो दो 2 दिन तक नहीं आती।

पढ़ाई में होनहार और प्रतिभावान नीता गांव में सबके आकर्षण का केंद्र रहती। वह पहली लड़की थी जिसने गांव में 12वीं परीक्षा पास की। पिताजी की आमदनी ज्यादा नहीं थी इसीलिए पिताजी ने उसका का विवाह 12वीं कक्षा में  ही कर दिया। अब तो उस पर परिवार की जिम्मेदारी  आ गई।वह  परंतु वह किसी भी कीमत पर अपने सपनों से समझौता नहीं करना चाहती थी।

उसने अपने पति रजत से कहा, रजत मुझे एक आईएएस अधिकारी बनकर अपने देश की सेवा करनी है।”

रजत-नीता यह तो बहुत अच्छी बात है, मैं तुम्हारे साथ हूं।

नीता-रजत मैंने बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा है, मैं अपने सपने से किसी भी तरह समझौता नहीं करना चाहती”

शादी के कुछ दिन बाद ही रजत ने दिल्ली में एक छोटा सा कमरा लेकर नीता को तैयारी करवाई। वह बहुत खुश हो रही थी कि अब उसका सपना पूरा हो जाएगा।

दो तीन बार परीक्षा देने पर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हो पाई। इसी बीच नीता की सास बहुत ज्यादा बीमार हो गई और उसे वापस घर आना पड़ा।

अब तो मानो जैसे उसका सपना टूट ही गया हो।

घर वाले भी अब कहने लगे, बेटा अपनी गृहस्थी को संभालो और अपना समय व्यर्थ ही बर्बाद मत करो।”

घर की जिम्मेदारी और अपने सपने दोनों के बीच वह खुद को असहज महसूस करती। इसी बीच उसने एक बेटे को जन्म दिया।




धीरे-धीरे उसने  समय से समझौता करना सीख लिया परंतु  वह  तैयारी भी करती रहती।

वह रात रात भर जग कर अपनी पढ़ाई करती

नीता ने कहां, “रजत मै अबकी बार और आई एस की परीक्षा देना चाहती हूं।”

रजत  – नीता  अब तुम व्यर्थ के झंझट में मत पड़ो  सपने सभी देखते हैं पर सभी के पूरे नहीं होते। अब तुम अपनी ग्रह गृहस्थी और बच्चे को संभालो”।

कई बार जिद करने पर रजत ने उसकी बात मान ली और उसका फॉर्म भर दिया।

अब तो  वह दिन रात मेहनत करती।

इसी बीच रजत के बड़े भैया जो बाहर रहते थे।

रहने के लिए रजत के पास आ गये। उनका स्वभाव काफी सख्त और वे खाने-पीने के बहुत शौकीन।

उन्हें हर चीज समय पर चाहिए।

परीक्षा होने में अभी 2 महीने ही बचे हैं। और बड़े भैया है कि जाने का नाम ही नहीं ले रहे। उनकी आदत भी ऐसी कि थोड़ी सी भी किसी चीज की कमी होते ही  उसकी शिकायत अपनी मां और रजत से करते।

अब तो रजत हर छोटी-छोटी बातों पर नीता को डांट लगाता ।

उसके स्वभाव को देखकर बहुत ही वह अचंभित रहती  कि वह समझ क्यों नहीं पा रहा कि वह कितनी बड़ी परीक्षा देने जा रही है।

इन सब में उसके दो महीने बीत गए परंतु नीता ने हार नहीं मानी, और उसने परीक्षा दे दी।

परीक्षा के परिणाम में वह दो नंबर से रह गई।

यह देखकर वह बहुत दुखी हुई। और मन ही मन सोचने लगी

“गृहस्थी और सपनों के बीच यह कैसा समझौता है?”

समझौता

अनीता चेची

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