रजनी सिर्फ 5 साल की थी तभी उसकी मां का स्वर्गवास हो चुका था. उसके अलावा घर में एक बूढ़ी दादी और उसके पिता थे। दो-तीन सालों तक तो उसकी बूढ़ी दादी ने रजनी का पालन पोषण किया लेकिन अब उसके बस की बात नहीं थी, रजनी का पालन पोषण करना। उसने अपनी बेटे को सलाह दी कि देखो बेटे रजनी अभी छोटी है तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते फिर तुम्हारा भी अभी लंबा जीवन है आखिर कैसे अकेले काटोगे।
रजनी के पिता मोहन ने कहा मां मैं रजनी के मां से बहुत प्यार करता हूँ और मैं उसकी जगह अब किसी और लड़की को नहीं दे सकता। मैं कैसे भी कर कर रजनी को पाल लूंगा। मोहन की मां ने कहा बेटा कहना आसान है उतना प्रैक्टिकल जीवन में संभव नहीं है तुम मेरी बात मान लो और दूसरी लड़की से शादी कर लो। कल ही तुम्हारी बुआ जी ने एक लड़की के बारे में बताया है तुम कहो तो बात चलाऊं।
मोहन को अपनी मां के जिद के आगे झुकना पड़ा। मोहन ने अपने बुआ द्वारा बताई हुई लड़की जिसका नाम बसंती था शादी कर ली लेकिन शादी करने से पहले उसने लड़की के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि उसकी पहली बीवी से एक बेटी है जिसका नाम है रजनी अगर वह उसे अपने बेटी की तरह स्वीकार करेगी तभी वह उससे शादी करेगा।
उस वक्त तो बसंती ने हां में हां मिला दिया। शादी के एक-दो सालों बाद तक रजनी को वह अपनी बेटी की तरह मानती रही लेकिन बसंती के पेट से जैसे ही उसका खुद का बच्चा पैदा हुआ वह रजनी को इग्नोर करने लगी। धीरे धीरे बसंती के दो-तीन बच्चे हो गए अब तो रजनी को कोई पूछने वाला भी नहीं था.
रजनी की दादी भी बूढी हो चुकी थी. धीरे धीरे बसंती पूरे घर पर अपना कब्जा जमा चुकी थी रजनी के दादी को भी समय से खाना नहीं देती थी यहां तक कि रजनी के पापा को भी कोई वैल्यू घर में नहीं रह गया था। रजनी को तो वह सिर्फ नौकरानी बना के रख दी थी सारा काम रजनी को ही करना पड़ता था। इस चक्कर में रजनी को पढ़ने का भी समय नहीं मिलता था. लेकिन मोहन अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता था मोहन की पहली पत्नी मरते हुए मोहन को कसं दिया था कि वह अपनी बेटी को पढ़ा कर अफ़सर बनाएगा।
मोहन को जब लगने लगा कि उसकी बेटी इस घर में पढ़ नहीं पाएगी तो अपनी बेटी को पढ़ाई करने के लिए दिल्ली भेज दिया और वहीं कॉलेज में दाखिला करवाकर हॉस्टल में रखवा दिया। हर महीने खर्चे के पैसे भेज दिया करता था. इस बात के लिए कई बार मोहन और उसकी नई पत्नी बसंती के बीच लड़ाई भी हो जाती थी कि अपनी तनख्वाह के आधे पैसे तो तुम रजनी तो भेज देते हो और आधे तंख्वाह में पूरे घर का खर्चा चलाना पड़ता है. लेकिन मोहन अपने नई पत्नी बसंती की एक भी नहीं सुनता था
कॉलेज में ही रजनी की दोस्ती सविता नाम की एक लड़की से हो गई धीरे-धीरे वह दोनों अच्छी दोस्त बन गई थी। संडे के दिन सविता, रजनी को अपने घर पर ही बुला लेती थी। रजनी और सविता मिलकर पूरे दिन पढ़ाई करते थे शाम को सविता अपने बड़े भाई के साथ रजनी को होस्टल पहुंचा देती थी.
धीरे धीरे रजनी का सविता के बड़े भाई राकेश से भी दोस्ती हो गई. रजनी जब संडे को सविता के बड़े भाई के साथ अपने हॉस्टल वापस आने के लिए निकलती थी तो रास्ते में ही सविता के भाई राकेश और रजनी किसी रेस्टोरेंट में बैठकर काफी देर बात करते थे और उसके बाद सविता को हॉस्टल छोड़ देता था.
घर आने के बाद सविता और राकेश पूरी रात फोन पर बात करते रहते थे. राकेश, रजनी से सीनियर था तो वह उसकी पढ़ाई में भी मदद करने लगा था.
एक दिन मौका देखकर राकेश ने रजनी को आई लव यू कह दिया। लेकिन तब रजनी ने इसका कुछ भी जवाब नहीं दिया राकेश के पूछने पर रजनी ने कहा समय आने पर इसका जवाब दे दूंगी। कुछ दिनों के बाद रजनी ने राकेश को एक लिफाफा थमाया लिफाफे के अंदर एक बड़ा सा लेटर लिख रखा था और उसमें अपने दिल की सारी बात रजनी ने लिख रखी थी.
फिर क्या दोनों एक दूसरों से अब सप्ताह में भी मिलने लगे राकेश महंगे महंगे गिफ्ट खरीद कर रजनी को देने लगा दोनों एक साथ जीने मरने की कसमें खाने लगे.
रजनी को भी राकेश का साथ अच्छा लग रहा था क्योंकि बचपन से प्यार की प्यासी थी उसे देर से ही सही पर सच्चा प्यार मिल रहा था कोई उसकी केयर करने वाला मिल गया था. अपने सौतेली मां के ताने सुन सुनकर बड़ी हुई थी वह तो प्यार का मतलब ही भूल गई थी. वह हमेशा सपनों की दुनिया में रहने लगी थी और अपने आने वाले भविष्य की कल्पना कर सिहर उठती थी. राकेश और रजनी शादी के सपने देखने लगे थे. रजनी जब भी राकेश से शादी की बात कहती। राकेश कहता अरे यार अभी हमारी उम्र ही क्या हुई है जो हम शादी कर लें। अभी शादी कर लेंगे तो घर कैसे चलाएंगे। कहीं पर मेरी नौकरी तो लग जाने दो फिर हम दोनों शादी कर लेंगे। मैं भी तुम्हें छोड़कर भागने वाला नहीं हूं. रजनी, राकेश से कहती मुझे पता है राकेश तुम मुझे छोड़ कर नहीं जाओगे लेकिन अब मैं अकेले नहीं रह सकती तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं.
इतना रजनी का कहना था कि राकेश ने रजनी को अपने बांहों में भरा और प्यार से रजनी के होठों पर “किस” कर दिया रजनी का पूरा शरीर सिहर उठा था. रजनी को भी राकेश का इस तरह से अपनी बाहों में भरना अच्छा लग रहा था.
एक दिन राकेश, रजनी को अपने दोस्त के फ्लैट में चलने के लिए कहा लेकिन रजनी इस बात के लिए तैयार नहीं हो रही थी वह कह रही थी राकेश यह सब शादी से पहले ठीक नहीं होता है. लेकिन राजेश रजनी को इस बात के लिए दबाव दे रहा था कि रजनी क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो और इसमें क्या गलत है हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं. रजनी राकेश की बातों में आ गई और वह राकेश के दोस्त के फ्लैट पर चली गई.
जब रजनी, राकेश के साथ राकेश के दोस्त के फ्लैट पर पहुंची तो वहां राकेश के तीन-चार दोस्त पहले से ही थे. राकेश ने रजनी से सब को मिलवाया और उसके बाद दूसरे कमरे में राजेश और रजनी अंदर से दरवाजा बंद कर, चले गए.
थोड़ी देर के बाद राकेश के दोस्त ने दरवाजा खटखटाया और अंदर एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल दे गया उस कोल्ड ड्रिंक के अंदर नशे की दवाई मिला दिया गया था। राकेश ने रजनी को कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए दिया। रजनी को क्या पता था इस कोल्ड ड्रिंक के अंदर नशे की दवाई मिली हुई है जैसे ही कोल्ड ड्रिंक पिया थोड़ी देर के बाद वह बेहोश होने लगी उसके बाद क्या था राकेश और राकेश के दोस्तों ने बारी-बारी से रजनी का बलात्कार किया।
सुबह होते ही रजनी को जब होश आया तो पूरे शरीर में दर्द हो रहा था उसे रात में ही अंदेशा हो रहा था कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा था लेकिन उसमें इतना ताकत नहीं था कि वह विरोध कर सकें वह समझ गई थी कि राकेश ने उसके साथ धोखा किया है।
राकेश और उसके दोस्तों ने मिलकर उसका बलात्कार किया है. पहले तो वो जी भर कर रोइ उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। जिस राकेश पर उसने इतना भरोसा किया था उसके साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारने के सपने देख चुकी थी और उसी राकेश ने उसके साथ इतना बड़ा धोखा दिया। कोई अपने प्यार के साथ ऐसा करता है वह सोच भी नहीं सकती थी. इस हादसे के बारे में वह किसी से बता भी नहीं सकती थी लेकिन रजनी इस तरह से चुप नहीं रहना चाहती थी.
रजनी ने सबसे पहले अपनी दोस्त सविता को फोन किया और उसने राकेश की सारी करतूत के बारे में बताया।
सविता को तो यह बात बहुत पहले पता चल गया था कि एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन उसका भाई इतना गिर सकता है सविता को यकीन नहीं हुआ। रजनी तुम मेरा वही इंतजार करो मैं अभी पुलिस को लेकर आती हूं.
सविता थोड़ी देर बाद ही पुलिस के साथ में पहुंची। रजनी ने पुलिस के सामने अपने बयान दर्ज किया।
कुछ दिनों के बाद ही सविता के भाई राकेश और उसके दोस्त पकड़े गए उन्होंने अपना जुर्म कुबूल किया।
उस दिन के बाद से रजनी ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर दिया वह भूल गई थी कि उसके पिताजी कितनी मुश्किल से उसकी सौतेली मां से लड़ाई कर कर पैसे भेजते हैं पढ़ाई करने के लिए और वह उनके पैसों का नाजायज फायदा उठाती है.