“प्लीज़ !मां-बाप के त्याग और प्यार को पैसों के तराजू में मत तौलो – कुमुद मोहन 

 “मां मुझे भी राहुल जैसा पेंसिल बाक्स चाहिए ये टीन वाला पेंसिल बाक्स देख कर सारे दोस्त मेरा मजाक उडाते हैं,कल अगर नया नहीं लाई तो मै स्कूल नहीं जाऊंगा”मनु ने मुँह बनाकर अपनी मां शीला से कहा!शीला लोगों के घर चौका बर्तन,झाड़ू पौंछा करती थी!मनु के पिता जीवन ड्राइवर थे!

दोनों का सोचना था कि हम तो पढ़लिख नहीं सके पर हर हालत में अपने इकलौते बेटे को खूब पढाऐंगे लिखाऐंगे जिससे उसे ऐसी ज़िन्दगी ना जीनी पड़े जैसी हम जी रहे हैं!

वे दोनों अपनी हैसियत से भी आगे जाकर मनु के लिऐ सारी सुख सुविधाएं जुटाने का प्रयास करते रहते!

उन्होने मनु का दाखिला एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में करवाया!

मनु के मुँह से निकली हर फरमाइश को वे पूरी करते कि कहीं उसके दिल में कभी हीन भावना न आ जाए!

एक  बार तो जीवन ने आपना खून तक बेचा जब मनु ने अपनी क्लास के साथ टूर पर जाने को पैसे मांगे!

दिन गुजरते गए मनु का दाखिला इंजीनियरिंग में हो गया!

मनु के मन में बचपन से ही एक बात घर कर गई थी कि वह किसी तरह से बड़ा आदमी बने और खूब पैसा कमाऐ! वह अपने किसी मित्र को कभी घर आने को नहीं कहता था कि कहीं उसकी असलियत न खुल जाए कि उसकी मां घरों में काम करती है या उसके पिता एक मामूली से ड्राइवर हैं!

पढ़ाई के दौरान मनु की दोस्ती शीना से हो गई! शीना उसके घर जाने को कहती पर वह टालता रहता!

वह शीना को कहता हम शादी कर लेंगे और कहीं विदेश में जाकर रहेंगे यहां क्या रखा है?

एक दिन शीना जबरदस्ती मनु के साथ उसके घर चली गई!

शीला और जीवन का सादा सा साफ-सुथरा घर और ममता से भरा व्यवहार उसके मन को छू गया!

मनु ने होटल से खाने का आर्डर दे दिया पर शीना ने कहा आज वह मां के हाथ का बना खाना ही खाऐगी जिसके लिए वह बरसों से तरस रही थी क्योंकि उसकी मां को कभी उसके लिए टाइम ही नहीं था वह अपने क्लब किट्टी में व्यस्त रहती!

मनु के कहने पर कि उसका घर महल जैसा बड़ा है इस छोटे दो कमरे के मकान में वे कैसे रहेंगे?

तब शीना ने कहा”वह महल जैसा तो मकान है!घर तो यह है जहां प्यार है,ममता है और दुलार है!

आज समझ में आया कि तुम किसी को अपने और अपने मां-बाप,घर के बारे में कुछ भी क्यों नहीं बताते थे!

तुम्हारा रहन-सहन और ठाठ-बाट ये सब इन दोनों की वजह से हैं !इन्हें इस बुढ़ापे में अकेला छोड़कर तुम  विदेश जाने का सोच भी कैसे सकते हो!

तुम्हारे मां बाबा के त्याग के कारण ही तुम यहां तक पहुंचे हो !हम उन्हें कैसे त्याग सकते हैं!

तुम्हें बड़ा घर चाहिए तो तुम्हारी मेहनत से हम वो भी ले लेंगे फिर सब साथ रहेंगे!

 

#त्याग

कुमुद मोहन 

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