बेटी – पिंकी नारंग

सुधा ने घर के बाकी लोगों को ये कह कर हॉस्पिटल से घर भेज दिया की ना जाने डिलीवरी मे अभी और कितना वक़्त लगे, फिर मै तो यहाँ हूँ ही, सब रुक कर क्या करेंगे बहू सुनयना लेबर रूम मे प्रसव पीड़ा मे थी |ईश्वर कब और कितने बजे नए प्राणी को दुनियां मे भेजते  है, इसका पता तो केवल वही जानते है |सबको भेज कर सुधा वेटिंग रूम मे आ कर सुस्ताने लगी |हॉस्पिटल के नियम के मुताबिक जब गुड न्यूज़ आएगी तो सिस्टर उसे अपने आप बताने आएगी |

 बेटा और सुधा दोनों बड़ी अधीरता से बच्चे के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे |सुधा के मन ने तो अतीत मे जा कर गुजरे वक़्त के पन्नों को भी पलटना शुरू कर दिया था |जब उसकी पहली बेटी मायरा होने वाली थी |पति अजय के सारे कजिन के घर मे बेटे थे, इसलिए कई बार सुधा को लगता जैसे सासू माँ को भी पोते की ही आस है |जबकि सासू माँ ने कभी खुल कर ऐसी कोई भी इच्छा का ज़िक्र नहीं किया था |पर किसी से कमतर ना होने का एहसास या वंश को बढ़ाने मे पोते का योगदान इस पर अक्सर वो दलीले देती रहती |

 सुधा रोज भगवान से प्रार्थना करती, हे भगवान दूसरी बेशक़ बेटी देना पर पहला तो बेटा ही देना | उस वक़्त को याद करके सुधा के चेहरे पर मुस्कान आ गई, कितनी भोली होती थी ना उस वक़्त की बहुए सास को खुश करने के लिए भगवान तक से लड़ जाती थी |लेकिन भगवान कौन से सासू जी से कम होते थे, इतनी मन्नतें मांगने के बाद भी ईश्वर ने वही दिया जो उन्हें पसंद था परी जैसी मायरा को देख सुधा की आँखों से ख़ुशी के आंसू बहने लगे थे लेकिन दूसरी तरफ सासू माँ के मानक पर खरे ना उतरने की बेबसी भी आंखों मे उतर गई थी |

  लेकिन जब सासू माँ ने मायरा को देखते हुए उसे बेटी होने की मुबारक दी तो उसमे छिपे व्यंग से उसे दर्द जरूर हुआ था |आज फिर वैसा ही एक दिन है बस किरदार बदल गए है |आज वो सासू माँ की जगह है, उसने अपने मन को टटोला क्या हसरतें भी वही है? क्या वो भी पोते?

  उसने इस ख्याल को वहीं झटक दिया, नहीं इस ख़याली पौधे को वो वृक्ष नहीं बनने देगी |ईश्वर जो भी देंगे उसे दिल से अपनाएगी |तभी सिस्टर की आवाज़ सुनकर वो अपने अतीत की गलियों से वापिस आ गई सिस्टर उसे दादी बनने की मुबारकबाद देते हुए कह रही थी चाँद जैसी बेटी हुई है |ये सुनते ही सुधा का चेहरा ख़ुशी से दमकने लगा |अपनी राजकुमारी को देखते ही उसने बहू का माथा चूम कर उसे भी बेटी होने की मुबारक दी |लेकिन इस बधाई मे सिर्फ प्यार था व्यंग नहीं |

मौलिक

पिंकी नारंग

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