“दादी दादी यह रक्षाबंधन क्या होता है मम्मी कह रही थी मामा आएंगे हम मिठाई खाएंगे” 6 साल के हर्ष ने अपनी दादी से कौतूहल वश पूछा ,हर्ष इकलौता बेटा था फिर दादी बोली “बेटा भाई बहन का त्यौहार होता है यह, भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है जब बहन राखी बांधती है उसकी कलाई पर”
“फिर दादी वो रक्षा कैसे करता है”
” बेटा रक्षा का मतलब किसी भी प्रकार के दुख में भाई ढाल बनकर खड़ा होता है बहन के साथ, किसी भी दशा में “
दादी समझाते हुए बोली लेकिन हर्ष की जिज्ञासा शांत नहीं हुई थी उसके मन में प्रश्न उठ रहे थे, फिर कुछ देर शांत होकर बोला
“दादी मेरी समझ में नहीं आ रहा है, मेरी तो कोई बहन भी नहीं है”
दादी हर्ष को गले लगाकर बोली
” बेटा ऐसा मत सोच अच्छा चल तुझे मैं कहानी सुनाती हूं “
फिर दादी उसे भगवानृ कृष्ण और द्रौपदी की कहानी सुनाई कि कैसे कृष्ण जी ने द्रौपदी को अपनी बहन बनाया ,जब सुदर्शन चक्र से शिशुपाल की गर्दन काटते वक्त भगवान की उंगली कट गई थी और उनकी उंगली में द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू बांध दिया ,फिर भगवान् ने चीर हरण और दुष्टों से द्रौपदी को बचाया ।
“अच्छा दादी तो मैं भी किसी को बहन बना सकता हूं”
” हां मेरे लाल बना सकता है चल अब सो जा बहुत बातें करता है नजर न लगे मेरे लाल को”
यह कहते हुए दादी ने हर्ष को सुला दिया अगले दिन रक्षाबंधन था सब घर में तैयारी कर रहे थे उत्सव की, मामा का इंतजार हो रहा था ।
हर्ष मम्मी के साथ मिठाई खरीदने गया मम्मी इसकी आगे निकल गई थी ,तो हर्ष को कुछ रोने की आवाज आई और कुत्तों के भौंकने की , देखा तो एक उसकी उम्र लड़की को कुत्तों ने घेर रखा है उसकी फ्रॉक को दांतो से खींच रहे थे ,और काटने को दौड़ रहे थे,वह रोए जा रही थी ,अचानक कहां से हर्ष में शक्ति का संचार हुआ और वह पास पड़े पत्थर लेकर कुत्तों पर झपट पड़ा 5-6 से कुत्ते थे 1-2 कुत्ते तो भाग लिए पत्थर खाकर ,हर्ष के पत्थर खत्म हो चुके थे अब कुत्तों ने दोनों के कपड़े खींचना शुरू कर दिया,
और दाँत मारने शुरू कर दिए हर्ष ने उस लड़की को उसके पीछे रहने को बोला ,और कुत्तों की आंखों में हाथों से मारने लगा , 5-6 जगह उसे कुत्ते काट चुके थे, इतनी देर में लोग आ गए डंडे लेकर ,पीछे से उसकी मम्मी भी आ गई थी भागते हुए, वह लड़की रोते हुए बोली “थैंक्यू भैया” इतने में हर्ष चीख कर बोला “मम्मी बहन मिल गयी ” और फिर बेहोश हो गया ।
जल्दी से लोग उसे हॉस्पिटल ले गए शाम को सारा ट्रीटमेंट होने के बाद वह बाहर निकला तो देखा वही लड़की अपनी मम्मी-पापा के साथ हाथ में राखी लिए खड़ी थी और उससे कहा “भैया मैने भगवान जी से कहा था आपको जल्दी अच्छा कर दे मैं आपको राखी बांधूगी , इसलिए अभी तक मैने भी कुछ नहीं खाया है” यह दृश्य देखकर वहां उपस्थित डॉक्टर नर्स और सभी लोगों की आंखों में आंसू आ गए ,इतने में पीछे से दादी बोली “वाह रे!
बेटा हर्ष तूने तो कृष्ण जी को भी पीछे कर दिया बिन राखी बाँधे ही रक्षा की बहन की, चलो राखी बंधवा लो और दोनों भाई-बहन घेवर खाओ “इतना सुनकर दोनों दादी से लिपट गए।
#रक्षा
-अनुज सारस्वत की कलम से
(स्वरचित)