फेसबुक पर मिले दो अनजान, हां अनजान ही थे उस समय एक दूसरे के बारे में तनिक भी जानकारी ना थी।
एक प्यारी ममता( मृदुला) दीदी एक प्यारे विकास भैया और प्यारी भाभी भतीजी, सभी मुझसे उम्र में बड़े थे इसीलिए मैं भैया और दीदी ही बोलती थी।
दीदी भैया एक ही गांव के, भाई बहन थे!!!!!! लेकिन मैं एकदम अनजान थी।
हाय हेलो से दोस्ती की शुरुआत हुई थी, हर किसी दोस्ती की तरह।
दोस्ती कभी गहराती हुई टूट जाती है, तो कभी गहराती हुई जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाती है।
हम तीनों की तीन तिकड़ी दोस्ती “,..! कब जिंदगी का हिस्सा बन गई” किसी को पता भी ना चला।
मैसेंजर पर बात करते-करते, कब व्हाट्सएप से फोन पर आ गए शायद कोई नहीं जान पाया। कहते हैं अनजान लोगों पर ऐसे विश्वास नहीं करते, सच कहूं तो पहले इतना विश्वास नहीं था।
लेकिन जब कोई विश्वास लायक हो, तो बिना किसी सफाई दिए या मिले ही विश्वास बन जाता है।
दोस्ती इतनी गहराती चली गई कि , हम अपनी बातें भी साझा करने लगे।
दीदी हो या भैया मैं अक्सर बातों से अंदाज लगा लेती थी दुखी है खुश है या उदास “,,,!!!!! ठीक ऐसे ही वह दोनों लोग भी मेरी आवाज और बातों से समझ जाते।
ऐसे लगता जैसे हम एकदम सगे हैं , शायद अपने खून के रिश्ते भी इस तरीके नहीं पहचान पाएंगे।
हमारी दोस्ती के बाद पहला त्यौहार रक्षाबंधन आया, मैंने बड़ी खुशी और प्यार से ऑनलाइन राखी भेजी थी भैया को”…!!! जिसे भैया की कलाई पर सजाया था ममता (मृदुला) दीदी ने।
(कहानी पढ़कर को यह मत सोचिएगा मैंने राखी कुछ पाने के लिए भेजा)
मुझे याद है वह दिन एक साल पहले, जब भैया भाभी के साथ पहली बार मुझसे मिलने आए “, यकीन ही नहीं हुआ सामने देखकर।।।
(और हां मेरे और बिटिया के लिए खूबसूरत उपहार भीलेकर आए थे जो कीमती ही नहीं बेशकीमती था मेरे लिए)
ऐसे लगा जैसे अगर मेरा भाई बड़ा होता तो ठीक ऐसे ही आता वह भी, खुशी से आंखें नम हो गई।
सामने से भी भैया ठीक वैसे” जैसे बिना मिले थे, वही भाषा वही व्यवहार वही प्रेम …!! सच कहूं तो मिलकर इतनी खुशी हुई, जिसे मैं शायद शब्दों में नहीं बयां कर सकती।
मेरा हौसला बढ़ाने के लिए दोनों लोग हमेशा मेरे साथ हैं।
अभी ममता (मृदुला)दीदी से मिलना बाकी ही है, बस परिस्थितियों के सही होने का इंतजार है।
भैया एक बार फिर से रक्षाबंधन आ गया है, मैंने राखी भेज दिया है”आने के लिए परिस्थितियां अनुमति नहीं दे रही!! ममता (मृदुला) दीदी आप भैया के हाथ में राखी सजा दीजिएगा।।।
आभारी फेसबुक की, जिन्होंने इतने अच्छे दोस्त, भैया ,भाभी ,दीदी यहां तक कि एक अच्छे रिश्ते भी दे दिए।
ऐसे ही हम सभी का प्यार और साथ बना रहे ईश्वर से कामना करती हूं।
अब इसी प्यार और सम्मान के साथ लिखना समाप्त करती हूं, आगे का अगले साल।
#दोस्ती_यारी
सरगम भट्ट
गोमतीनगर लखनऊ