सोच बदल भी सकती है – विमला गुगलानी

    रिया मां बाप की इकलौती बेटी थी, बहुत लाड प्यार से पली , पढ़ाई में खूब होशियार। सब गुण थे उसमें लेकिन उसे घर में लोगों की भीड़ बिल्कुल पंसद नहीं थी। दरअसल जब से उसने होश संभाला घर में उससे चार साल बड़ा उसका भाई अमन और उसकी माँ सुनयना ही थे। उसके पिताजी … Read more

तेरी छाँव रहे – रवीन्द्र कांत त्यागी

सत्तर की उम्र आते आते श्रीनिवास जी की जिंदगी का एक रूटीन बन बन गया था. सुबह शौच आदि से निवृत होकर गाय की सानी पानी करना. दूध दुहकर घर चले जाना और चूल्हे के पास धनवंती से बतियाते हुए दो ग्लास गुड़ की चाय पीना. फिर अपने बँटाई पर दिये खेतों का एक चक्कर … Read more

“बुढ़ापे का असली सहारा न बेटा न बेटी बल्कि बहू होती है“ – सोनिया अग्रवाल 

” अरे वाह बेटा क्या सब्जी बनाई है, बिल्कुल मेरी मां के हाथ के स्वाद की याद आ गई । जब से तुम्हारी सास इस घर में आई तो मां को कभी कोई कार्य ही नहीं करने दिया। आज तुम्हारे हाथ की सब्जी बिल्कुल मां के हाथ के खाने की याद दिला गई।” ससुर रमेश … Read more

रिश्ते अहंकार से नहीं त्याग और माफी से चलते हैं – मंजू ओमर 

आज बेटे के घर से वापस आते वक्त संध्या के गले से लगाकर सौम्या रो पड़ी, मम्मी मुझे माफ कर दो , मम्मी मैंने आपका बहुत दिल दुखाया है।आप मुझसे बात करो , मुझे अच्छा नहीं लगता आप बात नहीं करती तो। संध्या जी का मन थोड़ा पसीज गया और कह उठी ठीक है पुरानी … Read more

चौथी बेटी – परमा दत्त झा

अरे रमेश बाबू अब आप खतरे से बाहर हैं।आप सभी से मिल सकते हैं।-यह डा मिश्र बंसल के थै जो रूटीन विजिट में आये थे। मैं कहां हूं, मुझे क्या हुआ था -ये अकचका गये। आपको सिरियस हार्ट अटैक आया था और आप अस्पताल में भर्ती हैं।परसों आपकी बायपास सर्जरी हुई है।-डा उन्हें समझाते बोले। … Read more

न बिट्टी न – सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

न बेटी न…! ऐसा मत सोचना। तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत ईश्वर की रचना हो। तुम में वह सभी अच्छाई समाहित हैं जिसकी लोग कल्पना करते हैं। और रही बात रंग रूप की…. यह भी कहां स्थाई है, आज है कल चला जाएगा।  मणिमाला – मैं सुंदर नहीं हूंँ, लोग मेरा उपवास उड़ाते हैं। … Read more

बाँझ – रीतू गुप्ता

“संध्या,संध्या जल्दी आओ यार… डॉक्टर के पास जाना है ना आज…सारे टेस्ट होने है ना आज  … भूल गई क्या?”~ तैयार होते हुए मेहुल बोला। संध्या~ “आ रही हूं जी।” संध्या और मेहुल की शादी को 5 साल हो गए थे । दोनों के कोई औलाद नहीं थी। आज डॉ. के कहने पर सभी टेस्ट … Read more

अपराधमुक्त – अर्चना सिंह

“कब से तुम्हें फोन लगा रही हूँ मोनिका ” ? फोन नहीं उठाती हो बेटा ! मुझे चिंता हो जाती है , अगर ब्यस्त भी हो तो एक बार बोलकर फोन रख दिया करो मुझे तसल्ली होगी ” । एक स्वर में चेतना जी अपनी बेटी को अपनी चिंता का कारण सुनाए जा रही थीं … Read more

रिश्ते – शालिनी दीक्षित

डॉक्टर की क्लीनिक में बैठे हुए मनीषा की नजर दूसरी तरफ बैठे हुए एक इंसान पर पड़ी, दुख और टेंशन में भी उसके चेहरे पर चमक सी आ गई लेकिन वो सोच में पड़ गई क्या ये सच मे अनुराग है? पहचान पाना मुश्किल हो सकता है क्योकि करीब करीब 25 साल हो गए उस … Read more

“कठोर शब्दों की पीड़ा ” – कमलेश आहूजा

“क्या इसी दिन के लिए तुम्हें इतना पढ़ाया लिखाया था,कि तुम अपने पिता को समझाओ क्या गलत है?क्या सही?मैं मर जाऊँ तो मेरा मुँह भी मत देखना।” पिता के मुँह से ऐसे कठोर वचन सुनकर नेहा बहुत रोई।उसकी गलती सिर्फ इतनी थी,कि वो अपने पापा को ये समझा रही थी..माँ को परेशान ना किया करें … Read more

error: Content is protected !!