“हे नारी तुम अस्त्र उठाओ,
बचाने को लाज तुम्हारी,
अब ना माधव आयेंगे”….
इस कथन को आज कॉलेज में पढ़ने वाली बाइस वर्षीय “वंदना” ने सार्थक कर दिया। बहुत सुंदर, मेधावी छात्रा वंदना ने जो कर के दिखाया, उसी की चर्चा आज पूरे शहर में हो रही हैं।
शहर के प्रतिष्ठित कॉलेज में साल भर पहले ही नियुक्त हुए प्रोफेसर “विजय शर्मा”अपनी पत्नी शालिनी और बेटी वंदना के साथ, शहर से थोड़ा हटके नई बसी हुई सोसायटी में रहने आए है। तीन लोगो का छोटा सा परिवार है। वंदना अपने पिता के साथ ही कॉलेज जाती और साथ ही आती है। प्रोफेसर विजय शाम को छात्र छात्राओं को ट्यूशन भी देते है। अभी कुछ दिन पहले ही एक नए लड़के ने ट्यूशन में आना शुरू किया है, शहर के नामी वकील “रायचंद”जी का इकलौता बेटा है “अभय”….
अभय बाप के नाम और पद का फायदा उठाने वाला आवारा और बदमाश किस्म का लड़का है। किसी तरह कॉलेज की डिग्री मिल जाए, बस इसी लिए ट्यूशन आना शुरू किया है। कॉलेज में कई बार आवारागर्दी और लड़कियों पर फब्ती कसते हुए पकड़े जाने पर प्राइवेट पढ़ाई कर रहा है।
ट्यूशन में जब पहले दिन वंदना को देखा, बस तभी से उसका दीवाना बन बैठा है। पढ़ाई का तो सिर्फ बहाना है अब , असल में वह सिर्फ वंदना को देखने ही ट्यूशन में आता है। एकतरफा प्यार में पूरी तरह पागल हुए अभय ने एक दिन उसके कॉलेज में ही जाकर, जब अपने प्रेम का प्रस्ताव रखा तो वंदना चौक गई, गुस्सा भी बहुत आ रहा था की क्या जवाब दे, फिर उसने समझाने वाले अंदाज में कहा की अभी हमारी पढ़ने की कुछ बनने की उमर है ना की इन सब बेकार की बातों में समय गवाने की, दूसरे में तुम्हे प्यार भी नहीं करती तो आगे से ऐसा दुबारा मत करना, वरना में पापा से तुम्हारी शिकायत कर दूंगी।
अभय का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, दूसरे विद्यार्थीयो के सामने हुए अपने अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था और जैसे तैसे वहा से अपमान का घूंट भरकर निकल गया।
इस घटना के बाद दो दिनों तक अभय ट्यूशन के लिए भी नही गया, तो वन्दना ने सोचा शायद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया है, और ग्लानि की वजह से पढ़ने भी नहीं आ रहा है।
आज वंदना को अपनी सहेलियों के साथ मार्केट जाना था तो वह अपने पापा के साथ कॉलेज से नही आई थी, मम्मी पापा से अनुमति पहले ही ले चुकी थी तो आज सब ने जमकर खरीदारी की ओर फिर खा पीकर अपने अपने घर की तरफ चल दी। शहर से थोड़ा हटके होने से वंदना को घर पहुंचते पहुंचते रात हो गई। नई बसी सोसायटी है तो लोग भी अभी कम ही है। सोसायटी के गेट पर आटो से उतरकर वंदना घर की तरफ चल दी। थोड़ा चलने पर उसे लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है,अब वह थोड़ी सतर्कता से चलने लगी, एक साया उसे बिलकुल अपने पीछे महसूस हुआ और बिना देरी के वंदना ने घूम कर एक जोरदार किक उस साए के पैरो पर दी, अचानक हुए हमले से वह साया नीचे गिर पड़ा और साथ ही एक कांच की बॉटल भी गिर कर फूट गई , दूर दूर तक दर्द भरी चीखे गूंजने लगी, गेट से चौकीदार दौड़ कर आया और घरों से लोग भी निकल आए। उजाला कम था और मंकी कैप लगाने से पता नही चल रहा था की कौन है। वंदना के मम्मी पापा भी आ गए थे और उज्जाले में जब देखा तो वह साया कोई और नहीं अभय था।…. अपमान की आग में जल रहे अभय ने वंदना का चेहरा तेजाब से जलाने का प्लान बनाया था, सब रास्तों की जानकारी पहले से ही थी और चौकीदार भी जानता था, इसलिए अभय के लिए सब बड़ा आसान हो गया था,उसने सोचा किसी को पता भी नही चलेगा और मेरा बदला भी पूरा हो जाएगा।
पर उसे ये नही पता था कि वंदना कराटे की चैम्पियन है।और अपनी आत्मरक्षा के सब गुर आते है। 60% जल चुके चेहरे के बाद अभय के पिता अगले दिन पत्रकारों और पुलिस को लेकर वंदना के घर पहुंच गए, तब वंदना ने कहा यदि में अपनी आत्मरक्षा के लिए ये कदम न उठाती तो आज अस्पताल में एक अपराधी की जगह में होती। क्यों हम लड़कियां ही शिकार होती है, तेजाब की जलन और जिंदगी भर किस दर्द से गुजरते है, इस पीड़ा का अहसास अपराधी को भी तो होना चाहिए।।
अभय के पिता का सर शर्म से झुक गया और वंदना के समर्थन में जोरदार तालियों की आवाज गूंज उठी।।।।
स्वरचित काल्पनिक कहानी
#अपमान
कविता भड़ाना