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नेहा एक पाश कालोनी में किराये के फ्लैट में रहती थी ।इस कालोनी के सब परिवार ही धनाढ्य श्रेणी में आते थे । इन फ्लैट वाली कालोनियों में बस सबसे बड़ी कमी है पड़ोसी भी पड़ोसी को नहीं जानता या ना जानने का दिखावा करते हैं शायद उनका स्तर पड़ोसी के स्तर से अधिक ऊंचा है । नेहा कुछ दिन पहले ही इस फ्लैट में आई थी क्योंकि उसके पतिदेव यानी देवाशं का ट्रांसफर हुआ था । देवाशं इंजीनियर था ।
पड़ोस में ही मि. जगमोहन जी का फ्लैट था । यह उनकी नेम प्लेट से पता लगा । बस कभी मिसेज जगमोहन से लिफ्ट में आते जाते उनके प्यारे टामी के साथ मुलाकात होती थी पर बात कभी नहीं क्योंकि चेहरे पर घंमड की पर्त जो चढ़ी रहती थी । नेहा भी उन्हें देख कर अनदेखा कर देती थी । बस एक बहुत प्यारी सी साधारण सी एक बिटिया बालकानी में कभी कभी दिखाई दे जाती थी। वह जरूर हल्की सी मुस्कराती थी पर हमेशा सहमी सी । जब नेहा यहां शिफ्ट हुई और काम वाली की तलाश की तब वही काम वाली जो मि. जगमोहन के काम करती थी उससे बात हुई और वह नेहा के काम करने लगी उसका नाम कम्मो था । कम्मो अपने काम से काम रखती थी और काम वालियों की तरह पूरी सोसायटी के किस्से नहीं सुनाती थी। बस उससे ही पता लगा कि वह बच्ची मि. जगमोहन के बेटे की बहू है। उसका नाम पूजा है पूजा और जगमोहन जी का बेटा शलभ दोनो का प्रेम विवाह था । बेटे की जिद के आगे मिसेज जग मोहन को झुकना पड़ा और एक मध्यम वर्ग के परिवार की बेटी को बहू बनाना पड़ा । जब नेहा बालकानी में खड़ी थी अचानक मि. जगमोहन जी के फ्लैट से चीखने की आवाज आने लगी उसे लगा जैसे कोई सामने बालकानी में बहुत धीरे धीरे रो रहा हो । कल हरितालिका तीज है और आज मिसेज जगमोहन क्यों इतना चीख रहीं हैं ये मेरी
समझ में नहीं आ रहा था ।
सुबह मैं बालकानी में कपड़े डालने गयी देखा पूजा की आंखे सूजी हुई थी जैसे रात में बहुत रोई हो । इतनी देर में कम्मो भी आगयी । जब उसने कम्मो से पूछा तब वह झिझकते हुये बोली आज हरितालिका तीज है पूजा बहू जी के मायके से जितना सामान आया वह मालकिन के स्तर के हिसाब से नहीं था और इसी बात पर उनके पापा और भाई को उल्टा सीधा बोला । कम्मो फिर बोली देखो मैडम इस पर भी अपनी किसी सहेली से बोल रही थी मैने तो पूजा के मायेके वालों की खूब बेइज्जती की पर एक बात आपको बताये उसी समय शलभ भैया कमरे से बाहर आये और अपनी मम्मी से बोले कि मां हमने सब बात सुन ली पूजा ने कुछ नहीं बताया कल पूरी रात नहीं सोई बोली सर दर्द है अब पता लगा आपकी करतूतों का । आप एक बात सुन लीजिये आपसे अधिक पैसे वाले वह लोग क्योंकि वह दूसरों का सम्मान करना जानते हैं । उन्होंने मुझ पर बहुत विश्वास करके अपनी बेटी का हाथ मेरे हाथ में दिया हैं आपको उनका स्तर पंसद नहीं तो मै पूजा को लेकर कहीं और चला जाऊंगा । पूजा कमरे से बाहर आई और बोली शलभ मां से इस तरह से बात नहीं करते वह ना होती तो तुम कहां होते और ये तो सास बहू का रिश्ता है धीरे धीरे यह शिकवे शिकायत भी कम हो जायेगी । कम्मों बोली मैडम मैं तो देखती ही रह गयी पूजा बहू को कितने संस्कार दिये हैं मां बाप ने । दोपहर को मैने देखा आज पहली बार लिफ्ट में पूजा और शलभ को । बहुत खुश थे और आज पूरे श्रंगार में थी पूजा क्योंकि आज त्यौहार था । मैने सोचा यह असली तोता मैंना का प्यार ।
स्वरचित
डा. मधु आंधीवाल
अलीगढ़