पंजाबन बहु – ममता गुप्ता

ऋतु एक बहुत ही समझदार ओर पंजाबन  लड़की थी।वह पंजाब की रहने वाली थी। ऋतु ने पढ़ाई में भी काफी सारे अवार्ड प्राप्त कर कर रखे थे,

ऋतु ओर मोहित  साथ साथ ही पढ़ते थे,साथ साथ पढ़ने की वजह से दोनों अच्छे मित्र बन गए और मित्रता कब प्यार मे बदल गया और दोनों ने शादी कर ली  ।

मोहित भी अपने परिवार से दूर रहता था वह पढ़ाई के मकसद से ही चंडीगढ़ गया था । दोनो की शादी हो गयी तो ऋतु ने मोहित से कहा- मोहित क्यों ना हम अपने घर जाकर रहे मतलब तुम्हारे घर और मेरे ससुराल ।ऋतु के मुह पर ये कहते हुए कुछ अजीब सी खुशी झलक रही थी

मोहित बोला ठीक है-राजेश के मन मे एक डर ये भी था कि  उसके घर वाले ऋतु को अस्वीकार न कर दे क्योंकि घरवालों को थोड़ी पता है कि बेटे ने शादी कर ली

मोहित मन मे बहुत सी बातें लेकर अपने घर गया  और ऋतु भी काफी खुश थी ।

मोहित ने जैसे ही दरवाजा को खटखटाया तभी अंदर से आवाज आई – अरे मेरा प्यार बेटा आ गया,मोहित भी बहुत खुश हुआ और बोला माँँ, मैं तुम्हे लिए एक सरप्राइज लेकर आया हूँ

माँँ बोली सरप्राइज क्या है? कहा है ? जल्दी बता तभी मोहित के पीछे छिपी ऋतु माँँ के सामने आई ,मोहित माँँ ये ही तो है तुम्हारा सरप्राइज तुम्हारी बहु ऋतु,

माँँ के हावभाव देखकर मोहित ओर ऋतु समझ गए कि शायद  माँँ इस शादी से खुश नही है

लेकिन अब जब शादी हो गयी तो कुछ कर भी नही सकती थी ,अगले सुबह जब ऋतु रसोई में खाना बनाने गयी तो उसने उसी हिसाब से मसालादार खाना बनाया जैसे पंजाबी लोग खाते ।

ऋतु ने टेबल पर खाना रख सभी को बुलाते हुए कहा खाना तैयार हैं या जाओ सासु माँं ने कहा खाना तो देखने मे तो अच्छा लग रहा,देखते हैं कैसा बना है

माँ ने जैसे ही खाना खाया- हे भगवान इतना मसालेदार खाना देखो बहु ये खाना खाने लायक नही है मुझे इतना तीखा खाना पसंद नही है, समझी सास ने डांटते हुए कहा,

ऋतु को बुरा लगा और मोहित को भी,शायद  ये गुस्सा खाने का नही शादी का है दोनों के मन में यही विचार आया।

मोहित ने ऋतु को समझाया कि रो मत माँ ऐसी नही है बस थोड़ा उनको बुरा लगा बिना बताए शादी कर ली ना इसलिए



ऋतु समझ गयी! उसने कहा मैं माँँ जी को अपनी समझदारी से खुश कर लुंगी ।

अब मोहित की शादी की खबर  पड़ोस में फैल गयी ।जब पड़ोस में बात फैली तो पड़ोसन कोनसा पीछे रहती ताने माँरने में।

अरे मोहित की माँं हमने सुना है तेरा छोरा पंजाबन बहु लाया है, ऋतु ने सारी बाते अपनी बालकोनी से सुन रही थी।माँ कुछ नही बोली।

शायद  मन से बहुत दुःखी नजर आ रही थी ऋतु ने ये सब बातें मोहित को बतायी। ऋतु ने कहा पता नही लोगो को क्या मजा आता दुसरो को तकलीफ देने में।

मोहित से ऋतु के माँथे को चूमते हुए कहा -अरे मेरी जान तुम इतना मत सोचो सरला चाची की तो आदत है। मोहल्ले भर की बाते बनाने की। सरला चाची को खुद के लड़के की करतूतों का पता नही है ना इसलिए वो बस बाते बनाती !

ऋतु ये बाते सुनकर एकदम से चौकी! उनका लड़का मतलब क्या! अरे सरला चाची का लड़का बहुत ही निक्कमाँ हैं ,,उसकी पत्नी बेचारी उसका इंतजार करती रहती की कब आएगा वो विदेश से।

ऋतु बोली ये क्या बोल रहे हो मोहित अरे मैं सच कह रहा हूँ सरला चाची ने उसकी शादी उसकी मर्जी के खिलाफ कर दी वो शादी के दूसरे दिन से ही उसी लड़की के साथ रहता हैं जिसे वो पसन्द करता हैं और शादी करना चाहता था।

ओर यहाँ उसने सरला चाची से कह रखा है कि आना नही होता,काम बहुत ज्यादा है, ऋतु को ये बाते सुनकर थोड़ा दुःख हुआ,क्या एक बेटा,ऐसा कर सकता हैं? उस बेचारी पत्नी का क्या जो राह देख रही उसके आने की?

ऋतु के मन मे काफी सवाल आने लगे? उसने सोचा क्यों ना  सरला चाची के मुह को बंद किया जाये? जो मुझे लेकर मेरी सासु मॉ को ताने माँरती। अगर बुरा लगे तो लगे ।

ऋतु ने ये फैसला करके समय का इंतज़ार किया।



कुछ दिन बाद सरला चाची घर आई मुह दिखाई करने के लिए।

अरे ! मोहित की माँँ कहा है वो पंजाबन ला जरा हमे भी मुह तो दिखा ही दे!

ला मुह दिखाई कर दु वैसे भी मुह दिखाने लायक तो तेरे बेटे है छोड़ा नही तुझे तो बहु का ही मुह देख लू। ऋतु ने सारी बाते सुन रही थी

ऋतु ओर ऋतु बेटी ,माँ ने आवाज लगाई ,हा! मॉ जी क्या हुआ ऋतु बोली,

अरे कुछ नही  जरा नीचे आ सरला चाची आई है रश्म करने।

ऋतु नीचे आई,सरला चाची के चरण स्पर्श किये ,

चाची ने आशीर्वाद दिया और बोली -ये मुँह शायद  दिखाने लायक नही है तभी गज को घूंघट निकाल रखो हैं,!

अब ऋतु के सब्र का बांध बस टूटने ही वाला था -उसने कहा चाची अगर में ये सर पर पल्लू नही रखती तो तुम फिर माँ जी को ताने देती,!तेरी बहु को लक्खन नही है?

जब मैं सर पर पल्लू रख कर आई तब भी तुम्हे मुझमे गलत नजर आ रहा! माँँ जब भी बाहर जाती है तुम उन्हें ताने माँरती रहती हो,क्या गलती है माँ की जो कहना है हमसे कहो!

ओर चाची तुम्हे बेटे का क्या जो जोरू का गुलाम बनकर विदेश पड़ा है तुम्हे ओर उस बेचारी को धोखे में रखकर ये बाते सुनकर चाची का मुह उतर गया।ऋतु जानती थी कि उनको बहुत बुरा लगा इन बातों का

ऋतु ने कहा चाची माना हमने घरवालों की मर्जी के खिलाफ शादी की है लेकिन हम अपने घर  मे सम्मान के साथ है। मुझे ये सब बाते बोलने का कोई हक नही है तुम्हारे परिवार के बारे में लेकिन चाची अगर में तुम्हे जवाब नही देती तो शायद ! सासु माँँ भी आपके जैसे ही हो जाती और ना जाने कितने ही घरो में तुम जैसी चाची का रूप जन्म ले लेता।

ऋतु की बात सुनकर मोहित की माँँ ने भी कहा

वाह। बेटी तूने तो अपनी समझदारी से सरला का मुंह बंद कर दिया सही कहा जब तक हम सहते रहेंगे लोग कहते ही रहेंगे।

ऋतु बहुत खुश थी कि मोहित की माँँ ( सासु) जी को जल्दी समझ आ गया।

 

लेखिका : ममता गुप्ता 

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