भगवान का इशारा – सपना गोयल

पलाश को आफिस भेजकर कामना अपनी पूजा पाठ में लग गयी वैसे भी पलाश के जाने से पहले वह पूजा के लिए समय नहीं निकाल पाती थी….उसका लंच.. नाश्ता

नहाना धोना इसी में आठ बज जाते थे

खैर वो जैसे ही पूजा करके उठी उसे अपने मोबाइल पर रिंग बजती सुनाई दी….उसने फटाफट पूजा पर बैठने वाला बिछौना समेटा और सोफे पर रखे मोबाइल की तरफ़ बढ़ी…..

हैलो…कौन

….आप कहाँ हो ..क्या आपकों मुझसे ज्यादा भगवान जी से प्यार हैं आप पापा को भी साथ ले गई…आप वापस नहीं आई तो मैं कभी आपसे बात नहीं करूँगी…माँ…….और फोन काट दिया गया दूसरी तरफ से

माँ…..ये शब्द सुनते ही कामना के दिल में दबी टीस छुअन महसूस कर गयी दिल धक से रह गया..वो वही सोफे पर बैठ गयी…उस मीठी सी आवाज़ में बोला गया वो माँ शब्द उसे अंदर तक झकझोर गया

आँखो से आँसू बरबस ही बह निकले…

दरअसल कामना और पलाश की शादी को सात साल हो चुके थे पर कामना की गोद अभी भी सूनी थी..डाक्टर को दिखाने पर पता चला कि कामना प्रीमैच्योर मेनोपोज की शिकार हो रही थी इसलिए उसका कनसीव करना लगभग नामुमकिन था

फोन पर सुने माँ शब्द से कामना का मन काम में नहीं लग रहा था वो मिश्री सी आवाज़ बार फिर उसके कानों को तड़पा रही थी….दिन गुजरा और रात भी नींद नहीं आई उसे…..

अगले दिन पलाश के आफिस जाने के बाद कामना बार बार हाथ में मोबाइल लेती…इनकमिंग नंबर में उस नंबर को देखती और फिर सोफे पर रखे देती….

आखिरकार उसने फिर मोबाइल उठाया नंबर निकाला और काँपते हाथों से मिला भी दिया…उसका दिल जोर से धक-धक कर रहा था

दूसरी तरफ से फोन रिसीव हुआ…हैलो..कौन

जी..जी मैं वो मैं




कौन मैं किससे बात करनी हैं आपकों

कामना ने हिम्मत करते हुए जवाब दिया…जी मुझे कल इस नंबर से काॅल आया था एक छोटी बच्ची का….कौन थी वो..और आप कौन

ओह साॅरी कल के लिए….दरअसल मैं एक अनाथ आश्रम संचालिका हूँ हमारे यहाँ कुछ दिनों पहले ही एक चार साल की बच्ची आई हैं उसके माता-पिता रोड एक्सीडेंट में मारे गये और भी कोई नहीं है परिवार में

….वो बहुत जिद्द कर रही थी अपनी माँ से  बात करने के लिए छोटी हैं ना अभी समझने में समय लगेगा…तो मैने ऐसे ही एक नंबर मिलाकर दे दिया शायद किसी की आवाज़ सुनकर उसे तसल्ली मिल जाए…माफ कीजिएगा असुविधा के लिए…..

नहीं ऐसी कोई बात नहीं हैं क्या नाम हैं बच्ची का….

जी उसका नाम खुशी हैं..ठीक हैं अब फोन रखती हूँ अब ऐसा नहीं होगा

कामना को लगा जैसे ये कोई इशारा हैं भगवान का उसकी सूनी गोद भरने के लिए

शाम को पलाश के घर आने के बाद खाना पीना निपटाकर उसने पलाश का हाथ अपने हाथों में लेकर उसे सारी बात बताई….पलाश मैं खुशी को गोद लेना चाहती हूँ तुम बताओ तुम्हारी क्या राय हैं….

पलाश ने कामना का चेहरा हाथों में लेते हुए कहा….मेरे लिए तुम्हारी खुशी सबसे ऊपर हैं जैसा तुम चाहों

ठीक हैं मैं कल ही फोन पर अनाथाश्रम का पता ले लेती हूँ फिर चलेंगे

कामना से तो सुबह का इंतजार ही नहीं हो रहा था

अगले दिन उसने वहाँ का पता लिया और दोनों ने जाकर वहाँ बात की…..

कुछ ही दिनों की सारी कानूनी कार्यवाही के बाद आज खुशी को घर लाने का दिन था

कामना ने खुशी को गोद में उठाया और कहा देखो मम्मा वापस आ गयी और पापा को भी साथ ले आई… मम्मा-पापा को भगवान से नहीं तुमसे ज्यादा प्यार हैं और उसे सीने से चिपका लिया

पलाश भी अपने खुशी के आँसू रोक नहीं पाया और दोनों का माथा चूम लिया

कैसे एक फोन काॅल से कामना की जिन्दगी पलट गयी….उसे खुशी के रूप में जिन्दगी की सारी खुशियाँ मिल गई

इसीलिए कहते हैं जिन्दगी में कुछ भी ऐसे ही नहीं होता उसके पीछे कोई अच्छा कारण छिपा होता हैं

धन्यवाद

सपना गोयल

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