ये वादा रहा….. रश्मि दास

आज सरभी की शादी थी। मगर सुरभि बहुत उदास हो डरी हुई थी। पिछली बातें याद आ रही थी जब वह अपनी मां मां बाप के साथ एक खुशनुमा जिंदगी जी रही थी। ऐक एक्सीडेंट में उनके मां बापा की मृत्यु हो गई और सुरभि की सारी दुनिया ही जैसे उजर के रह गई। ऐक चाचा थे जो उसे अपने साथ ले आए। पहले तो चाची रखने को तैयार नहीं,हुई मगर फिर उसे लगा कि एक मुफ्त की नौकरानी मिल गई है तो उसे रखने को राजी हो गई।

सुरभि सुबह के 5:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक खट्टी रहती है फिर सोने जाती, जहां स्टोर रूम को उसका अपना कमरा बना दिया था।आज उसी सुरभि की शादी थी। सुरभि को पता चला कि किसी ने 10,00000 देकर उसे अपने बेटे के लिए खरीद लिया है। तब से वह बेहद डरी हुई थी। उसने अपनी जिंदगी भगवान के नाम कर दी थी। कि जो वह चाहेंगे करेंगे। शाम हुई सुरभि को सजा धजा के एक मंदिर में ले जाया गया, वहां उसकी शादी कबीर सिंह से हो गई। 

फिर उसके बाद वह मंदिर से अपने ससुराल आ गई। यहां बहुत ही शानदार तरीके से उसका गृह प्रवेश कराया गया। सारी रस्मों को निभाने के बाद उसे कमरे में भेज दिया गया। उसका कमरा फूलों से सजा हुआ था सुरभि सेज पर बैठी अपने पति का इंतजार करने लगी।अपने आपको उसने हर परिस्थिति के लिए तैयार कर लिया था।

 रात में 2:00 बजे के करीब कबीर आया। शराब पिए हुए था,उसके कदम लड़खड़ा रहे थे।आते ही वह सुरभि के पास खड़ा होकर कुछ देर उसे देखता,रहा फिर बोला यहां तुम्हें किसी चीज की कमी नहींहोगी,मगर मुझसे कोई उम्मीद मत रखना,थकी हुई हो  सो जाओ। इतना कहकर पलंग के एक तरफ सो गया।मगर सुरभि को नींद नहीं आई।वह सारी रात जागती रही। 


सुबह 5:00 बजे उठी और नहा धोकर तैयार हो गई।कबीर की ओर देखा तो वह गहरी नींद में सो रहा था।सुरभि उसे गौर से देख रही थी, गोरा रंगलम्बी नाक, चेहरे पे हल्की सी दाढ़ी थी, बहुत ही प्यारा लग रहा था। रात में उसने सुरभि के साथ कोई बदतमीजी नहीं की थी। इस कारण सुरभि के मन में उसके लिए इज्जत पैदा हो गई थी। 

फिर एक लड़की उसे बुलाने के लिए आई और वह उसके साथ नीचे चली गई। जहां उसकी सास बैठी हुई थी। वह एक वरदान औरत थी सभी उसे अम्मा जी कहते थे। सुरभि ने जाते ही उसके पैर छू लिए। उसने आशीर्वाद देते हुए सुरभि को अपने पास बिठा लिया।

फिर उसने पूछा कभी रात में कितने बजे आया। निकाह रात के 2:00 बजे वो आए थे। फिर उसकी सास ने कहा बेटी कबीर शादी के लिए तैयार नहीं था। मेरी जीत से उसने शादी की। तुम्हारे मन में बहुत सारे सवाल होंगे। 

उस सब का जवाब तुम्हें मिल जाएगा। मैंने तुम्हें एक बार तुम्हारी चाची के साथ एक शादी में मैंने देखा था। उसी वक्त मुझे तुम्हारी सादगी मुझे भा गई थी। फिर मैंने तुम्हारे बारे में पता किया कि तुम्हारे मां बाप नहीं है। चाचा के पास रहती हो और चाची तुम्हें बहुत दुख देती है। फिर मैंने तुम्हें अपनी बहू बनाने का फैसला किया। 

मैं चाहती थी कि पहले कबीर को मना लूं उसकी सहमति से ही शादी करूं।  मगर पता चला कि तुम्हारी चाची एक 50 वर्ष के बुड्ढे से 200000 लेकर तुम्हारी शादी तय कर दी है। इसलिए उसे बचाने के लिए मैंने तुम्हारी चाची को 1000000 देकर शादी के लिए मनाया।

इतने पैसे देकर वह एक बार में ही मान गई।बेटा मैंने तुम्हारी कीमत नहीं,लगाई बस तुम्हें उसके चंगुल से छुड़ाने के लिए वह पैसे दिए।तुम तो मेरे लिए बेशकीमती। हो इस घर की रौनक हो। मेरे घर की लक्ष्मी हो।आज से तुम्हारा घर है,तुम इस घर की रानी हो।

इतना का अम्मा जी ने सुरभि का माथा चूम लिया।सुरभि की आंखों से आंसू की धार बह निकली। फिर धीरे-धीरे अपने अच्छे व्यवहार सेउसने सबका दिल जीत लिया।कबीर भी उसकी अच्छाई से अछूता न रह सका।आज 2 महीने बाद कबीर ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा..

मुझे माफ कर देना मैंने तुम्हें समझने में इतनी देर लगा दी।अब कभी भी तुम्हारे ऊपर मेरे जीते जी कोई दुख या परेशानी नहीं आएगी। तुम्हारी झोली खुशियों से भर दूंगा।यह वादा रहा। और सुरभि उसकी बाहों में सिमट गई।

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!