ताईजी – नीरजा कृष्णा

आज उनके घर में सुबह से चहलपहल मची हुई है… आज बहुत सालों के बाद ताऊजी और ताई जी आ रहे हैं। उन्होंने प्रखर की नई नवेली बहू ममता को अच्छी तरह से समझा दिया था…”देखो बेटा! ताऊजी ताईजी तुम्हारे सामने पहली बार आ रहे हैं…वो इस घर के बड़े हैं… उन्होंने बड़े होने का फ़र्ज़ बहुत बढ़िया से निभाया है…हम सब भी उनका बहुत सम्मान करते हैं… बस ताई जी थोड़ी पुराने फैशन की हैं और बेहिचक डाँट भी लगा देती हैं…थोड़ा ध्यान रखना बेटा।”

“ओह मम्मी जी, आप चिंता मत करिए…मैं आपको और ताई जी को शिकायत का मौका नही दूँगी।”

समय पर वो लोग आ गए…ममता ने उनकी पसंद के समोसे और जलेबी बनाई…ताई जी तो एकदम प्रसन्न हो गई,”अरी छोटी, तेरी बहू तो जितनी सुंदर है, उतनी ही गुणी भी है… वाह मन खुश हो गया।”

शाम तक उन्होंने बहुत चीजों को भाँप लिया… एकाएक बहू को डाँट कर बोलीं,”सुबह से देख रही हूँ…प्रखर प्रखर की रट लगा रखी है… बिटिया ,इस तरह हर समय पति का नाम नहीं लिया जाता है…हम लोग तो पति को परमेश्वर मानते हैं।”

नटखट बहू ने सिर झुका कर उनकी बात शिरोधार्य कर ली…शाम को चाय पीते समय उसने प्रखर से पूछा,”पति परमेश्वर जी! आप खाण्डवी और लेंगे क्या?”

सब हक्के बक्के हो गए… वो हँसते हुए बोली…”ताई जी ने ही तो सिखाया था…पति परमेश्वर होता है… है ना।”

वहाँ तो ठहाकों का फब्बारा फूट गया… ताईजी की तो हँसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी।

अचानक बहू पूछ बैठी,”एक बात बताइए ताई जी! आप जरूरत पड़ने पर ताऊजी को कैसे बुलाती थीं?”

“देख मालती, बहू को आँख ना दिखा!कितनी प्यारी गुड़िया सी है अपनी बहू…हम तुम्हारे ताऊजी को फलाने बाबू कहते थे।”

इसी हँसी खुशी के माहौल में मस्ती के मूड में उनसे  पूछा गया,” ताई जी, आज मीठे में क्या लेंगी… आज कुछ नया बनाती हूँ।”

 “क्या बनाएगी हमारी लाडो?”

“आज अपने पति परमेश्वर को भून कर ,चीनी मिला कर बाँध दूँगी।”

वो अवाक् सी थी…प्रखर ने चुटकी ली,”अरे ताई जी…आप मेरा बचपन का नाम भूल गई… लड्डू… ये बेसन के लड्डू बनाती है।”

अब ताई जी खिलखिलाकर उसे प्यार से धौल जमा कर बोली,”अरे लाडो, तू जैसी है.. बहुत अच्छी है… अब हमारी नकल छोड़ दे…अब नया जमाना है।”

नीरजा कृष्णा

पटना

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