“हैलो सीमा ,मै रूचि बोल रही हूँ |
हाँ ,रुचि बोलो !आज तुझे मेरी याद कैसे आई |
नही ,याद तो तुम्हारी रोज ही आती है डिअर तू तो मेरी सबसे अच्छी सहेली है |बस समय नही मिल पाया इधर कुछ दिनो से तुझसे बात करने का |
और बताओ !तुम ठीक हो ना ,और प्राची कैसी है अपनी ससुराल में खुश तो है ना !
अरे काहे की ससुराल जब शादी ही नही हुई तो !
शादी नही हुई !
मतलब ?
तुम घर आओ तब बताती हूँ सब कुछ ,अभी फोन रखती हूँ ,ठीक है ! घर मे मेहमान आए हैं अभी |
ठीक है ,ओके बाय |
बाय ,सी यू |
फोन रख मै सोचने लगी कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा जो कि शादी नही हुई |
सीमा मेरी कलीग थी ,पहले हम दोनो एक ही ऑफिस मे काम करते थे |वहीं मेरी उससे मुलाकात हुई थी धीरे -धीरे हम दोनो मे अच्छी दोस्ती हो गयी थी |
दोनो एक ही शहर मे थे तो आना जाना भी होता रहता था ,फिर उसे दूसरी कम्पनी मे जॉब मिल गयी ,तो हमारा रोज का मिलना बन्द हो गया था ,हाँ ! फोन पर उससे बात होती रहती थी ,कभी कभार आना जाना भी होता रहता था |
अभी दस दिन पहले ही तो वो मेरे घर आई थी अपनी बेटी की शादी का कार्ड देने ,बता रही थी कि अगले हफ्ते शादी है ,कितनी खुश थी कि उसकी बेटी की शादी इतने अच्छे घर मे हो रही है |
लड़का बैगंलोर में मल्टीनेशनल कम्पनी मे जॉब करता है ,लाखों मे सैलरी है ,अपना फ्लैट गाड़ी सब कुछ है , मेरी बेटी खूब खुश रहेगी वहां ,बताते हुए उसके चेहरे से खुशी साफ झलक रही थी |
ये तो बहुत खुशी की बात है ,बधाई हो तुझे लेकिन ये बता तूने लड़के के बारे मे उसके घरवालों के बारे मे सब अच्छे से पता कर लिया है ना ,सारी जाँच पड़ताल करके ही अपनी बेटी ब्याहना |
हाँ ,बाबा सब पता कर लिया है ,और वैसे भी लड़के के पिताजी मेरे भैया के सीनिअर हैं ,भैया भाभी उन्हे बहुत अच्छी तरह से जानते है ,काफी आना जाना है उनका मेरे भैया के घर ,भाई ने ही ये रिश्ता कराया है |सब उनका जाना समझा है ,लड़के को तो भैया बचपन से जानते हैं |
अच्छा तुम आना जरूर ,अब मैं चलती हूँ |
हाँ ,हाँ मै जरूर आऊँगी | कहकर मैने उसे विदा किया |
पर शादी के दो दिन पहले मेरे ससुर जी की तबीयत अचानक से बहुत खराब हो गयी थी उन्हे एडमिट करना पड़ा ,तो इसलिए शादी वाले दिन मै शाम मे ही उसके घर गयी थी और शगुन और आशीर्वाद देकर जल्दी ही लौट आयी थी, क्योंकी मै पूरी शादी तक रूक नही पायी थी इसलिए मुझे पता ही न था कि आखिर क्या बात हुई जो शादी न हुई |
इसकी वजह जानने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी |
अतः दूसरे दिन रविवार को ही मैं उसके घर पहुंच गयी थी|
उसके घर पहुँचकर देखा सारा शादी का सामान फैला हुआ था ,बहुत खामोशी थी जैसे बेटी की विदाई हुई हो ,मुझे देख सीमा लिपटकर रोने लगी तो मुझे भी रूलाई आ गई ,मैने उसे ढाढ़स बंधाते हुए इशारों में पूछा कि आखिर क्या हुआ ?
आओ कमरे मे चलकर बात करते हैं ,उसने कहा |
कमरे मे पहुँचते ही सीमा बोली ,जानती है रूचि तू सही कह रही थी ,कि मुझे अच्छी तरह जाँच पड़ताल कर ही शादी तय करनी चाहिए थी |
पर तुमने तो बताया था कि तुम्हारे भैया का जाना समझा परिवार है फिर क्या हुआ ये रिश्ता तो तुम्हारे भाई ने कराया था |
हाँ ,भाई ने ही तो हमे धोखे मे रखा |लड़का ड्रग एडिक्ट था ,वो किसी कम्पनी मे जॉब भी नही करता था ,पूरा आवारा और बदचलन था ,एक बार जेल भी जा चुका है डकैती डालने के केस मे ,फ्लैट गाड़ी की बात सब झूठ थी |
वो तो भला हो मेरे देवर,और उनके मित्र का जब उन्होने लड़के को देखा द्वारचार पर तो मुझे और मेरे पति को अकेले मे ले जाकर उसके बारे मे बताया ,उनके मित्र पुलिस मे है ,वो भी शादी मे आये थे उन्होने ही देवर को बताया था उसके बारे मे ,पहले तो मैने उनकी बात ही ना मानी ,उल्टा उनपर ही आरोप लगाने लगी कि वह चाहते ही नही कि मेरी बेटी की शादी इतने अच्छे घर मे हो |इसीलिए मैने उन लोगों को शादी तय होने तक कुछ न बताया था |
तब उनके मित्र ने हमे सारी सच्चाई बताई ,मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही न हुआ कि मेरे भाई ऐसा कैसे कर सकते हैं ,क्या उनको ये सब बाते नही पता थी |
मैने भैया से पूछा कि क्या देवर जी सही कह रहे हैं तो कहने लगे कि ये सब तो इस उम्र में लड़के करते ही हैं ,शादी के बाद सब ठीक हो जाते है ,और फ्लैट गाड़ी का क्या है वो तो जब चाहे खरीद सकते है |
तब हम लोगों ने उसी वक्त शादी न करने का फैसला किया ,पर लड़के के परिवार वालो ने काफी हंगामा किया था ,फिर मेरे देवर और उनके मित्र ने मामला शातं कराया |
और बारात वापस ले जाने को बोला |
खैर बात बिगड़ न जाए इस डर से वे बारात वापस ले गये |
पर तेरे भाई ने सबकुछ जानते हुए भी ऐसा की क्यों किया ,मैने पूछा ?
प्रमोशन के लिए ,उनका प्रमोशन उसी सीनिअर के हाथ मे था ,और उनके बेटे के लक्षण के चलते कोई अपनी बेटी देने को तैयार न था ,इसलिए मेरे भाई ने मुझे धोखे मे रख ये रिश्ता तय कराया था कि अगर उनके आवारा बेटे की शादी मेरी बेटी से हो जाएगी तो उनका प्रमोशन तो उनको करना ही होगा |
मै हमेशा से अपने ससुराल वालो को ही गलत समझती थी पर अब ये एहसास हुआ कि हमेशा ससुराल वाले ही गलत नही होते हैं |
अगर उस समय मेरे देवर ने सच्चाई न बताई होती और शादी के समय हुआ बवाल न सुलझाते तो क्या होता |
आज उनकी वजह से मेरी बेटी की जिन्दगी बर्बाद होने से बच गई |
उसकी बात सुनकर मै सोच रही थी कि क्या सगा भाई ऐसा भी कर सकता है |इतना बड़ा धोखा वो भी अपनी बहन के साथ कि उसकी बेटी की जिन्दगी ही बर्बाद हो जाए |
स्वरचित
#धोखा
रिंकी श्रीवास्तव