साड़ी वाली विद्यार्थी – मंजू तिवारी

यह बात 1995 की है जब प्रेरणा कक्षा 9 में पढ़ती थी कॉलेज में सुबह-सुबह प्रार्थना होने के बाद प्रेरणा जब अपनी क्लास रूम में गई तो देखा एक जगह बहुत सारी लड़कियां भीड़ लगाए खड़ी है।और कुछ देख रही हैं। सभी आपस में बातें कर रही है तो प्रेरणा के मन में भी आया देखते हैं। जब उसने पास जाकर देखा तो एक लड़की ने आसमानी कलर की प्लेन साड़ी और सफेद ब्लाउज के साथ  पहन रखी था

 जबकि स्कूल की यूनिफार्म आसमानी कलर की स्कर्ट और वाइट कलर की शर्ट हुआ करती थी देखकर कुछ अटपटा सा लगा 11वीं और 12वीं की लड़कियां तो शादीशुदा कुछ हुआ करती थी तो उनको तो साड़ी में देखा था अब अब उसकी क्लास में एक साड़ी पहनने वाली लड़की आने लगी लगभग सभी लड़कियों को बड़ा अटपटा सा लग रहा था जो पहले लड़की स्कर्ट में आती थी  

हमारी क्लासमेट थी उसकी शादी हो गई थी और अब वह साड़ी पहन कर आने लगी पता करने पर चला कि इसकी ससुराल  लोकल में  है इसलिए ससुराल के लोग रास्ते में मिलते रहते हैं इसलिए वह साड़ी पहन कर आती है अब पीरियड लगा मैडम का आने का टाइम हो गया जब मैडम आई तो उन्होंने देखा कि एक लड़की ने साड़ी  पहन रखी है उस पर तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा लेकिन उसने अपने सिर पर साड़ी रख रखी थी इसलिए मैडम ने कहा साड़ी पहने हो तो कोई बात नहीं सिर पर पल्लू रखकर पढ़ाई कैसे करोगी इसलिए स्कूल के अंदर हो यहां सिर ढकने की कोई आवश्यकता नहीं 

और उसके सिर से पल्लू हटवा दिया वह बच्ची ही थी वह प्रेरणा की तरह उसी की हम उम्र रही होगी नौवीं क्लास के बच्चे को अकल ही कितनी होती है   प्रेरणा तो थोड़ी लंबी थी शरीर का गठन भी अच्छा था लेकिन वह लड़की शरीर से दुबली पतली और लंबाई भी कुछ अधिक नहीं थी तो वह बहुत छोटी सी बच्ची दिख रही थी धीरे धीरे प्रेरणा को और अन्य लड़कियों को भी उसे साड़ी में ही देखने की आदत पड़ गई फिर उस लड़की ने  10th 12th किया कभी-कभी हम उससे पूछते यार तुम्हें तो खाना और पढ़ाई दोनों ही करनी पड़ती होगी 



तो वह कहती सारे लोग परिवार के सहयोग करते हैं इसलिए मैं स्कूल चली आती हूं सारे लोग बहुत अच्छे हैं हम यह सोचते थे शायद 12वीं करने के बाद उसकी पढ़ाई बंद कर दी जाएगी 12वीं करने के बाद सब अपने अपने हिसाब से महाविद्यालयों का चयन कर रहे थे बात आई गई हो गई एक 2 साल में साड़ी वाली लड़की भी दिमाग से निकल गई समय के कुछ अंतराल बाद उसी महाविद्यालय में जहां प्रेरणा पढ़ती थी प्रेरणा ने उस साड़ी वाली लड़की को देखा जो उसके साथ 9 से लेकर 12वीं तक पढ़ी वह दौड़ कर उसके पास गई और पूछने लगी अब क्या कर रही हो पढ़ाई कैसी चल रही है तो उसने बड़ी खुशी के साथ बताया 

अब मैं  M.A रही हूं   यह देख कर बड़ी खुशी हुई यह तो हमारे साथ ही पढ़ रही थी और अभी भी हमारे साथ है फिर उसने बताया अब मुझे एक बेटा भी है तो प्रेरणा ने पूछा उस बेटे को कौन संभालता है। तो उसने बताया मेरे बेटे को मेरी सास और मेरी देवरानी संभालती है मेरे पास तो वह बहुत ही कम रहता है क्योंकि मेरे पास अपनी पढ़ाई की वजह से टाइम कम होता है। 

अपने प्रेरणा को लगता है प्रेरणा विचार करती है कहीं-कहीं कुछ ऐसे परिवार भी है जहां बहू को संस्कार में रखते हुए उच्च शिक्षा प्रदान करवाते हैं पता नहीं क्या कारण रहा कि बाल विवाह हुआ यह बात तो पता नहीं चल पाई,, प्रेरणा को यह सोचकर खुशी होती है बाल विवाह हुआ तो क्या हुआ उसको पूरे मौके दिए गए मास्टरी करने के बाद प्रेरणा का उससे मिलना नहीं हुआ लेकिन आज भी विचार आता है शायद वह कहीं ना कहीं कुछ कर रही होगी यह सफल होगी क्योंकि उसका परिवार बहुत ही अच्छा था

 जो अपने घर लाने के बाद उस बच्ची को उच्च शिक्षित किया कहीं ना कहीं बाल विवाह होता तो बहुत गलत है जिसके कारण साड़ी वाली विद्यार्थी ने अन्य लड़कियों की तरह खेलकूद दौड़ना भागना न कर सकी अपने बचपन को ना जी पाए लेकिन प्रेरणा को खुशी इस बात की है साड़ी वाली विद्यार्थी होने के बावजूद वह प्रेरणा की ही तरह उच्च शिक्षित हुई अब प्रेरणा भगवान से प्रार्थना करती है

 सारे विद्यार्थियों में साड़ी वाली विद्यार्थी अलग दिखती थी यह अलगाव होने के बाद भी उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी प्रेरणा सोचती है वह साड़ी वाली विद्यार्थी कहीं भी रह रही हो अपने परिवार में खुश हो सफलता के नए आयाम गढ़ रही हो जाहिर सी बात है हम सभी विद्यार्थियों में उनका मनोबल बहुत अधिक होगा जिसने बालपन से ही साड़ी पहनकर पूरी शिक्षा ग्रहण करें वह जहां भी रहे खुश रहे तरक्की करें,,,,,,,, 

मंजू तिवारी गुड़गांव

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