विमला, बिन्नू आंटी कितनी अच्छी है जैसे ही मैं उनके घर जाती हूं झट से मेरे लिए टीवी ऑन कर देती हैं और एक मां है जब भी टीवी देखने बैठो बस पढ़ाई करो का रोना लेकर बैठ जाती हैं ।होमवर्क किया कि नहीं? टेस्ट की तैयारी कैसी चल रही है? काश बिन्नु आंटी मेरी मां होती, तो कितना अच्छा होता । विमला कभी तू भी चल ना मेरी बिन्नू आंटी के यहां, बहुत अच्छी हैं .जैसे मैं उनके घर जाती हूं तुरंत चाय नाश्ता ला कर रखती हैं, टीवी चला देती है और कोई चीज पर रोक टोक ही नहीं करती।
” वाह पारो तेरी बिन्नू आंटी तो सच में बड़ी अच्छी है ।मेरी मां भी मुझे बहुत परेशान करती है ।जब देखो तो कहती है पढ़ाई कर ले ,पढ़ाई कर ले, पढ़ लिखकर कुछ बन जाएगी तो जीवन सुधर जाएगा ।अरे यार यही सब तो दिन है घूमने फिरने के ,तरह-तरह के खाना खाने के ,पिक्चर देखने के ,तूने वह नया वाला गाना सुना है कितना मस्त गाना है! जब हीरोइन खूब तेज से दौड़ती है उसके बाल कितने सुंदर लहराते हैं!”
” हां विमला मैंने देखा है ,पता है मैंने पापा से 250रुपए लिए थे। उससे बहुत बढ़िया शैंपू और क्रीम खरीदा है ।दुकानदार बता रहा था इससे बाल बिल्कुल हीरोइन जैसे हो जाएंगे ?ऐसे हवा में लहराएंगे लेकिन अगर मां देख लेंगी तो बहुत डांट पड़ेगी ।उनको फैशन के बारे में कुछ नहीं पता।जब देखो बाल में तेल लगाए बेमेल से कपड़े पहने घूमती रहती है।तूने बिन्नो आंटी को देखा है !! कितनी स्मार्ट है।
हां पारो मेरी मां भी बाल में तेल चपोट देती है और दो चोटी बना देती है ।कहती है सर तर रहेगा तो पढ़ाई में मन लगेगा। बताओ ऐसे बाल बनाकर कोई हीरोइन कैसे लगे?
विमला चल चल बिन्नों आंटी के घर चलते हैं उनके यहां बड़ा मजा आता है ।
दोनों लड़कियां उछलते कूदते बिन्नाे आंटी के घर पहुंच जाती हैं ।उन्होंने फिरोजी पाढ़ की सुर्ख लाल साड़ी पहनी थी, फिरोजी ब्लाउज, बालों में गजरा और ढेर सारा इत्र।घर भी सजा हुआ बिल्कुल साफ सुथरा ,कहीं भी गंदगी का नामोनिशान नहीं ।विमला और पारो झट से टीवी ऑन करती है और सोफे पर बैठ जाती हैं । बिन्नो आंटी खूब हंस हंस के बात करती हैं। थोड़ी देर में वह दो साड़ी लेकर आती हैं और कहती है “पारो विमला यह लो टीवी देखते-देखते जरा साड़ी में फॉल लगा दो”
विमला कहती है ” पर आंटी कल हमारा गड़ित का टेस्ट है इसमें तो बहुत समय लगेगा!!
” उसमें क्या है बेटा तब तक मैं तीन कप चाय और बिस्किट लाती हूं , चाय बिस्किट खाते पीते काम भी हो जाएगा।”
डेढ़ घंटे में साड़ी में फॉल लग जाता है ।दोनों लड़कियां काम करते-करते थक गई थी। दोनो आंटी के घर के बहार निकलती है तो विमला पारो से कहती है
“पारो तेरी बिन्नो आंटी तो बड़ी चलाक है ।देखो चाय पिलाई तो बैठे बैठे काम की करा लिया ।कितना हरजा हो गया हमारा!अब पढ़ाई कब करेंगे। मां से डांट पड़ेगी सो अलग। कल गड़ित का टेस्ट है ,तैयारी कुछ नहीं!! हमारी मां चाहे कैसी भी हो चाहे उन्हें फैशन करना आता हो या ना आता हो वह बेमेल कपड़े पहनती हूं लेकिन इम्तिहान के समय कभी भी हम लोग से घर के काम नहीं कराती ।
“पर विमला मैं तो बिननो आंटी के बहुत से काम कर देती हूं। अभी पिछले हफ्ते ही 5 किलो आलू के पापड़ बनवाए थे।कभी मटर छील देती हूं। याद है एक बार मैं गिर पड़ी थी तो मेरे हाथ में चोट लगी थी।”
” हां हां पारो तू बाथरूम में फिसल गई थी ना!!
“अरे नहीं विमला वह तो मैंने झूठ बोला था ।बिन्नू आंटी के यहां ऊपर चढ़कर तांड से समान उतार रही थी तो गिर पड़ी थी । आंटी ने कहा था किसी को बताना नहीं ।”
“अच्छा पारो तूने एक बात ध्यान दी, हमारी मां चाहे कैसी भी हो लेकिन इंतिहान और टेस्ट के समय हमसे कोई काम नहीं कराती हैं !!मेरी मां को तो बुखार भी होता है तब भी मुझसे काम नहीं कराती !!कहती है पढ़ लिख लो !!यार ये तेरी बिन्नो आंटी अपनेपन का ढोंग करती हैं!! मीठी-मीठी बातें करती हैं !!उन्हें हमारी बिल्कुल भी चिंता नहीं है ।
“ऐसा क्यों कह रही है विमला”
” और क्या पारो जो अपने होते हैं ,वह चाहे कड़वी बातें ही क्यों ना कहते हो लेकिन वह हमारे भविष्य के साथ कभी खिलवाड़ नहीं करते ।मां डांटती है लेकिन हमारा कितना ख्याल रखती है ।हमें बुरे लोगों से बचा के रखती है ।हमें पढ़ने के लिए कहती है। पराए चाहे कितने भी अच्छे हो लेकिन वह अपनों की जगह कभी नहीं ले सकते !!पारो हमेशा अपनों की कद्र करना सीख। ऐसे चालाक लोग कभी भी अपने नहीं हो सकते।
#पराए_रिश्ते_अपना_सा_लगे
लेखिका : गरिमा जैन