खुद्दारी –  लतिका  श्रीवास्तव

कल से मयंक तुम्हें सुपरवाइज करेगा…..बॉस अभय ने जैसे ही किशन से कहा..किशन अपनी जगह खड़ा रह गया था!…लेकिन बॉस मयंक तो अभी नया ही है मुझसे जूनियर है ….आपने उसका प्रमोशन कर दिया !!!उसने पूछना चाहा था क्यों??क्यों मेरा प्रमोशन नहीं किया ….!!मैं तो पिछले दो वर्षों से पूरी ईमानदारी से इस कम्पनी के लिए कार्य रत हूं!!!……..पर किशन की नाराजगी उसके मन का क्षोभ मन के अंदर ही घुट गया….अभय उसकी नाराजगी….उसकी व्याकुलताओं को अनदेखा और अनसुना करता हुआ वहां से जा चुका था …!!

…खुले आम अपनी बातों की अपने वजूद की इस तरह अवहेलना किशन के लिए असह्य हो गया…!उसका मन विद्रोह कर बैठा..!

वो मयंक के पास गया इस अपेक्षा से कि मयंक उसका पक्ष लेगा उसके लिए बॉस से कहेगा!!पर मयंक तो आज जैसे अजनबी हो गया था…!उसे देखते ही उसकी प्रोजेक्ट फाइल को जो उसने रात दिन जागकर बहुत मेहनत से तैयार की थी उसके सामने करीब करीब फेक ही दिया ये कहते हुए कि…बॉस ने इसे रिजेक्ट कर दिया है बिल्कुल बकवास है….नई तकनीक बताइए नया युग है ये….!”

लेकिन बॉस ने इस बारे में तो मुझसे कुछ कहा ही नहीं…उन्होंने तो इसे अप्रूव कर दिया था..!आश्चर्य से किशन ने पूछा तो मयंक ने व्यंग्यात्मक हंसी के साथ कहा हां किया होगा पर अब डिस अप्रूव कर दिया है….वैसे आप भी तो डिस अप्रूव करने लायक हो चुके हैं अब…!

………किशन किसी तरह घर तो आ गया पर बहुत व्यथित और कुंठित महसूस कर रहा था…बॉस से उसे ये उम्मीद नहीं थी…वो तो स्वयं को कम्पनी के लिए और बॉस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समझता था…!… अनगिनत कर्तव्यनिष्ठा के अपने पल उसे याद आते चले गए जब उसने बिना अपनी चिंता किए कम्पनी के हितों को सर्वोपरि रखते हुए दिन रात अथक काम किया था ….!कुछ दिनों से उसे मयंक और अभय के अपने प्रति व्यवहार में परिवर्तन दृष्टिगोचर तो हो रहा था पर ऐसे परिवर्तन की कल्पना भी उसके लिए दुष्कर थी …!

मयंक तो एकदम नया है किशन ने ही तो उसका परिचय अभय से करवाया था….अभी तो मयंक को कम्पनी की कार्यशैली भी ठीक तरह से समझ  में नहीं आई थी…कितनी सारी बातें किशन ही उसे समझाया करता है…!अचानक मयंक का प्रमोशन …उसकी समझ से परे था!आज तक उसने अभय से अपने लिए कोई लाभ की मांग नहीं की थी…ये प्रमोशन तो उसे ही मिलना चाहिए था…!!


उसे अब मयंक से भी रोष था ….इतना करीबी होने के बाद भी उसने किशन से इतना कुछ छुपाया ही नहीं बल्कि उसीके विरुद्ध बॉस के कान भर दिए और जो प्रमोशन उसकी ज़िंदगी का प्रतीक्षित हिस्सा होने वाला था आज वो अविश्वसनीय तरीके से मयंक की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका था…!लेकिन बॉस ने भी उसकी मेहनत और काबिलियत को इस तरह से नजरंदाज कैसे कर दिया..!

 

मयंक जैसी चाटुकारिता और लम्बी हांकने वाली नई तकनीक उसमें नहीं थी और ना ही वो ऐसी तकनीक अपनाना ही चाहता था….खुद्दारी और पूरी जवाबदारी से अपने कार्यों के प्रति तत्परता और नियमितता ही किशन की तकनीक थी….!और फिर आज तो उसकी बात सुनने को ही कोई तैयार नहीं है..जैसे अब उसकी कोई जरूरत ही नहीं रह गई हो..!

 

……क्या अब कल से मयंक मुझे सुपरवाइस करेगा!!सबके सामने मुझे निर्देशित करेगा…..! वो बात बात पर मुझे नीचा दिखाएगा…!नहीं… नहीं…मेरी भी कोई इज्ज़त है..!!किशन जितना सोचता उतना ही दुखी होता जाता था…क्या करे..!खाना सामने था पर एक कौर भी उसके मुंह में नहीं जा रहा था….”क्या बात है आज बहुत ज्यादा चिंतित हैं….!पत्नी शांता के पूछने पर कुछ बता नहीं पाया ये सोच कर कि इसकी क्या समझ में आयेगा!!व्यर्थ ही चिंतित हो जायेगी….!

देखिए जी…आप भले ही मुझे नहीं बताना चाह रहे हैं…शायद मैं आपकी कोई सहायता भी नहीं कर पाऊंगी परंतु एक बात ध्रुव सत्य है कि अगर आपकी आत्मा किसी बात को स्वीकार नहीं कर पा रही है…आपके स्वाभिमान को जिस बात से ठेस पहुंच रही हो…उसे छोड़ देना ही श्रेयस्कर होता है….!

…लेकिन शांता … छोड़ना क्यों??सुलझाया भी तो जा सकता है!!अगर अन्याय हो रहा हो तो प्रतिकार भी तो होना चाहिए!

कई बार छोड़ना ही प्रतिकार का सर्वोत्तम तरीका होता है ….अन्याय किसी का माफ नहीं होता…समय आने पर न्याय हो जायेगा पर ….अपना सम्मान सबसे बढ़ कर होता है उसकी रक्षा हमें ही करनी होती है…स्वाभिमान से अपनी जिंदगी जीना हर व्यक्ति का सर्वोपरि अधिकार है….!कहकर वो थाली उठा कर चली गई और किशन को दिशा दिखा गई।

किशन  बहुत शांत मन से अपना इस्तीफ़ा लिख रहा था…….बॉस को हो ना हो किशन को अपनी काबिलियत पर और जहां स्वाभिमान से काम करने की आज़ादी हो ऐसी किसी और जगह में काम मिलने का पूरा भरोसा था।

#आत्मसम्मान

लेखिका: लतिका  श्रीवास्तव 

 

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