“बहू, ये मेरा पर्स ले लो.. तुम्हारे बैगनी रंग की ड्रेस से मैच हो रहा है”शादी के बाद रिसेप्शन के लिये जाती हूँ पूजा को उसकी सासू माँ मुक्ता जी ने कहा|
पूजा बड़ी ख़ुश हुई कि,” वो कितनी खुशनसीब है जोकि इतना ध्यान रखने वाली सासू माँ मिली है”|
आइये पढ़ते है पूजा की कहानी..
पूजा 23 वर्षीय लड़की है, थोड़ा सीधे स्वाभाव की है| छल, फरेब इन सभी बातों से पूजा अभी अनजान है|
पूजा की शादी उदय से अभी तीन दिन पहले ही हुई है, पूजा के घरवालों ने शादी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है|
शादी पूजा के शहर अमृतसर में हुई थी तो पूजा के ससुराल वाले अपनी जान पहचान वालों के लिये आज दिल्ली में रिसेप्शन का आयोजन कर रहे है|
पूजा के माता पिता ने दोनों शहर दूर होने की वजह से रिसेप्शन में बस पूजा के छोटे भाई को ही भेज दिया था|
पूजा जब रिसेप्शन के लिये तैयार होकर जाने लगी तब उसकी सासू माँ ने उसको अपना पर्स दे दिया ये बोल कि उसकी ड्रेस से उनका पर्स ज्यादा मैच कर रहा है|
इस काम को करने के पीछे की हकीकत कुछ और ही थी|
अब जो भी अतिथि वर और वधू को आशीर्वाद देने आता तो शगुन के रूपये का लिफाफा पूजा को पकड़ा देता और पूजा शरमाते हुए उसको अपने पर्स (यानी सासू माँ के पर्स में रख देती थी) यहाँ तक कि पूजा के भाई द्वारा गिफ्ट के रूप में दिया हुआ चैक भी पूजा के पर्स में ही चला गया था|
जब रिसेप्शन ख़त्म हुआ तो पूजा की सासू माँ ने उससे कहा, “पूजा, बहू मेरा पर्स देना ज़रा, शायद मेरा कोई जरुरी पेपर था उसमें”|
पूजा को कुछ समझ नहीं आया उसने ऐसे ही पर्स वापस कर दिया, बहुत ही शातिर अंदाज़ में सासू माँ ने व्यवहार के आये हुए रूपये पूजा से वापस ले लिये थे| पूजा तो खुद भी वो रूपये उन्हें ही देने वाली थी पर मुक्ता जी को शायद सब्र ना हुआ था|
कुछ दिन बाद पूजा की माँ ने कहा,”पूजा, बेटा मैंने तेरे रिसेप्शन में तेरे लिये जो 50000 रूपये का चैक भेजा था ना,वो तेरे ससुर जी के एकाउंट में जमा हो सकता है,तू अपनी सासू को बोल वो रूपये ले लेना और उन रूपये से अपने लिये गोल्ड ले लेना, रूपये तो खर्च हो ही जाते है, सोने से भविष्य की बचत भी रहती है”|
अब पूजा को उस पर्स की याद आयी उसने अपनी सासू माँ से कहा,”माँ जी, रिसेप्शन के दिन आपके पर्स में मेरे भाई द्वारा दिया हुआ चैक रह गया था, उसको आप पापाजी के एकाउंट में जमा करवा दीजियेगा और मुझे उसके बदले कैश दे देना, माँ कह रही थी कि कुछ सोने का सामान खरीद लूँ, भविष्य के लिये अच्छा रहेगा”|
बस सासू जी के तेवर बदल गये उन्होंने गुस्से में कहा,”दो दिन की आयी हुई लड़की, मुझे पैसों का हिसाब समझायेगी अब? वो पैसे खर्च हो गये आलरेडी, तुमको गोल्ड खरीदना है तो जब मायके जाओ तब खरीद कर ले आना”
पूजा तो रूहाँसी हो गयी, अब उसको पर्स की बात का राज़ समझ आया| खैर पूजा चुप हो गयी|
उदय, पूजा को शादी के बाद कहीं घुमाने भी नहीं ले गया, कारण था मुक्ता जी को घूमना पैसों की बर्बादी लगता था|
2 साल बीत गये, पूजा के ससुराल वाले बहुत ही ज्यादा लालची थे| एक एक रूपये का हिसाब रखते थे..पूजा के विवाह के बाद उन्होंने सारे नौकर हटवा दिए, क्यूंकि अब सारे काम पूजा से ही करवाये जाते थे|पूजा को इन दो सालों में ना ही कोई नया कपड़ा दिलवाया गया और ना ही कोई मेकअप का सामान|
उदय भी पूजा का पक्ष नहीं सुनता था, उनके पूरे घर में सभी सासू माँ की ही बात मानते थे|
इन दो सालों में एक बार भी पूजा अपने मायके नहीं जा पायी थी क्यूंकि जब भी वो जाने की बात करती तो सासू माँ कहती, “कोई तुम्हारे घर से बुलाने आएगा तब ही भेजूंगी..” क्यूंकि उनके हिसाब से,पूजा के टिकट का खर्चा उसके मायके वालों को ही उठाना चाहिए था|
पूजा परेशान होकर हमेशा सोचती कि अब जब भी वो मायके जाएगी, फिर वापस नहीं आएगी इस घर में लौटकर…
आज पूजा के पापा और चाचा आ रहे है उसकी ससुराल, पूजा की चचेरी बहन की शादी का निमंत्रण देने.. अभी एक हफ्ता है शादी में, पर पूजा ने अपना मन बना लिया है कि वो अपने पापा के साथ ही मायके चली जाएगी|
पापा और चाचा जब पूजा की सासू माँ से विदा लेकर जाने लगे तब पूजा अपना पैक हुआ बैग लेकर आयी और बोली, “माँ जी, मै अपने मायके जाना चाहती हूँ, बिना मेरे घर से आये किसी को तो आप मुझे जाने नहीं दोगी, इसलिए अभी पापा के साथ जाना चाहती हूँ”|
मौक़े की नजाकत को देख पूजा की सासू माँ ने उसको अनुमति दे ही दी मायके जाने की| बस इस तरह पूजा को उनकी कैद से मुक्ति मिली| अपने मायके पहुंच पूजा ने आराम की सांस ली| पूजा ने जब अपने घरवालों को अपने ससुराल वालों के लालच के बारे में बताया तो उनको भी बड़ा गुस्सा आया|
पूजा के पिता ने उसकी बात सुनकर कहा,”अब तुम्हें कोई जरुरत नहीं है वापस वहाँ जाने की, शादी में आत्मसम्मान से समझौता कभी नहीं करना बेटी..दामादजी लेने आएंगे तब ही हम भेजेंगे और तुम्हारे ससुराल वालों से तुम पर होने वाले अत्याचार के बारे में बात भी करेंगे, अगर उन्हें तुम्हें ससम्मान रखना है तो रखे, वरना कानूनी दायरे में बात की जाएगी”|
पूजा को अपने मायके में रहते हुए 6 महीने बीत गये है, अभी तक उसकी सासू माँ ने उसके पति उदय को उसे लेने नहीं भेजा है| पूजा के पिता ने कई बार उसके ससुराल वालों से बात करने की कोशिश की है पर कोई नतीजा नहीं निकला है| बस अब पूजा के पिता कानूनी मदद लेने जा रहे है ताकि पूजा को उसके ससुराल वाले अच्छे से स्वीकार करें वरना उनके लिये उनकी बेटी कोई बोझ नहीं है|
दोस्तों, जरुरी नहीं कि सारी शादियां कामयाब ही हो| आपसी मतभेद होना स्वाभाविक है पर अत्याचार सहना सही नहीं है| बस यही कहना चाहूंगी खुशनसीब होती है वो लड़कियां जिनके घरवाले ऐसी परिस्थिति में भी अपनी बेटी का साथ देते है और घरवालों को अपनी बेटियों का साथ देना भी चाहिए|
@स्वरचित
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धन्यवाद
राशि रस्तोगी