बारिश का मौसम देख ही सुनीता का दिल घबराने लगा , वह सभी खिड़की दरवाजे बंद कर ” ……!!! अपने बेडरूम में आकर आंख बंद करके लेट गई ।
विकास भी अपने ऑफिस के काम से ” दो दिन के लिए बाहर गया था , आज आने वाला है ‘ लेकिन आते-आते रात हो जाएगी “……।
लेटे लेटे ही वह अपने अतीत की यादों में खो गई , अभी हाल भर ही तो हुआ ! कितना प्यारा परिवार था , विकास , उसके मम्मी पापा और एक छोटी बहन रिनी ।
मायके में सिर्फ पापा थे , मां तो जन्म देते ही चल बसी ” ससुराल आकर ही तो उसने परिवार का प्यार जाना था !!! खूब प्यार करते थे सभी उससे “….! सुनीता भी किसी की कम इज्जत ना करती थी ।।
लेकिन कहते हैं ना , खुशियों को नजर लग दी जाती है “” सावन का महीना था “,….!! अपनी गाड़ी से लगभग पच्चीस किलोमीटर दूरी पर , शंकर जी को जलाभिषेक करने के लिए निकले थे , ” मम्मी पापा ” साथ में छोटी रिनी भी थी ।
उनके निकलने के बाद से ही बारिश शुरु हो गई , सुनीता ने फोन कर वापस आने को भी कहा , लेकिन जय जी ने उसे आश्वस्त कर दिया “,…!! कि वह लोग दो घंटे में आ जाएंगे ।
लेकिन शाम हो गई , ना कोई आया ” और ना किसी का फोन , कुछ देर में फोन भी आफ बताने लगा “!!! घबराहट के मारे सुनीता की जान निकली जा रही थी ।
विकास के आते ही उस का सब्र टूट पड़ा , और वह विकास को पकड़ा रोने लगी “, ..!! विकास के पूछने पर उसने सारी बातें बताई ।
विकास भी डर गया , लेकिन वह सुनीता को जताना नहीं चाह रहा था ।
दोनों मूसलाधार बारिश में खोजने के लिए निकलने ही वाले थे , तब तक एक अनजान नंबर से फोन आया ।
आप विकास जी बोल रहे हैं ?
जी ! लेकिन आप कौन?
मैं इंस्पेक्टर राजीव बोल रहा हूं , आपके पिताजी की डायरी से आपका नंबर मिला ।
आपके पिताजी की कार बारिश की वजह से स्लिप कर गई , और एक गड्ढे में जा गिरी , गड्ढा गहरा तो नहीं था लेकिन बरसात की वजह से खतरनाक जरूर था ।
इसमें आपकी बहन सहित तीनों लोगों की मौत हो गई है मौत हो गई है , फिलहाल मैं उन्हें हॉस्पिटल ले आया हूं “आप जल्दी से आ जाइए ।
विकास और सुनीता की तो दुनिया ही उजड़ चुकी थी ।
एक ही मिनट में सब खत्म हो चुका था , बचा था तो सिर्फ मातम एक साथ तीन-तीन अर्थी उठने का । ढांढ़स बंधाने वाले लोग कब तक रुकेंगे , पन्द्रह दिन में कार्यक्रम खत्म होते ही सब
लोग “..!!!!! एक-एक करके चले गए।
रह गई तो सिर्फ विकास सुनीता और उनकी दर्द भरी तन्हाई। तब से सुनीता को बरसात से नफरत होने लगी “,,,….!!! जो बरसात उसे इतना प्यारा था ,, आज उसी बरसात से उसे घृणा हो रही थी।
जिस बरसात का इंतजार करती थी, आज उसी बरसात को देखकर दरवाजे खिड़की बंद कर रही है , आखिर इसी बरसात नें तो ‘ उससे उसका सब कुछ छीन लिया ।।
बरसात ने उसे एक बार फिर से अनाथ कर दिया।
(दिन चले जाते हैं लेकिन यादें रह जाती हैं कुछ अच्छी तो कुछ कड़वी नायिका की कड़वी याद जिंदगी भर के लिए टीस बन गई
#बरसात
सरगम भट्ट
गोमतीनगर लखनऊ