पूरे 1 महीने गर्मी की छुट्टियां बिताने के बाद नीतू अपने मायके से अब अपने ससुराल जाने वाली थी। शाम को ही उनकी ट्रेन थी. बच्चों ने भी अपने नाना-नानी के घर मटरगश्ती किया उनका मन अभी अपने घर जाने का नहीं कर रहा था। क्योंकि घर जाने के बाद फिर से वही रोज सुबह-सुबह स्कूल जाना। पढ़ाई करना, भला कौन से बच्चों को अच्छा लगता है.
नीतू अपनी मां के साथ ऐसे चिपक कर बैठी हुई थी जैसे लग रहा था आज के बिछड़ने के बाद वह कभी मिलेंगे ही नहीं। नीतू अपने पर्स से 10 हजार निकालकर धीरे से अपनी मां के हाथों में पकड़ा दिया और बोली यह लो मम्मी अपने पास रख लो तुम्हारे काम आएंगे। इतना सुनते ही नीतू की मम्मी की आंखें भर आई और अपनी बेटी से कहा, “अरे बेटी यह क्या कर रही हो मैं इतने सारे पैसों का क्या करूंगी।”
नीतू बोली, “क्या तुम्हें पैसे का काम नहीं है दिन भर इतने सारे चीज खरीद के लाया करती थी और फिर अब पापा भी तो जॉब नहीं करते हैं, जो पैसे रखे हुए हैं उसी से गुजारा होता है, भैया-भाभी भी अमेरिका रहते हैं. उनको तो जैसे कुछ चिंता ही नहीं कि तुम लोग कैसे रहते हो, सप्ताह में एक दिन फोन कर लिया और उन्होंने अपना फॉर्मेलिटी निभा लिया।”
नीतू की मां ने कहा तुम अगर ऐसे मुझे पैसे दोगे, जब दामाद जी को पता लगेगा तो वह क्या सोचेंगे कि बेटी से पैसे मांगते हैं। अरे नहीं मां मेरे नौकरी के पैसे मेरे ससुराल वाले नहीं मांगते हैं और ना ही मुझसे कोई पूछता है कि मैं अपने पैसे का क्या करती हूं बल्कि तुम्हारे दामाद और समधन कई बार मुझसे कहती हैं की बहू अपनी मां से पूछ लिया करो अगर उनको कुछ पैसे की जरूरत हो तो दे भी दिया करो आखिर वह भी तो तुम्हारी मां है.
मैं पापा का अकाउंट नंबर लेकर जा रही हूं हर महीने उसमें 10 हजार डाल दिया करूंगी तुम अब किसी भी चीज की चिंता मत करना मैंने एक काम वाली बाई भी रख लिया है कल से वह तुम्हारे घर साफ-सफाई करने आ जाया करेगी उसको हर महीने मैं पैसे ट्रांसफर कर दिया करूंगी।
मम्मी तुम और पापा बहुत मेहनत कर लिया अब तुम्हें अपनी जिंदगी आराम से गुजारो। साल में एक आध बार कहीं तीर्थ यात्रा पर घूम आया करो। मै टिकट बनवा दिया करूंगी।
मुझे पता है मां पापा ने कितनी मुश्किल से इस घर को संभाला है, भैया को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाने में और मुझे आज लेक्चरर बनाने में पापा ने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी तो क्या हम पापा के लिए इतना भी नहीं कर सकते। माना कि मेरी शादी हो गई और मैं अपने ससुराल में चली गई लेकिन आज मैं लेक्चरर हूं तो अपने पापा की बदौलत हूं नाकि ससुराल के बदौलत।
मैं चाहती हूं आप दोनों लोग अब इंजॉय करो, आप लोगों ने पूरी जिंदगी अपनी इच्छाओं का गला घोटा है, लेकिन अब आप अपने खुद के लिए जिओ.
मां तुम्हारे दामाद भी बहुत अच्छे हैं बिल्कुल पापा की तरह और एक लड़की ऐसा ही तो सोचती है कि उसका पति उसके पिता की तरह हर कदम पर उसको सपोर्ट करने वाला मिले और मेरा पति भी वैसे ही है कभी भी किसी बात के लिए उन्होंने मना नहीं किया है।
बल्कि कई बार मैंने उन्हें अपना एटीएम देने की कोशिश किया है यह अपने पास रख लो जरूरत हो तो इसे पैसे निकाल लिया करना, उन्होंने लेने से मना कर दिया और बोला नीतू तुम और मैं अलग थोड़ी हूं तुम्हारे अकाउंट में पैसे रखे हो या मेरे अकाउंट में क्या फर्क पड़ता है जब जरूरत पड़ेगी ले लेंगे।
तुम्हारी समधन यानी मेरी सासू मां तेरा ही रूप हैं हमेशा मेरा सपोर्ट किया है कभी भी मुझे अकेला नहीं छोड़ा है कभी मैं उदास भी होती हूं किसी बात के लिए तो मेरा सहारा बनती है, मुझे मोटिवेट करती हैं. वो खुद पहले जॉब करती थी इसलिए वह एक वर्किंग वूमेन की परेशानियों को समझती हैं. जब तक सो कर उठती हूं मेरी सासू मां सब्जियां काट कर रखी हुई होती है, मुझे सिर्फ सब्जी पकाना होता है जब तक मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार होती हो, सासु मां मेरा और तुम्हारे दामाद का नास्ता भी पैक कर देती हैं. सच में मां मैं तो इस दुनिया की भाग्यशाली लड़की हूं जिसके नसीब में दो मां और दो पिता का प्यार लिखा हुआ है.
मैं बोले जा रही थी और मेरी मां सिर्फ मुझे ही देखे जा रही थी उसके बाद मेरी मां ने कहा इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी बड़ी बातें कौन सिखाता है तुम्हें।
मां ने मुझे गले लगाया और बस इतना ही कहा जितना सद्बुद्धि भगवान ने तुम्हें दिया है उसका आधा भी सद्बुद्धि अगर तुम्हारे भाई को भी दे देता तो मेरा और तुम्हारे पापा का जीवन धन्य हो जाता। हमने सोचा बेटा नौकरी करने लगेगा तो हम बेटा और बहू के साथ ही रहेंगे,अपने बेटे के बच्चों के साथ अपना जीवन हंसते खेलते बीता देंगे लेकिन उसको तो हमारी सुध बुध लेने की भी फुर्सत नहीं है वह अपने साथ क्या रखेगा।
बहू तो शादी के बाद जो गई एक बार भी गांव आने का नाम ही नहीं लेती है. लोग लड़कियों को नहीं पढ़ाते हैं उन्हें लगता है कि लड़कियां तो पराई होती है उन को पढ़ाने का क्या फायदा लेकिन आज हमें गर्व हो रहा है जो हमने तुमको पढ़ाया। आज अगर हम तुम्हें पढ़ा कर जॉब नहीं करवाया होता तो शायद तुम भी आत्मनिर्भर नहीं होती तो कुछ नहीं कर सकती थी.
कुछ देर बाद मेरी मां ने मुझे गले लगाया और हम मां बेटी दोनों इतना रोए जितना शादी के बाद विदा होते हुए भी नहीं रोई थी और ना मैंने कभी इतना रोया था.
तभी पापा आ गए और हम दोनों को रोते हुए देख कर बोले क्या हो गया मां बेटी में यह रोने का सीन क्यों हो रहा है कोई फिल्म की शूटिंग हो रहा है क्या ? मम्मी और मैं जल्दी से अपने आंसू पोछे। मैंने पापा से कहा कुछ नहीं पापा बस यूं ही जा रही थी तो बस आंसू निकल आए. पापा ने कहा सही कहा बेटी यही तो मां बेटी का प्यार होता है जबान कुछ कहे ना कहे लेकिन आंसू सब कुछ कह देता है.
पापा ने कहा, “नीतू जल्दी से तैयार हो जाओ बाहर रिक्शावाला खड़ा है स्टेशन जाने के लिए नहीं तो ट्रेन भी छूट जाएगी रास्ते में ट्रैफिक भी बहुत होता है.” एक्चुली मेरे पति हमें लेने नहीं आए थे उनको छुट्टी नहीं मिली थी तो मैं अकेले ही अपने ससुराल जा रही थी. वैसे तो पापा साथ में जाने के लिए कह रहे थे लेकिन मैंने ही मना कर दिया था जाने को कि मैं चली जाऊंगी।
थोड़ी देर के बाद बच्चों के साथ में रिक्शे पर बैठकर जा रही थी और मेरे मां पिताजी दरवाजे से ही हाथ हिलाकर बाय कर रहे थे। लेकिन इस बार जो गर्व अपने आप पर मुझे महसूस हो रहा था। इसके पहले मुझे कभी एहसास नहीं हुआ। अपने मां बाबूजी की थोड़ी सी सपोर्ट करके जो खुशी मुझे मिल रही थी उतनी खुशी आज तक अपने जीवन में कभी नहीं मिली है.
हम यह भूल जाते हैं कि हमारी शादी हो गई,इसलिए मां बाप पर हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं है, यह गलत है ,इस परंपरा को बदलना होगा। बेटियां चाहे तो वह भी अपने मां बाप को उतना ही ख्याल रख सकती हैं जितना कि एक बेटा।
हमारे समाज में लोग ऐसा क्यों चाहते हैं कि हमारा कम से कम एक बेटा तो जरूर हो वो इसीलिए चाहते हैं कि बेटा उनका बुढ़ापे का सहारा बनेगा। लेकिन जिस दिन से बेटियां अपने मां-बाप की सहारा बनने लगेगी । उस दिन से लोग बेटे की चाहत रखना छोड़ देंगे और बेटा-बेटी के बीच जो अंतर है धीरे-धीरे वह भी मिटने लगेगा। वैसे तो यह कहानी है आम जिंदगी में ऐसा बहुत कम ही होता है लेकिन बेटियां चाहे तो इस कहानी को हक़ीक़त बनते देर नहीं लगेगा।