उसी से शान्ति उसी से जलन – गोमती सिंह

——– मनुष्य की जिंदगी किसी पतीले में रखें पानी की तरह होती है।  जो समय की मद्धिम-मद्धिम आँच पर वाष्पीकृत होती रहती है । लेकिन मनुष्य को इस सच्चाई का एहसास तब होता है जब वह जिंदगी की अंतिम पड़ाव पर आ जाता है। तब इस अवस्था में उसे अपनी जिंदगी के गुजरे दिनों के चलचित्र अनायास ही दिखाई देने लगता है जिंदगी के इसी  पड़ाव में अटके हुए सुरेश के दिमाग में जब उसके बीते दिनों का चलचित्र चल रहा था तब वह कितना आनंदित महसूस कर रहा था क्या दिन थे जब वह एयर कंडीशन कार में बैठा रहता था और बगल में उसकी पत्नी खूबसूरती बैठी रहती थी 10 वर्ष का बच्चा कार में उछल कूद करते  रहता था ।

तब उन दोनों को कितनी बड़ी गलतफहमी थी की हमारा दिन ऐसे ही गुजर जाएगा और उसकी जवानी इसी तरह गुजर भी  गई चलचित्र में एक दृश्य उसकी दृष्टि पटल मे ठहर सी  गई जब वह एक दोस्त की बेटी की शादी में गया हुआ था वहां उसकी खास कजिन  दोस्त मनोज दंपत्ति भी आए हुए थे जिससे सुरेश काफी दोस्ताना संबंध प्रदर्शित करता हां  मगर दोनों पति पत्नी मनोज दंपत्ति से जलन की भावना रखते थे । मनोज की पत्नी अपनी शादी के लगभग 5 वर्ष तक एक भी तोला सोना नहीं खरीद पाई थी इसका मतलब यह नहीं था की वे दोनों अभाव की जिंदगी जीते थे बल्कि मनोज काफी दूर दृष्टि रखने वाला इंसान था पैसे की महत्व को अच्छी तरह समझता था इसीलिए वह जेवर जेवरात के चक्कर में नहीं पड़ता था और उसकी पत्नी गले में मंगलसूत्र तथा कानों में छोटी-छोटी बूंदे पहनकर दिन  बीता रही थी । इत्तेफाक ये था कि इसी महीने पत्नी की जिद की वजह से मनोज ने तीन तोले की सोने की जंजीर बनवाए थे ,  जिसे पहनकर उसकी पत्नी ऐसे दमक रही थी जैसे किसी मूर्ति के गले में हीरे का हार पहना दिया गया हो ।

         क्योंकि वह जंजीर मेहनत की कमाई से बनी थी इसलिए उसमें तृप्ति बंधी हुई थी। 

       स्त्रियाँ स्वभाव से आभूषणों की दीवानी होती हैं।  उनके आत्मविश्वास को बरकरार रखने के लिए तोले मासे का आभूषण  उपहार में देते रहने से उनकी जिंदगी में खुशहाली की हंसी खनकती रहती है ।।

 

इसी खुशी में मनोज की पत्नी चहक रहीं थी।  जिसे देखकर सुरेश और उसकी पत्नी का खून ईर्ष्या से खौल गया।

सुरेश धोखा देने के लिए कुटिल चाल चल गया । उसने अंदाजा लगाया कि आजकल मनोज खूब पैसे रखा हुआ है।   कुछ ही दिनों बाद वह छ्द्म वेशी सुरेश मनोज के घर  जाकर 5 लाख रूपये उधार देने के लिए गिडगिडाने लगा  ।

        बेचारा मनोज दिल का भोला था , उस प्रपंची के नियत को पहचान न सका और अपनी पत्नी के पास कुछ ही दिनों पहले 5 लाख रूपये, जो फिक्सडिपाजिट से निकाल कर रखवाया था उसे मांगने लगा। ।

          क्योंकि उसे लगा कि करोड़ों की ट्रांसपोर्टिंग का धंधा करने वाले के लिए 5 लाख रूपये तो हाथ की मैल है किसी भी वक्त वापस कर देंगे। 

    लेकिन वह तो चोर की मानिंद आया था चोरी करके चला गया। 



      यह दृश्य जब उसकी आँखों के सामने से गूजरने लगी तब वह खांसते खांसते बेहाल हो गया। 

    ऐसी स्थिति में वह अपनी पत्नी को पुकारने लगा क्योंकि धोखा और बेईमानी से कमाई संपत्ति को खा खा कर थुलथुलाए शरीर के सुरेश में इतनी-सी भी ताकत नहीं बची थी कि उठकर हलक़ में दो घूँट पानी डाल सकें। 

   पत्नी जो इकहरी बदन की थी शारीरिक तौर पर अभी भी काफ़ी दुरूस्त थी ।

     कान में झुमके की पेंच कसती हुई आई  ” क्या है जी क्यों दिन भर चिल्लाते रहते हो । “

” कहाँ जा रही हो खूबसूरती! ” लाचार सुरेश पूछने लगा।  एक गिलास पानी देकर बाहर जाना पता नहीं गले में क्या अटक गया।   सोए सोए कुछ खा लिए होंगे फिर कुछ मत खा लेना काफ़ी खा चुके हो  ।

          वैसे आज मैं घर पर नहीं रहूँगी।  रश्मि की बेटी की शादी है , मै जबलपुर जा रही हूँ।  रितिक बहु को लेकर ससुराल गया हुआ है।  घर में तुम अकेले रहोगे अपनी तबियत का खयाल खुद रखना। ।   

       आज के दिनांक में सुरेश कार ड्राइविंग नहीं कर सकता था , लेकिन क्या दिक्कत थी खूबसूरती ने एक ड्राइवर रख लिया था। । और धोखाधड़ी से इकठ्ठा किए दौलत को धुआं बना कर बिखेर  रही थी ।

अपने वर्तमान का सच्चा दृश्य देखकर सुरेश पश्चाताप की अग्नि में जलने लगा । एक समय था जब ईर्ष्या की अग्नि में धधकते हुए तृष्णा की आग को सींचने के लिए बेईमानी करते हुए दौलतमंद बना था मगर शान्ति नहीं मिली  थी ।

         आज जब घोर पश्चाताप में जलने लगा तब सूखे हलक़ में पानी रिस गया और वह कुछ क्षण के लिए शान्ति महसूस करने लगा। ।

           ।।इति।।

#धोखा 

                  -गोमती सिंह,छत्तीसगढ़

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

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